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PM Modi’s Make in India : मालगाड़ी लेकर दौड़ी 12,000 हॉर्स पावर की इंजन, रूस, चीन, फ्रांस, जर्मनी जैसे देशों की श्रेणी में भारत शामिल

पटना : बिहार के मधेपुरा में निर्मित 12,000 हॉर्स पावर का इंजन डब्ल्यूएजी 12बी पूर्व मध्य रेलवे के उत्तर प्रदेश स्थित पंडित दीनदयाल उपाध्याय डिवीजन से झारखंड के धनबाद डिवीजन तक चली. इसके साथ ही भारत का नाम रूस, चीन, फ्रांस, जर्मनी और स्वीडन सहित उन देशों की फेहरिस्त में भारत शामिल हो गया, जिनके पास 12,000 हॉर्स पावर या इससे ज्यादा की क्षमता वाला विद्युत रेल इंजन है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के मेक इन इंडिया के सपने को साकार करते हुए 12000 पहला शक्तिशाली और उच्च गति में सक्षम लोकोमोटिव भारतीय रेलवे के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है. मालूम हो कि भारतीय रेल के पास अब तक सबसे क्षमतावान रेल इंजन 6,000 हॉर्स पावर का रहा है.

पटना : बिहार के मधेपुरा में निर्मित 12,000 हॉर्स पावर का इंजन डब्ल्यूएजी 12बी पूर्व मध्य रेलवे के उत्तर प्रदेश स्थित पंडित दीनदयाल उपाध्याय डिवीजन से झारखंड के धनबाद डिवीजन तक चली. इसके साथ ही भारत का नाम रूस, चीन, फ्रांस, जर्मनी और स्वीडन सहित उन देशों की फेहरिस्त में भारत शामिल हो गया, जिनके पास 12,000 हॉर्स पावर या इससे ज्यादा की क्षमता वाला विद्युत रेल इंजन है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के मेक इन इंडिया के सपने को साकार करते हुए 12000 पहला शक्तिशाली और उच्च गति में सक्षम लोकोमोटिव भारतीय रेलवे के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है. मालूम हो कि भारतीय रेल के पास अब तक सबसे क्षमतावान रेल इंजन 6,000 हॉर्स पावर का रहा है.

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फ्रांसीसी कंपनी के सहयोग से बना 12,000 हॉर्स पावर का इंजन

फ्रांसीसी कंपनी ऑल्सटाम के निवेश के साथ संयुक्त उद्यम से बना मधेपुरा का यह रेल इंजन प्रतिघंटा अधिकतम 120 किलोमीटर की रफ्तार से भारी ढुलाई करने में सक्षम है. इस नवनिर्मित रेल इंजन से मालगाड़ियों की रफ्तार और उनकी माल ढुलाई की क्षमता में सुधार आयेगा. इलेक्ट्रिक रेल इंजन बनानेवाले मधेपुरा रेल कारखाना में तैयार एक इंजन की लागत करीब 25 करोड़ रुपये बतायी जा रही है.

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इंजन के रखरखाव के लिए यूपी और महाराष्ट्र में स्थापित किये गये डिपो

नये इंजनों के रखरखाव के लिए उत्तर प्रदेश के सहारनपुर और महाराष्ट्र के नागपुर में दो रेल इंजन रखरखाव डिपो स्थापित किये गये हैं. इन परियोजनाओं पर रेलवे ने कुल 1,300 करोड़ रुपये खर्च किये हैं. मधेपुरा में तैयार इलेक्ट्रिक इंजन को इन्हीं डीपो में रखने की व्यवस्था है. मालूम हो कि रेल इंजन कारखाना को लेकर नवंबर 2015 में भारत और फ्रांस के बीच करार हुआ था. यह रेलवे में पहला प्रत्यक्ष विदेशी निवेश यानी एफडीआइ है.

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कोहरे में भी कम नहीं होगी इंजन की रफ्तार

मधेपुरा रेल इंजन कारखाना में तैयार इस इंजन की खास बात यह है कि इसकी रफ्तार कोहरे में भी कम नहीं होगी. इंजन में ऐसी तकनीक का इस्तेमाल किया गया है कि कोहरे में भी इंजन की स्पीड कम नहीं होगी. इससे कम समय में सामान एक जगह से दूसरे जगह पर पहुंचाया जा सकेगा.

माल ढुलाई की गति में आयेगी तेजी

अभी देश में 6000 हॉर्स पावर के इलेक्ट्रिक इंजन का इस्तेमाल किया जाता रहा है. यह मात्र 50 किलोमीटर की औसत गति से ही बोगियों को खींच पाती हैं. इस नये इंजन से 120 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से मालगाड़ी पटरी पर दौड़ सकेगी. 12,000 हॉर्स पावर की क्षमतावाली इंजन ट्रेन को 200 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलाने में सक्षम होगी. साथ ही पहाड़ी इलाकों में चलनेवाली कई ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाने के लिए दो-दो इंजनों का इस्तेमाल करना पड़ता है. इस नये इंजन से दो की जगह एक ही इंजन से काम किया जा सकेगा

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