समाजवादी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव का अस्थि कलश मधेपुरा लाया जायेगा और वहां आम लोगों के दर्शन के बाद वहीं जमीन में दबाया जायेगा. सोमवार को शरद यादव के पुत्र शांतनु और पुत्री सुभाषिनी ने यह जानकारी दी. दोनों ने बताया कि उनके पिता का मानना था कि लड़का और लड़की में फर्क नहीं होना चाहिए और उन्हें बराबर का अधिकार मिलना चाहिए. वो कहते थे कि जब भी उनका अंतिम संस्कार हो और मुखाग्नि दी जाए , तो उनके बेटी और बेटा दोनों ही इसमें शरीक हों और दोनों अपने हाथों से मुखाग्नि दें. उनकी इच्छा के अनुसार ही दोनों भाई और बहन ने मिलकर उन्हें मुखाग्नि दी.
शांतनु और सुभाषिनी ने बताया कि शरद यादव की हमेशा से एक इच्छा रही थी कि जब भी उनका देहावसान हो, तो उनकी अस्थियों को नदी में बहाने की बजाय उनकी जन्मभूमि बाबई और कर्मभूमि मधेपुरा में जमीन के अंदर दबा दिया जाये. उनका मानना था कि अस्थियों को नदी में बहाने से वह दूषित होती है और यह प्रकृति के खिलाफ है. उनकी भावनाओं के अनुरूप अस्थियों को दो कलशों के अंदर संग्रह किया गया है.
एक कलश उनके पैतृक गांव में जहां उनका दाह-संस्कार हुआ है वहां स्थापित कर दिया गया. दूसरे कलश को उनकी कर्मभूमि मधेपुरा पटना से सड़क मार्ग द्वारा मंडल मसीहा के समर्थकों के अंतिम दर्शन हेतु लेकर जाया जायेगा. इसके बाद मधेपुरा में कलश को जमीन के अंदर स्थापित किया जायेगा. दोनों ने बताया कि शरद यादव की इच्छा के अनुरूप मृत्यु भोज कार्यक्रम नहीं रखा गया है. इसके बदले दिल्ली में एक शोक बैठक का आयोजन किया जायेगा.
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पटना साइंस कॉलेज में विद्यार्थियों ने सोमवार को शरद यादव की स्मृति में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया. इस अवसर कॉलेज के विद्यार्थियों ने शरद यादव के अधूरे सपने को पूरा करने और उनके विचारों पर चलने का संकल्प लिया. श्रद्धांजलि सभा में साइंस कॉलेज के प्राचार्य प्रोफेसर आरके मंडल, प्रोफेसर अभय यादव, प्रोफेसर सतेंद्र यादव व अन्य शिक्षक मौजूद रहे. मौके पर छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष मनीष यादव व पूर्व सचिव आजाद चांद ने कहा कि शरद यादव वंचितों की आवाज थे. मौके पर मौजूद विद्यार्थियों ने भी शरद यादव के संघर्ष और उनके विचारों को याद करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की.