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पाटलिपुत्रा सीट पर कौन पड़ेगा भारी? रामकृपाल यादव या मीसा भारती

Patliputra Lok sabha Chunav Result : पाटलिपुत्र लोकसभा सीट पर जीत हार का अंतर काफी कम रहता है. यहां भाजपा के रामकृपाल यादव और राजद की मीसा भारती के बीच सीधी टक्कर है.

Patliputra Lok sabha Election Result : पाटलिपुत्र लोकसभा में भाजपा प्रत्याशी रामकृपाल यादव और राजद प्रत्याशी मीसा भारती की सीधी टक्कर है. इस लोकसभा में छह विधानसभा है. जिसमें मसौढ़ी, दानापुर, मनेर राजद, फुलवारी और पालीगंज में माले, विक्रम में कांग्रेस विधायक ने पिछले विधानसभा में जीत हासिल की थी, लेकिन हाल ही विक्रम विधायक सिद्धार्थ सौरव ने कांग्रेस को छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया है. जिसका लाभ भाजपा को मिल सकता है. बावजूद इसके इन सभी विधानसभा में रामकृपाल को हैट्रिक लगाने से रोकने के लिए महागठबंधन के नेताओं ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. लेकिन राजद में पाटलिपुत्र की उम्मीदवारी को लेकर हुई तकरार का असर दानापुर के चुनाव प्रचार में दिख रहा है.

दोनों प्रत्याशियों के लिए पार्टियों के बड़े नेताओं ने किया प्रचार

पाटलिपुत्र में महागठबंधन के विधायकों की संख्या अधिक रहने के बाद भी भाजपा प्रत्याशी रामकृपाल की स्थिति मजबूत रहती है. वोटरों के मुताबिक यह एक ऐसे नेता हैं, जो हर समाज के वोटरों के बीच में रहते हें, जिसका लाभ उन्हें चुनाव में मिलता है और राजद प्रत्याशी के लिए यह हार का सबसे बड़ा कारण बनता रहा है. 2024 में ऐसी स्थिति नहीं हो इसको लेकर महागठबंधन के सभी नेता और खुद पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद, राबड़ी देवी लोकसभा क्षेत्र में जाकर वोट मांग रहे है. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी मीसा भारती के पक्ष में सभाएं कीं.

वहीं, वामदल की स्थिति भी पाटलिपुत्र में मजबूत है, जिसका लाभ 2024 के चुनाव में मिल सकता हैं, लेकिन दूसरी ओर, प्रधानमंत्री खुद बिक्रम विधानसभा में प्रत्याशी के पक्ष में रैली कर चुके है. वहीं, कांग्रेस से भाजपा में शामिल विक्रम विधायक, भाजपा में शामिल हुए कांग्रेस नेता अनिल शर्मा भी रामकृपाल यादव के पक्ष में लगातार वोट मांग रहे हैं.

जीत का अंतर इतना नहीं कि बाजी पलट न सके

पाटलिपुत्र सीट एक ऐसी सीट है, जहां जीत हार का अंतर काफी कम रहता है. 2014 चुनाव में रामकृपाल यादव ने मीसा भारती को लगभग 40 हजार वोटों से हराया था,जबकि 2019 के चुनाव में लगभग 39 हजार वोटों से हराया था. दोनों यादव प्रत्याशी होने के कारण और रामकृपाल की राजद की पृष्ठभूमि राजद को कभी 100 प्रतिशत यादवों का वोट नहीं मिलता है. यही हाल फुलवारी का भी है. जहां पर रामकृपाल की अपनी पकड़ मजबूत है.

दूसरी ओर राजद प्रत्याशी मीसा भारती यहां लगातार मेहनत कर रहीं हैं. उनकी हार का अंतर इतना नहीं है कि वे बाजी नहीं पलट सकें. राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की बेटी की उनकी पहचान उनके वोट पाने का आधार बनता रहा है. राजद प्रत्याशी मीसा भारती तीसरी बार इस सीट से दावेदारी कर रही है.

पटना से तीन बार सांसद रह चुके हैं रामकृपाल

भाजपा नेता रामकृपाल यादव परिसीमन से पहले पटना लोकसभा क्षेत्र से तीन बार सांसद रह चुके है. 1993 और 1996 में जनता दल, 2004 में राजद से जीत चुके है. 2010 में उन्हें राजद ने राज्यसभा भी भेजा था. वह एक समय में राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद के खास हुआ करते थे, लेकिन 2014 में पाटलिपुत्र सीट से टिकट नहीं मिलने पर राजद को छोड़कर रामकृपाल ने भाजपा से नाता जोड़ा था.

प्रधानमंत्री के आने से बिहार में कोई फर्क नहीं पड़ने वाला

प्रधानमंत्री के बिहार आने से अब कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है. बिहार ही नहीं, पूरे देश की जनता प्रधानमंत्री के पिछले 10 वर्षों में किये गये वादों को पूरा नहीं होने पर आक्रोश में अपना बटन महागठबंधन समर्थित प्रत्याशियों के लिए दबा रही है. प्रधानमंत्री को बताना चाहिए कि पिछले 10 वर्षों में देश की जनता ने उनको सत्ता की चाबी दी, तो उन्होंने कितने वादे पूरे किये.

मीसा भारती, राजद प्रत्याशी, पाटलिपुत्र

पाटलिपुत्र लोकसभा में राजा और रंक के बीच लड़ाई

पाटलिपुत्र लोकसभा में राजा और रंक के बीच लड़ाई है. पाटलिपुत्र की जनता एक बार फिर से मुझे जीत दिलाकर इस सीट से हैट्रिक लगाने का काम करेगी. विपक्ष मुझे बदनाम करने के लिए अनर्गल आरोप लगाता रहता है. मुझे किसी के सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है. जनता सब देख रही है. कौन जमीन से जुड़ा है, जनता जानती है.

रामकृपाल यादव, भाजपा प्रत्याशी, पाटलिपुत्र

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