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उपभोक्ताओं को राहत : एक अप्रैल से बिजली दर में कटौती, बिजली खपत कम करने पर मिलेगी और राहत

बिजली कंपनियों ने घरेलू उपभोक्ताओं और किसानों को राहत दी है. अब बिजली दर 10 पैसा प्रति यूनिट कम लगेगा. साथ ही प्रीपेड वाले उपभोक्ताओं के लिए 50 रुपये और पोस्टपेड उपभोक्ताओं के लिए 20 रुपये मीटर का किराया था, जो एक अप्रैल से खत्म हो जायेगा. वहीं, कृषि आधारित उद्योग के लिए एक हजार की जगह पांच सौ किलोवाट अनिवार्य कर दिया गया है.

पटना : बिजली कंपनियों ने बिहार के घरेलू उपभोक्ताओं और किसानों को बड़ी राहत देते हुए बिजली दर में 10 पैसे प्रति यूनिट की कटौती की घोषणा की है. साथ ही बिजली उपभोक्ताओं से अब मीटर का किराया भी नहीं लिया जायेगा. बिहार विद्युत विनियामक आयोग के अध्यक्ष एसके नेगी, सदस्य राजीव अमित और आरके चौधरी ने संयुक्त रूप से शुक्रवार को फैसला सुनाते हुए कहा है कि आयोग का निर्णय एक अप्रैल, 2020 से 31 मार्च, 2021 तक के लिए बिहार के सभी बिजली उपभोक्ताओं पर लागू होगा.

प्रीपेड और पोस्टपेड उपभोक्ताओं का मीटर किराया एक अप्रैल से खत्म

पहले मीटर का किराया प्रीपेड वाले उपभोक्ताओं के लिए 50 रुपये और पोस्टपेड उपभोक्ताओं के लिए 20 रुपये था. यह एक अप्रैल से खत्म हो जायेगा. आयोग के उपसचिव लक्ष्मण भगत ने कहा कि कुटीर ज्योति और ग्रामीण घरेलू सेवा में मीटर रहित उपश्रेणी को हटा दिया गया है. इस श्रेणी के सभी उपभोक्ताओं के मीटर लगाना अनिवार्य है. साथ ही ग्रामीण घरेलू सेवा, ग्रामीण गैर घरेलू सेवा और कृषि और सिंचाई सेवाओं के तहत जिन उपभोक्ताओं के यहां मीटर काम कर रहे हैं, उनको बिजली की मांग के आधार पर शुल्क देना होगा.

बिजली खपत कम करने पर उपभोक्ताओं को मिलेगी और राहत

बिजली उपभोक्ताओं को कनेक्शन लेने के लिए तय लोड से बिजली खपत कम करने पर तय लोड का 85 फीसदी शुल्क देना होता था. अब उसे घटा कर 75 फीसदी कर दिया गया है. वहीं, तय लोड से अधिक बिजली की खपत करने पर बिजली शुल्क सहित फाइन भी देना होगा. साथ ही तय लोड के लिए फिक्स चार्ज भी अब बिजली आपूर्ति के आधार पर तय होगी. बिजली आपूर्ति महीने में औसतन 21 घंटा प्रतिदिन होने पर ही तय उपभोक्ताओं को लोड पर तय फिक्स चार्ज देना होगा. बिजली आपूर्ति कम होने पर इसमें भी कमी आयेगी.

कृषि आधारित उद्योगों को लाभ

कृषि आधारित उद्योग लगाने के लिए 33 किलोवाट लाइन लेने पर पूरे साल के लिए पहले फिक्स 1000 किलोवाट की खपत अनिवार्य थी. इसके लिए कम बिजली खपत पर भी 1000 किलोवाट बिजली खपत का शुल्क देना पड़ता था. इस सीमा को घटा कर 500 किलोवाट कर दिया गया है. इसका मकसद कम बिजली खपत करने वाले कृषि आधारित उद्योगों को लाभ देना है.

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