22.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

जयंती पर विशेष : विकासवादी प्रशासक, प्रयोगवादी उद्योगपति और सनातनी धर्माधिकारी थे रमेश्वर सिंह

Rameshwar Singh : रमेश्वर सिंह ने अपना कॅरियर भारतीय प्रशासनिक सेवा से शुरू की और फिर वो संसदीय राजनीति में आ गये. रमेश्वर सिंह अपने कालखंड के सबसे बड़े धर्माधिकारी थे.

Rameshwar Singh: पटना. विकासवादी प्रशासक, प्रयोगवादी उद्योगपति और सनातनी राजा थे रमेश्वर सिंह की आज जयंती है. बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी रमेश्वर सिंह का जन्म 16 जनवरी 1860 में दरभंगा के राज परिवार में हुआ. अपने बड़े भाई लक्ष्मीश्वर सिंह के साथ ही उनकी पढ़ाई दरभंगा, मुजफ्फरपुर और कोशी में हुई. रमेश्वर सिंह ने अपना कॅरियर भारतीय प्रशासनिक सेवा से शुरू की और फिर वो संसदीय राजनीति में आ गये. रमेश्वर सिंह अपने कालखंड के सबसे बड़े धर्माधिकारी थे. वो बिहार के सबसे बड़े उद्योगपति थे. उन्हें बिहार में औद्योगिक युग का जनक भी कहा जाता है. उन्होंने चीनी, जूट समेत कई प्रकार के उद्योगों की स्थापना की. शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के क्षेत्र में उनका योगदान एक नजीर के रूप में उल्लेखित किया जाता है. 1900 में कैसर-ए-हिंद पदक से सम्मानित रमेश्वर सिंह को प्रवर भगीरथ समेत कई उपाधियों से नवाजा गया.

सिविल सेवा से की कॅरियर की शुरुआत

रमेश्वर सिंह ने अपने कॅरियर की शुरुआत भारतीय सिविल सेवा से की. 1878 में उनका चयन भारतीय प्रशासनिक सेवा के लिए हुआ और वो दरभंगा, छपरा और भागलपुर में सहायक जिलाधिकारी के रूप में पदस्थापित हुए. 1885 में रमेश्वर सिंह का राजनीतिक सफर शुरू हुआ. रमेश्वर सिंह बंगाल विधान परिषद के लिए वो मनोनीत हुए. 1899 में रमेश्वर सिंह को भारत के गवर्नर जनरल की काउंसिल ऑफ इंडिया का सदस्य बनाया गया. 21 सितंबर 1904 को बॉम्बे प्रांत से गोपाल कृष्ण गोखले और बंगाल प्रांत से रमेश्वर सिंह को काउंसिल ऑफ इंडिया का सदस्य नियुक्त किया गया. रमेश्वर सिंह बिहार निर्माण आंदोलन का नेतृत्व किया. बंगाल विभाजन के बाद बने बिहार-ओड़िशा के पहले गर्वनर कांउसिल के तीन सदस्यों में रमेश्वर सिंह इकलौते भारतीय सदस्य नियुक्त हुए. 1912 से 1917 तक पटना को नूतन राजधानी के रूप में विकसित करने में रमेश्वर सिंह की अहम भूमिका रही है. पटना में पार्क और पेयजल जैसी सुविधा उपलब्ध कराने के लिए उनके प्रयास उल्लेखनीय हैं.

कई संस्थाओं का किया नेतृत्व

20वीं सदी के शुरुआती 3 दशकों तक रमेश्वर सिंह ने धर्म, उद्योग, शिक्षा और सामाजिक स्तर के कई राष्ट्रीय संस्थाओं का नेतृत्व किया. रमेश्वर सिंह भारतीय उद्योग संघ के अध्यक्ष रहे. वो अखिल भारतीय लैंडहोल्डर एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे. वो भारत धर्म महामंडल के अध्यक्ष के साथ-साथ सनातन धर्म संसद के भी अध्यक्ष रहे. कलकत्ता में विक्टोरिया मेमोरियल के ट्रस्टी रहे. हिंदू यूनिवर्सिटी सोसाइटी के अध्यक्ष के रूप में उन्होंने देश को पहला निजी विश्वविद्यालय देने का काम किया. कलकत्ता, अलिगढ़ और पटना विश्वविद्यालय में भी उनका नाम अधिकतम दानदाताओं के रूप में दर्ज है. रमेश्वर सिंह ने पटना मेडिकल कॉलेज के निर्माण के लिए सर्वाधिक राशि और जमीन देने का कार्य किया. सिद्ध तांत्रिक रमेश्वर सिंह का 1929 में निधन हो गया.

जब ब्रिटिश सरकार की नीतियों का किया विरोध

रमेश्वर सिंह भारतीय पुलिस आयोग के सदस्य के तौर पर ब्रिटिस सरकार की नीतियों का खुल कर विरोध किया था. वह भारत पुलिस आयोग के एकमात्र सदस्य थे, जिन्होंने पुलिस सेवा की आवश्यकताओं पर एक रिपोर्ट से असहमति जताई थी और सुझाव दिया था कि भारतीय पुलिस सेवाओं में भर्ती एक ही परीक्षा के माध्यम से होनी चाहिए. परीक्षा भारत और ब्रिटेन में एक साथ आयोजित किया जाना है. उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि भर्ती रंग या राष्ट्रीयता के आधार पर नहीं होनी चाहिए. हालांकि उस वक्त रमेश्वर सिंह के इस सुझाव को भारत पुलिस आयोग ने अस्वीकार कर दिया.

Also Read: बिहार में भूकंप से नष्ट हुए एक शहर की कहानी, कभी दुल्हन सा सजा ; अब खंडहरों का राजा

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें