Patna High Court : पटना. पटना हाइकोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण आदेश में यह कहा है कि केवल ब्रेथ एनालाइजर टेस्ट शराब सेवन का निर्णायक प्रमाण नहीं माना जा सकता है. न्यायाधीश बिबेक चौधरी की एकलपीठ ने प्रभाकर कुमार सिंह की रीट याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया. हाइकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा पूर्व में पारित फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि रक्त और मूत्र परीक्षण किए बगैर केवल ब्रेथ एनालाइजर टेस्ट की रिपोर्ट यह साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं है कि संबंधित व्यक्ति ने शराब का सेवन कर रखा है.
2018 में लगा था शराब सेवन के आरोप
सुपौल स्थित एसडीओ कार्यालय के लिपिक प्रभाकर कुमार सिंह को पांच फरवरी 2018 को शराब सेवन करने के आरोप में पुलिस ने गिरफ्तार किया था. बाद में सेवा संहिता का हवाला देते हुए उसे पद से निलंबित कर दिया गया और उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू कर दी गयी. विभागीय कार्रवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि उपरोक्त समय पर वह सर्दी और खांसी से पीड़ित था और उसने अल्कोहल युक्त कफ सिरप लिया था. और केवल संदेह के आधार पर उसे गिरफ्तार किया गया था.
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बर्खास्तगी का आदेश निरस्त
इस मामले में प्रभाकर सिंह की गिरफ्तारी के बाद चिकित्सा अधिकारी या किसी अन्य प्राधिकारी ने अल्कोहल की जांच के लिए उसके रक्त और मूत्र के नमूने नहीं लिये थे. लेकिन विभागीय कार्रवाई में उनकी कारणपृच्छा को स्वीकार योग्य नहीं मानते हुए उन्हें दोषी ठहराया कर बर्खास्त कर दिया गया. हाइकोर्ट ने याचिकाकर्ता के बर्खास्तगी आदेश को निरस्त करते हुए कहा कि केवल ब्रेथ एनालाइजर टेस्ट शराब सेवन का निर्णायक प्रमाण नहीं माना जा सकता है.