बिहार म्यूजियम का ‘सोविनियर शॉप’ बिहार के लोक कलाओं और समकालीन कलाकारों के उत्पादों को उचित मूल्य दिलाकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में काफी मदद कर रहा है. यहां देश-विदेश से घूमने आने वाले दर्शकों और कला मर्मज्ञों की मांग को देखते हुए संरक्षित मूर्तियों की प्रतिकृति के साथ-साथ बिहार की समृद्ध लोक कलाओं को रखा गया है.
शॉप में रखे गये कलाकारों के उत्पाद न सिर्फ देश में, बल्कि विदेशों में भी अपनी खास पहचान बना रहे हैं. पिछले साल म्यूजियम बिनाले के तहत इसका उद्घाटन किया था, जिसका मकसद बिहार की लोक कलाओं और कलाकारों के उत्पादों को मंच प्रदान करना है. यहां मिथिला पेंटिंग, टिकुली, मंजुषा, कन्या पुत्री, भागलपुरी सिल्क बावन बूटी, सिक्की कला समेत कई कलाओं से जुड़े उत्पाद हैं.
शॉप में हैं बिहार के 200 कलाकारों के उत्पाद
संग्रहालय के अपर निदेशक अशोक कुमार सिन्हा ने बताया कि इस सोविनियर शॉप में पटना और अन्य जिलों के 200 कलाकारों के उत्पाद यहां मौजूद है. जिलों से जुड़े वैसे कलाकारों के उत्पादों को शामिल किया गया है, जो शहर से दूर रहते हैं. आज उन्हें एक मंच के साथ रोजगार का मौका मिला है. साल 2010 में हैंडीक्राफ्ट्स को लेकर कोई ऐसा आउटलेट नहीं था. पर समय के साथ अब लोगों का रुझान लोक कला के प्रति बढ़ा है. साथ ही खादी मॉल, बिहार संग्रहालय और मौर्यालोक जैसी जगहों पर सोविनियर शॉप बनाये गये हैं.
संग्रहालय में पहले उपेन्द्र महारथी संस्थान की ओर से सोविनियर शॉप चलता था, जो बाद में बंद हो गया. इसके बाद पिछले साल महानिदेशक अंजनी कुमार सिंह ने इसे यहां पर दोबारा से स्थापित किया, ताकि बिहारी कलाकारों को रोजगार मिल सके. पटना से 50 कलाकार और अन्य जिलों से 150 कलाकार जुड़ कर इसके लिए कार्य करते हैं.
दुनियाभर में मिल रही खास पहचान
हाल ही में टिकुली आर्ट में अशोक विश्वास को पद्मश्री से नवाजा गया है. उनके द्वारा बनाये गये उत्पाद भी यहां के सोविनियर शॉप में मौजूद है. उन्होंने बताया कि सोविनियर शॉप की वजह से कई कलाकारों को पहचान मिल रही है. साथ ही उनकी कला को लेकर एक बड़ा मंच मिला है. यहां से उनके उत्पाद दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में जा रहे हैं. रोजगार के साथ-साथ कई कलाकारों को दोबारा से उनकी कला को प्रदर्शित करने का मौका मिल रहा है.