पटना हाईकोर्ट की जानी मानी महिला अधिवक्ता और एडवोकेट्स एसोसिएशन की उपाध्यक्ष छाया मिश्र ने पिछले चुनावों की तरह इस बार भी सभी राष्ट्रीय और क्षेत्रीय राजनीतिक दलों द्वारा वकीलों की समस्याओं पर ध्यान नहीं दिए जाने पर खेद व्यक्त किया है. उन्होंने कहा कि अधिवक्ता न्यायपालिका का एक महत्वपूर्ण स्तंभ हैं और वे संविधान की रक्षा और गरीबों को न्याय दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. फिर भी पिछले चुनाव की तरह इस बार भी सभी राष्ट्रीय और क्षेत्रीय राजनीतिक दल वकीलों की समस्या पर चुप हैं.
देश में 15 लाख से अधिक अधिवक्ता
छाया मिश्र ने कहा कि उन्होंने सभी राजनीतिक दलों के चुनावी घोषणा पत्रों का अध्ययन किया, लेकिन वकीलों से संबंधित कोई भी वादा या योजना उनमें शामिल नहीं थी. उन्होंने बताया कि पूरे देश में 15 लाख से अधिक अधिवक्ता हैं, जो विभिन्न बार काउंसिल में पंजीकृत हैं. इनकी पेशेवर कठिनाइयों पर मुख्य न्यायाधीशों ने भी चिंता व्यक्त की थी. उच्च न्यायालय से लेकर सब डिविजनल स्तर के न्यायालयों में वकीलों को बुनियादी सुविधाओं से वंचित किया जा रहा है.
यूनिफॉर्म बदलने की मांग
छाया मिश्र ने कहा कि हाल ही में पटना जिला न्यायालय परिसर में बिजली के ट्रांसफार्मर के नीचे खुले आसमान के नीचे काम करने वाले तीन वकीलों की जलकर मौत हो गई थी. उन्होंने कहा कि भयानक गर्मी में भी वकीलों को कूलर की सुविधा उपलब्ध नहीं है. उन्हें काले पोशाक में काम करना पड़ता है, जबकि समय की मांग है कि अब ब्रिटिश कालीन यूनिफॉर्म की जगह सफेद कपड़ों की अनुमति दी जाए.
छाया मिश्र ने दुख व्यक्त करते हुए कहा कि बहुप्रतीक्षित जीवन बीमा, मेडिकल इंश्योरेंस और सुरक्षा कानून जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी किसी भी राजनीतिक दल ने ध्यान नहीं दिया है. उन्होंने कहा कि वकीलों ने भारत की स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. महात्मा गांधी, राजेंद्र प्रसाद, जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल और गोपाल कृष्ण गोखले जैसे महान नेता वकील थे. उन्होंने आग्रह किया कि “अमृत काल” में वकीलों की समस्याओं पर राजनीतिक दल चुनाव प्रक्रिया के बाद भी ध्यान दें.