22.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

RTE Act: शिक्षा विभाग ने मांगा नामांकन का प्रमाण तो क्लेम से बच रहे निजी स्कूल

RTE Act : राइट टू एजुकेशन (आरटीइ) के तहत प्राइवेट स्कूलों में कमजोर वर्ग के बच्चों के नामांकन लेना होता है, इसके तहत सरकार उन्हें आर्थिक मदद देती है. बिहार में ऐसे निजी स्कूल जो पहले इस योजना के तहत काफी बच्चों का नामांकन करते थे, लेकिन जब से शिक्षा विभाग का बच्चों का सत्यापन शुरू किया है, स्कूलों ने क्लेम करना ही छोड़ दिया है.

RTE Act: राजदेव पांडेय, पटना. राइट टू एजुकेशन (आरटीइ) के तहत प्राइवेट स्कूलों में कमजोर वर्ग के बच्चों के नामांकन में गड़बड़ी के प्रारंभिक संकेत मिले हैं. बात यह है कि स्कूल जितने बच्चों को नामांकित करने का दावा कर रहे हैं, धरातल पर उतने बच्चों को प्रवेश दिख नहीं रहे हैं. दरअसल इस आशंका को जमीन प्राइवेट स्कूलों के रवैये ने खुद तैयार की है. प्राइवेट स्कूलों का दावा है कि उन्होंने शैक्षणिक सत्र 2023-24 में 18 हजार से अधिक बच्चों को प्रवेश दिये हैं, लेकिन इन स्कूलों में भुगतान का क्लेम करने वालों की संख्या बेहद कम है.

विभाग कर रहा है नामांकन का सत्यापन

सामने आ रही परिस्थितियों के मद्देनजर विभाग ने प्राइवेट स्कूलों से साफ कर दिया है कि स्कूलों को राशि देने से पहले वह नामांकित बच्चों का सत्यापन करेगा. उसे नामांकन से जुड़े दस्तावेज दिखाने होंगे. आधिकारिक जानकारी के मुताबिक शिक्षा विभाग आरटीइ के तहत नामांकन की एवज में प्रति बच्चा/ प्रति वर्ष 11869 रुपये के हिसाब से प्राइवेट स्कूलों को भुगतान करता है. स्कूलों को आरटीइ के तहत भुगतान पाने के लिए स्कूलों को ज्ञानदीप पोर्टल पर ही आवेदन करना है. इस पारदर्शिता की वजह से उन्हें क्लेम की दावेदारी में दिक्कत आ रही है.

नामांकन को लेकर अनियमितता

कमजोर वर्ग के बच्चों के बेहतर शिक्षा के हक को छीनने में लगे निजी स्कूलों की इस कारस्तानी की पोल इस शैक्षणिक सत्र के एडमिशन में भी खुलती दिख रही है. राइट टू एजुकेशन (आरटीइ) के तहत ज्ञानदीप पोर्टल पर चल रही नामांकन प्रक्रिया में राज्य के 11028 हजार स्कूलों में अभी तक करीब केवल 17 हजार ही आवेदन आये हैं. जानकारों के मुताबिक यह आंकड़े अविश्वसनीय हैं. यह आंकड़े प्रति स्कूल दो बच्चों के भी नहीं हैं. दरअसल यह संख्या कई गुना अधिक होनी चाहिए थी. हालांकि, नामांकन कराने की तिथि में इजाफा किया गया है. शैक्षणिक सत्र 2023-24 करीब 22 हजार से अधिक बच्चों के आरटीइ के तहत आवेदन आये थे. हालांकि, यह प्राइवेट स्कूलों में होने कुल नामांकन की तुलना में 30 प्रतिशत भी नहीं हैं.

विभाग ने इस बार आरटीइ के दायरे में स्कूलों की संख्या बढ़ायी

आरटीइ के दायरे में इस साल अब तक के सर्वाधिक 11 हजार से अधिक स्कूल दर्ज हो चुके हैं. हालांकि , बच्चों को आरटीइ के तहत नामांकन देने वाले स्कूलों की संख्या बेहद सीमित ही रही है. उदाहरण के लिए शैक्षणिक सत्र 2022-23 कुल नामांकित 10005 प्राइवेट स्कूलों में से 6141 स्कूलों ने ही आरटीइ के तहत बच्चों को एडमिशन दिये थे. शैक्षणिक सत्र 2021-22 में 10338 में से केवल 3360, 2020-21 में 9094 में से 6286, 2019-20 में 8776 में से 5830, 2018-19 में 7125 में से 4495, 2017-18 में 5344 में से 3874 और 2016-17 में 4905 प्राइवेट स्कूलों में से केवल 3607 स्कूलों ने ही आरटीइ के तहत नामांकन लिए थे. इस तरह औसतन हर साल 30 से 40 फीसदी स्कूल आरटीइ के तहत नामांकन नहीं लेते हैं.

Also Read: Electricity In Bihar: नबीनगर सुपर थर्मल के विस्तार को मंजूरी, 800 मेगावाट की लगेंगी तीन नयी इकाइयां

क्या कहते हैं निदेशक

प्राथमिक शिक्षा के निदेशक मिथिलेश मिश्र कहते हैं कि आरटीइ के तहत नामांकन देने वाले स्कूलों में से अपना पैसा क्लेम करने वाले स्कूलों की संख्या बेहद कम है. यह चिंता में डालने वाली बात है. हालांकि अब हम स्कूलों को भुगतान तभी करेंगे , जब हम नामांकित बच्चों का सत्यापन कर लेंगे. स्कूलों से कहा है कि वह लाभान्वित बच्चों से संबंधित जानकारी विभाग को मुहैया कराये. इधर पोर्टल के जरिये अभी तक नामांकन के लिए आवेदन बेहद कम हैं. हम आरटीइ के तहत अधिकतम बच्चों के नामांकन कराने के लिए प्रतिबद्ध हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें