पटना. वाराणसी क्राइम ब्रांच की छापेमारी के बाद अब नीट में धांधली कराने के खेल का खुलासा परत-दर-परत होता जा रहा है. अब तक हुई छह लोगों की गिरफ्तारी के बाद बिहार पुलिस और वाराणसी की स्पेशल क्राइम ब्रांच की टीम साॅल्वर गैंग के पूरे खेल को क्रैक कर चुकी है. उधर, खगड़िया और जहानाबाद से विकास कुमार महतो और राजू कुमार से मिले दस्तावेज से चौंकाने वाली जानकारी पुलिस के हाथ लगी है.
पुलिस सूत्रों की मानें, तो इन साॅल्वर गैंग के साथ पटना के तीन-चार बड़े कोचिंग संस्थान और उनके छात्र भी इस पूरे खेल में शामिल थे. अब क्राइम ब्रांच की टीम जल्द ही उन छात्रों व कोचिंग संस्थान के संबंधित लोगों के यहां छापेमारी कर सकती है.
वाराणसी क्राइम ब्रांच की टीम की जांच में यह बात सामने आयी है कि बीएचयू और केजीएमयू के कुछ छात्र इस सॉल्वर गैंग में शामिल हैं. वहां पर बिहार के कई छात्र-छात्राएं हैं, जो पीके के संपर्क में हैं. गिरफ्तार सॉल्वर जूली कुमारी के बारे में भी पीके को वहीं किसी कैंडिडेट ने बताया था.
पीके ने देश भर में अपना जाल फैलाया है. उसके फर्जीवाड़े के जरिये कई छात्र मेडिकल परीक्षा पास चुके हैं. इन छात्रों को मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश भी मिल गया. कई ऐसे हैं, जो अब डाॅक्टरी के पेशे में हैं. क्राइम ब्रांच की टीम के एक वरीय अधिकारी ने बताया कि जांच में कोई भी हो, सभी गिरफ्तार किये जायेंगे.
पुलिस अब सॉल्वर गैंग के सरगना पीके उर्फ नीलेश सिंह की तलाश में जुटी है. पटना पुलिस की एक विशेष टीम सॉल्वर गैंग के मामले में काम कर रही है. इसी टीम ने कुछ दिन पहले हाजीपुर में छापेमारी भी की है. सूत्रों के अनुसार पीके के करीबियों से पूछताछ में पता लगा कि वह परिवार के साथ कोलकाता की ओर भागा है. उसने अपने सारे मोबाइल फोन भी बंद कर रखे हैं.
खगड़िया और जहानाबाद से विकास कुमार महतो और राजू कुमार की गिरफ्तारी के बाद पहली बार पीके की तस्वीर यूपी पुलिस के हाथ लगी है. इसके अलावा पटना के कई बड़े कोचिंग संस्थान, जो मेडिकल की तैयारी कराते हैं, उनके छात्रों की तस्वीर व उनका पूरा डिटेल पुलिस को मिला है. किसी में पेड, तो किसी में ड्यूज लिखा है. सूत्रों की मानें तो पेड यानी कैंडिडेट ने पूरा पैसा पेमेंट किया था, ड्यूज यानी कैंडिडेट का पैसा अभी बाकी है.
पीके ने पाटलिपुत्र में चार मंजिला आलीशान मकान बनवा रखा है. उस मकान के आसपास के पड़ोसी उसे पीके नहीं, बल्कि निलेश कुमार के नाम से जानते हैं. पड़ोसियों के लिए वह निलेश है और वह अपने आप को डॉक्टर बताता है. उधर, सॉल्वर गैंग उसे पीके के नाम से जानता है. महंगी गाड़ियों का शौकीन पीके अपनी कॉलोनी के लोगों को खुद को डॉक्टर बताता था. हालांकि, कॉलोनी के किसी भी व्यक्ति को यह नहीं पता कि पटना में उसका नर्सिंग होम कहां है.
सारण जिले के सेंधवा गांव स्थित पीके के घर पुलिस गयी, तो पता लगा कि वहां उसने अपने करीबियों को बता रखा है कि वह बिजनेसमैन है. उसके गैंग के सभी सदस्य फर्जी आइडी पर लिये गये सिम कार्ड का उपयोग करते हैं. एक सिम का एक हफ्ते से ज्यादा इस्तेमाल नहीं किया जाता है. बातचीत के लिए वाट्स एप मैसेज और कॉल का सहारा लिया जाता था.
Posted by Ashish Jha