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Organ Donation Day: बिहार में अंगदान की राह हुई आसान, पर कॉर्निया छोड़ बाकी अंगों में हम फिसड्डी

अंगदान से न केवल दूसरे की जान बचती है, बल्कि जो व्यक्ति अंग दान करते हैं, वे भी दूसरे के रूप में मौजूद होते हैं. लेकिन जागरूकता की कमी, अंधविश्वास और अन्य कारणों से अंगदान कम होता है. अंगदान के अभाव में हर वर्ष हजारों से अधिक मरीजों की जान चली जाती है. यही वजह है कि इसके प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर वर्ष 13 अगस्त को ‘विश्व अंगदान दिवस’ मनाया जाता है. अंगदान को लेकर पटना सहित पूरे बिहार में पिछले कुछ सालों में थोड़ी बहुत जागरूकता तो बढ़ी है, लेकिन यह आंकड़ा औसत से बेहद कम है.

World Organ Donation Day: पटना सहित पूरे बिहार में अंगदान की राह पहले की तुलना में आसान हुई है. स्टेट ऑर्गन एंड टिशू ट्रांसप्लांट आर्गेनाइजेशन (सोटो) ने सभी सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में नोडल अधिकारी तैनात कर काम को और आसान कर दिया है. पर इसके बावजूद अंगदान के मामले में बिहार काफी पीछे है. कॉर्निया ट्रांसप्लांट छोड़ बाकी अंग के मामले में आज भी जरूरतमंद लोगों की पूर्ति नहीं हो पा रही है.

सोटो के आंकड़ों के अनुसार बिहार में मौत के बाद अंगदान करने में पीछे होने के सबसे बड़ा कारण जागरूकता में कमी है. यहां से पूरे साल भर में महज 5-6 ऑर्गन डोनेशन ही होते है. हालांकि कॉर्निया डोनेशन में शहर के आइजीआइएमएस व पीएमसीएच अस्पताल में बढ़ोतरी हुई है. लेकिन बाकी अंगदान करने में पटना काफी पीछे है. जबकि तमिलनाडू, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात और तेलंगाना ऑर्गन डोनेशन में अव्वल है.

10 साल में सिर्फ दो अंग व 18 देहदान हुए

अंगदान को लेकर प्रदेश में अभी भी जागरूकता की कमी देखी जा रही है. बीते 10 साल में 1310 लोगों का निधन के बाद कॉर्निया दान करायी गयी है. जिसके बाद करीब 1150 अंधे लोगों को रोशनी मिल रही है. इनमें सबसे अधिक आइजीआइएमएस में 931 कॉर्निया डोनेट हुआ है. इसके अलावा बाकी सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल के नेत्र रोग विभाग शामिल हैं. लेकिन इतने साल में सिर्फ 2 अंगदान व 18 देहदान हुए हैं.

प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों में आये दिन ब्रेन डेड मरीज आते हैं. हालांकि प्रदेश में देहदान दधीचि समिति व सोटो के गठन के बाद अंगदान को लेकर धीरे धीरे जागरूकता बढ़ रही है. लेकिन अभी भी जरूरत के हिसाब से लोगों को अंग नहीं मिल पा रहे हैं. इसके पीछे सबसे बड़ा कारण जागरूकता की कमी और अंधविश्वास है.

एक ऑर्गन डोनर कितने लोगों को दे सकता है जिंदगी?

एक अंगदाता करीब 8 जिंदगियों को बचा सकता है. अंगदान में 8 अंग दान किये जाते हैं. मृत व्यक्ति की किडनी, लिवर, फेफड़ा, ह्रदय, कॉर्निया (आंखें), पैंक्रियास और आंत दान में दिया जा सकता है. साल 2014 में इस सूची में हाथ और चेहरे को भी शामिल किया गया. कोई जिंदा व्यक्ति चाहे तो वह एक किडनी, एक फेफड़ा, लिवर का कुछ हिस्सा, पैंक्रियास और आंत का कुछ हिस्सा दान कर सकता है. गंभीर बीमारियों से ग्रस्त लोग अंगदान नहीं कर सकते हैं.

अंगदान और देहदान में क्या है अंतर

अंगदान और देहदान में अंतर होता है. देहदान एनाटोमी पढ़ने के काम आता है, जबकि अंगदान किसी व्यक्ति को जीवनदान या उसके जीवन की गुणवत्ता में सुधर के लिए होता है. अंगदान दो तरीके से होता है लाइव डोनेशन और मृत्यु के बाद दान.

