Paper Leak Case: पटना. सिपाही भर्ती परीक्षा के पेपर लीक मामले में केंद्रीय चयन पर्षद के तत्कालीन अध्यक्ष और बिहार के पूर्व डीजीपी एसके सिंघल गिरफ्तार हो सकते हैं. इस मामले की जांच कर रही ईओयू ने केंद्रीय चयन पर्षद के तत्कालीन अध्यक्ष सह पूर्व डीजीपी सिंघल को दोषी पाया है. ईओयू ने उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की है. एडीजी ने डीजीपी को इस संबंध में पत्र भेजा है. पत्र में उन पर लापरवाही और नियमों की अनदेखी के आरोप लगाये गये हैं. इस अनुशंसा के मद्देनजर अब डीजीपी और राज्य सरकार को अंतिम रूप से निर्णय लेना है.
इओयू की रिपोर्ट में एसके सिंघल पर मोटी रकम लेने का आरोप
इओयू की ओर से कोर्ट में दाखिल की गई चार्जशीट में कहा गया है कि बिहार के पूर्व डीजीपी और केंद्रीय चयन पर्षद (सिपाही भर्ती) के तत्कालीन अध्यक्ष एसके सिंघल ने मोटी रकम ली है. यह पैसा प्रिंटिंग प्रेस मालिक से कमीशन के रूप में लिया गया. इओयु की ओर से कोर्ट में दाखिल चार्जशीट में इसका जिक्र है. इसके साथ ही ईओयू ने यह भी पाया है कि पर्षद के तात्कालिक अध्यक्ष ने लापरवाही के अलावा नियमों एवं मानकों की अनदेखी की. उन्होंने अपने दायित्वों का सही ढंग से निर्वहन नहीं किया, जिसकी वजह से परीक्षा की गोपनीयता और सत्यनिष्ठा को बनाए रखने के लिए निर्धारित मानकों की अनदेखी की गई. इस कारण पेपर लीक हुआ था.
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सिंघल के जबाव से संतुष्ट नहीं जांच एजेंसी
सिंघल ने एक कमरे में चलने वाली प्रिंटिंग प्रेस ‘कालटेक्स मल्टीवेंचर’ को 10% कमीशन लेकर प्रश्नपत्र छापने का ठेका फिजिकल वैरिफिकेशन किए बिना ही दे दिया था. हालांकि, इसको लेकर एसके सिंघल से पूछताछ की गई है. लेकिन, मामले की जांच कर रही ईओयू सिंघल के जवाब से संतुष्ट नहीं हैं. इतना ही नहीं बल्कि ब्लेसिंग सेक्सयोर के निदेशक कौशिक कर और कालटेक्स के निदेशक सौरभ बंदोपाध्याय ने अपने बयान में इस बात को स्वीकारा है कि 2022 में मद्यनिषेध सिपाही भर्ती का विज्ञापन निकला था, तब दोनों तत्कालीन अध्यक्ष से मिले थे. कंपनी कालटेक्स को इस शर्त पर ठेका दिया गया कि हमें 10% कमीशन देना होगा. तत्कालीन अध्यक्ष ने कालटेक्स के साथ एक साल का करार किया. इसी दौरान 2023 में सिपाही बहाली का विज्ञापन निकला.