पटना : बिहार के प्राइमरी स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए किये जानेवाले शिक्षक नियोजन प्रक्रिया को पटना हाई कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. कोर्ट ने राज्य के प्राथमिक विद्यालयों में बड़े पैमाने पर करीब 94 हजार शिक्षकों की बहाली प्रक्रिया पर फिलहाल रोक लगाते हुए राज्य सरकार से चार सितंबर तक जवाब तलब किया है. कोर्ट ने राज्य सरकार को बताने को कहा है कि विज्ञापन निकालने के बाद क्या नियमों में बदलाव हो सकता है. साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि नियोजन की अंतिम चयन सूची को कोई भी नियोजन इकाई जारी नहीं करेगी.
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जानकारी के मुताबिक, पटना हाई कोर्ट ने बिहार के प्रारंभिक स्कूलों में बड़े पैमाने पर होनेवाली शिक्षक बहाली प्रक्रिया पर फिलहाल रोक लगाते हुए राज्य सरकार से चार सितंबर तक जवाब तलब किया है. मामले की अगली सुनवाई चार सितंबर को होगी.
पटना हाई कोर्ट के जस्टिस न्यायाधीश डॉ अनिल कुमार उपाध्याय की एकलपीठ ने नीरज कुमार और अन्य द्वारा दायर रिट याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया है. याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया है कि राज्य सरकार ने 15 जून, 2020 को आदेश पारित कर कहा है कि दिसंबर, 2019 में सीटीईटी पास उम्मीदवार परीक्षा में नहीं भाग ले सकते हैं.
साथ ही अदालत को बताया गया कि इस परीक्षा के माध्यम से पूरे राज्य में लगभग 94,000 शिक्षकों की बहाली की प्रक्रिया चल रही है. इसके बाद अदालत ने राज्य सरकार को यह बताने को कहा है कि विज्ञापन निकालने के बाद क्या नियमों में बदलाव हो सकता है.
मालूम हो कि बिहार सरकार ने पिछले साल 94,000 प्रारंभिक शिक्षकों की भर्ती के लिए नोटिफेशन जारी किया था. इन पदों के लिए एनआइओएस से डीएलएड कोर्स करनेवाले निजी स्कूलों के शिक्षकों ने भी आवेदन किया. राज्य सरकार ने एनसीटीई से पूछा कि ये आवेदक इस भर्ती के लिए योग्य हैं या नहीं. इसके जवाब में एनसीटीई ने कोर्स को अयोग्य करार दिया था.
इसके बाद निजी स्कूलों में पढ़ानेवाले शिक्षकों ने पटना हाईकोर्ट में फैसले को चुनौती दी. कोर्ट ने एनसीटीई के पात्रता नियमों को गलत बताते हुए शिक्षक भर्ती परीक्षा में शामिल होने के योग्य करार दिया था.