नामदेहदान की तारीखअस्पताल
क्षिप्रा सिंह21 मार्च 2019आइजीआइएमएस
राजेश्वर अग्रवाल30 नवंबर 2019आइजीआइएमएस
भाग्यचंद्र जैन2 फरवरी 2021आइजीआइएमएस
कुमारी वशुद्धा झा27 मार्च 2021दरभंगा मेडिकल कॉलेज अस्पताल
शिव प्रसाद महतो30 जुलाई 2021दिल्ली एम्स अस्पताल
मोहन कुमार सरकार14 अप्रैल 2021आइजीआइजीआइएमए
ओम प्रकाश गर्ग2 अप्रैल 2021आइजीआइएमएस
गुंजेश्वरी देवी2 जुलाई 2022दरभंगा मेडिकल कॉलेज अस्पताल
कालीचरण अग्रवाल8 जनवरी 2023आइजीआइएमएस

बिहार के इन दो लोगों ने किया अंगदान

  • रोहित कुमार का 18 मार्च 2020 को आइजीआइएमएस में अंगदान कराया गया. इना लिवर, किडनी व हृदय दान में लिये गये थे.
  • मनोज कुमार सिंह का 1 जुलाई 2022 को अंगदान हुआ. इन्होंने अपना लिवर दान किया था.

अंगदान करने की ये है प्रक्रिया

अंगदान के लिए ऑनलाइन फॉर्म भर कर इस प्रक्रिया में शामिल हो सकते हैं. इसके लिए www.organindia.org पर अप्लाइ किया जा सकता है. यहां रजिस्ट्रेशन के बाद एक डोनर कार्ड भेजा जाता है, जिसपर यूनिक सरकारी रजिस्ट्रेशन नंबर होता है. यह सभी प्लेज फॉर्म नोटो में रजिस्टर किये जाते हैं. इसके अलावा सोटो व आइजीआइएमएस अस्पताल में जाकर भी ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं.

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जानिए- कौन, कब कर सकता है अंगदान

देहदान दधीचि समिति के कार्यालय प्रमुख सूरज कुमार ने बताया कि अंगदान को लेकर धीरे-धीरे लोगों में जागरूकता आ रही है. समिति की ओर से अब तक 18 लोगों का अंग व देहदान कराया जा चुका है. इसके अलावा बाकी 03 हजार से अधिक लोगों ने अंगदान के लिए संकल्प पत्र भरा है. वहीं देहदान के लिए भी 1050 और नेत्रदान के लिए छह हजार से अधिक लोगों को शपथ दिलायी गयी है. समिति व सोटो संगठन की ओर से जागरूकता फैलाने का काम किया जा रहा है. आज इनके साथ सैकड़ों प्रतिनिधि जुड़े हैं जो अंगदान के प्रचार-प्रसार के कार्य में लगे हैं.

शरीर के इन अंगों को कर सकते हैं दान

अंदरूनी अंगों में गुर्दे, दिल, यकृत, अग्नाशय (पेनक्रियाज), छोटी आंत और फेफड़े. इसके अलावा त्वचा, हड्डियां, बोन मैरो और आंखें हैं. ये टिश्यू दान की श्रेणी में आते हैं. इनमें से कुछ जीवित रहते हुए भी दिए जा सकते हैं.

कैंप लगाकर लोगों को किया जाता है जागरूक  

प्रदेश में अंगदान की राह पहले की तुलना में आसान हुई है. सभी मेडिकल अस्पतालों में नोडल पदाधिकारी तैनात कर दिये गये हैं. अंगदान को लेकर सभी सरकारी व निजी अस्पतालों और कॉलेज में कैंप लगाकर अंगदान के प्रति लोगों को जागरूक किया जाता है. इसके लिए आइजीआइएमएस को नोडल सेंटर बनाया गया है.

– डॉ मनीष मंडल, चेयरमैन, सोटो बिहार.

आइजीआइएमएस में 931 ने किया नेत्रदान

आइजीआइएमएस में 931 से अधिक लोगों ने नेत्रदान किया है. जिसमें नेत्रहीनों में उजाला आया है. अंगदान से लिवर, गुर्दा समेत दूसरी बीमारी से जूझ रहे मरीजों को जान बचाने में मदद मिली है. किडनी को 6 से 12 घंटे, लिवर को 6 घंटे, दिल को 4 घंटे, फेफड़े को 4 घंटे, पैंक्रियाज 24 घंटे और टिश्यू को 5 साल तक सुरक्षित रखा जा सकता है.  

– डॉ विभूति प्रसन्न सिन्हा, उपनिदेशक आइजीआइएमएस.

इसलिए मनाते हैं अंगदान दिवस

किसी व्यक्ति की जान बचाने में अंगदान महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. अब किसी भी उम्र का व्यक्ति अपने अंगों का दान कर सकता है. मृत्यु उपरांत व्यक्ति के स्वस्थ अंगों से कई लोगों को अभयदान प्राप्त होता है. वर्तमान समय में लोग अंग दान के महत्व को समझकर अपने अंगों का दान कर रहे हैं.  

– प्रो डॉ निलेश मोहन, नेत्र रोग विशेषज्ञ व आई बैंक के इंचार्ज, आइजीआइएमएस

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