पटना. डाक विभाग में ग्रामीण डाकसेवक की नियुक्ति में एक बड़ा मामला सामने आया है. चयनित उम्मीदवारों में से लगभग 40% के मैट्रिक परीक्षा के अंक 95% से अधिक पाये गये है. इसको लेकर डाक विभाग को फर्जीवाड़े का शक हुआ. इसके बाद विभागीय स्तर पर जांच शुरू हो गयी है. डाक विभाग से मिली जानकारी के अनुसार पिछले साल अप्रैल में बिहार पोस्टल सर्किल ने बिहार ग्रामीण डाक सेवक भर्ती-2021 के तहत 1940 पदों पर नियुक्ति के लिए आवेदन मांगा था. आवेदन फाॅर्म ऑनलाइन करना था. इसके लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता मैट्रिक थी.
अब शैक्षणिक दस्तावेजों की जांच के दौरान पता चला कि लगभग 40 % सफल उम्मीदवारों को मैट्रिक में 95% से अधिक अंक मिले हैं. वरीय अधिकारियों के अनुसार ऐसे सफल उम्मीदवार तमिलनाडु, यूपी और झारखंड से मैट्रिक की परीक्षा पास की है. अधिकारियों की मानें, तो तमिलनाडु और झारखंड में मैट्रिक की परीक्षा देना ही शंका पैदा करता है. इसलिए इन राज्यों से मैट्रिक पास उम्मीदवारों की जांच चल रही है. मालूम हो कि ग्रामीण डाक सेवक भर्ती-2021 का रिजल्ट इस वर्ष जनवरी में जारी किया गया था.
वहीं, दूसरी ओर डाक विभाग बिहार सर्किल की ओर से अन्य सफल उम्मीदवारों को ज्वाइनिंग लेटर डिवीजन को भेजा जा चुका है, लेकिन डिवीजन स्तर पर अब तक उम्मीदवारों की ज्वाइनिंग नहीं कराया गया है. जबकि बिहार सर्किल की ओर से डिवीजन को बार- बार इस पर कार्रवाई करने का निर्देश कई बार भेजा गया है, लेकिन किसी तरह की पहल नहीं की जा रही है.
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वहीं, पिछले सात साल (2014 से 2021) में बिहार सर्किल में अनुकंपा के आधार पर लगभग 100 लोगों की हुई नियुक्ति में गड़बड़ी होने का भी मामला प्रकाश में आया है. इसके बाद डाक विभाग की केंद्रीय टीम निगरानी विभाग के निदेशक जगदीप गुप्ता के नेतृत्व में पटना में तीन दिन तक नियुक्त कर्मचारियों के दस्तावेजों की जांच की. गुप्ता के साथ एजी रवि पहवा और एडीजी रवि मिट्ठा ने दस्तावेज की जांच की. मिली जानकारी के अनुसार जल्द ही गलत दस्तावेज प्रस्तुत करने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जायेगी.