राजद के MLC डॉ सुनील कुमार सिंह की बिहार विधान परिषद से सदस्यता समाप्त कर दी गयी है. विधान परिषद की आचार समिति की अनुशंसा शुक्रवार को पारित कर दी गयी. जिसके बाद सुनील सिंह अब विधान परिषद के सदस्य नहीं रहे. सदन में असंसदीय और अमर्यादित व्यवहार के आरोप में सुनील सिंह के खिलाफ ये कार्रवाई की गयी है. जदयू के वरिष्ठ सदस्य और मौजूदा उप सभापति डॉ रामवचन राय की अध्यक्षता वाली आचार समिति का प्रतिवेदन सदन में गुरुवार को पेश किया गया था जिसे शुक्रवार को पारित कर दिया गया.
किस मामले में की गयी कार्रवाई
विधान परिषद की सदस्यता खो चुके राजद के सुनील सिंह पर सदन के नेता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ अमर्यादित टिप्पणी का आरोप है. आरोप लगा है कि सुनील सिंह एवं मो सोहैब ने मुख्यमंत्री की मिमिक्री की और कहा कि वे 18 साल से बिना चुनाव लड़े मुख्यमंत्री बने हुए हैं. समिति ने सुनील सिंह का पक्ष जानने के लिए बार-बार बुलाया. वह चौथी बार समिति के सामने आये और उसके सदस्यों के अधिकार को लेकर सवाल खड़े कर दिये.
सदस्यता गंवाने के बाद क्या बोले सुनील सिंह
राजद नेता सुनील सिंह ने कहा कि विधान परिषद की सदस्यता साजिश के तहत छीनी गयी है . दरअसल, ये लोग नहीं चाहते कि सदन में गरीबों, अल्पसंख्यकों और बेरोजगारों की बात उठायी जाये. बिजली बिल में भ्रष्टाचार और शिक्षा के क्षेत्र के भ्रष्टाचार को सामने लाए. सुनील सिंह ने कहा कि हमारे नेता तेजस्वी यादव और राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव अब आगे इसपर फैसला लेंगे. उन्हें तय करना है कि सदन की कार्यवाही आगे चलने दी जाएगी या इस काले कानून के खिलाफ आवाज बुलंद किया जाएगा.
कौन हैं सुनील सिंह?
राजद नेता डॉ सुनील सिंह बिस्कोमान ने अध्यक्ष है. सुनील सिंह की करीबी लालू परिवार से काफी अधिक है. दोनों परिवारों के बीच के मधुर रिश्ते अक्सर दिखे हैं. सुनील सिंह को पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी अपना भाई मानती हैं और उन्हें हर वर्ष राखी भी बांधती हैं. सुनील सिंह विधान परिषद में राजद के विपक्षी दल पर अक्सर हमलावर दिखते रहे हैं.