बाल विवाह और दहेज प्रथा जैसी कुरीति के खिलाफ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा चलाये गये सामाजिक अभियान का असर दिखने लगा है. पिछले पांच साल के दौरान राज्य में बाल विवाह में गिरावट दर्ज हुई है. शनिवार को स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (एनएचएफएस-5) 2019-20 की रिपोर्ट में बताया गया है कि बिहार में 18 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों की शादी में करीब दो प्रतिशत तो 21 वर्ष से कम उम्र के लड़कों की शादी में करीब पांच प्रतिशत की कमी आयी है. रिपोर्ट में महिला विकास के कई मानकों में सुधार के संकेत मिले हैं.
रिपोर्ट में एनएचएफएस-4 (2015-16) से तुलनात्मक आंकड़े जारी किये गये हैं. इसमें बताया गया है कि बिहार में 18 वर्ष से कम उम्र की 40.8 फीसदी लड़कियों की शादी हो रही है, जो 2015-16 में 42.5 प्रतिशत होती थी. इसी प्रकार 21 वर्ष से कम उम्र के 30.5 प्रतिशत लड़कों की शादी हो रही. चार साल पहले यह आंकड़ा 35.3 प्रतिशत था.
रिपोर्ट के अनुसार महिला शिक्षा में भी सुधार हुआ है. राज्य में 10 साल तक स्कूली शिक्षा पानेवाली लड़कियों की संख्या 28.8 फीसदी हो गयी है. पिछले सर्वे में यह आंकड़ा महज 22.8 फीसदी था. राज्य में 57.8 फीसदी लड़कियां नौवीं तक की शिक्षा प्राप्त कर चुकी हैं. अभी राज्य की 20.6 फीसदी महिलाएं इंटरनेट का प्रयोग कर रही हैं.
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शनिवार को जारी रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में 20.6 फीसदी महिलाएं और 43.6 प्रतिशत पुरुष इंटरनेट चलाते हैं. शहरी क्षेत्रों की 38.4 महिलाएं और ग्रामीण क्षेत्र की 17 फीसदी महिलाएं इंटरनेट का इस्तेमाल कर रही हैं, जबकि शहरी क्षेत्र में 58.4 और ग्रामीण क्षेत्र में 39.4 पुरुष इंटरनेट चला रहे हैं.
राज्य में महिला हिंसा में भी कमी आयी है. रिपोर्ट में बताया गया है 18-49 वर्ष की 40 फीसदी महिलाएं पतियों द्वारा की गयी घरेलू हिंसा की शिकार हो रही हैं. चार साल पहले यह आंकड़ा 43.7 फीसदी था.
रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में लिंगानुपात में कुछ सुधार हुआ है. बिहार की कुल आबादी में प्रति एक हजार पुरुषों पर शहरी क्षेत्रों में महिलाओं का प्रतिशत 982 और ग्रामीण क्षेत्रों में 1111 है. कुल लिंगानुपात प्रति हजार आबादी पर 1090 है. 2015-16 में यह आंकड़ा 1062 था़ रिपोर्ट बताती है कि जन्म के समय लड़कियों की दर प्रति हजार लड़कों पर 908 हो गयी है. जबकि, पांच साल पहले इसी यह आंकड़ा 934 बताया गया था़
Posted By: Thakur Shaktilochan