शेखपुरा. करियर निर्माण की खातिर युवा आज लाखों रुपए खर्च कर रहे हैं . लेकिन, शेखपुरा शहर के सैकड़ों युवा मात्र एक रुपए रोजाना यानी तीस रुपए महीना खर्च कर अपने करियर का निर्माण कर अपने घर परिवार के साथ समाज का नाम रौशन कर रहे हैं. यह संभव हो पाया है एक शिक्षक मुरारी प्रसाद के सामाजिक सोच के बूते, जिन्होंने अपने मकान को सार्वजनिक पुस्तकालय में तबदील कर रखा है. जिसके जरिए सैकड़ों युवा करियर निर्माण में कामयाबी के झंडे बुलंद कर रहे हैं. शहर के मकदूमपुर मुहल्ले में बर्ष 1998 से अपने घर में प्रज्ञा पुस्तकालय संचालित कर रहे हैं.
इस पुस्तकालय के माध्यम से मात्र एक रुपया रोजाना खर्च कर 450 से अधिक युवा सरकार के विभिन्न विभागों में नौकरी पा चुके हैं. अपने कैरियर निर्माण के लिए पटना में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने के दौरान मुरारी प्रसाद की समझ बनी कि ग्रुप डिस्कशन के माध्यम से शेखपुरा में भी रहकर इसकी तैयारी की जा सकती है. इसी सोच से उन्होंने अपने घर में ही ‘प्रज्ञा पुस्तकालय’ की स्थापना कर पहले खुद दोस्तों के साथ तैयारी की फिर शिक्षक बन गए. लेकिन उस पुस्तकालय को छात्रों के भविष्य निर्माण के लिए छोड़ रखा है.
इस पुस्तकालय के द्वारा प्रतियोगी परीक्षा में सफलता अर्जित कर लगभग साढ़े चार सौ युवा रेलवे में गार्ड, ड्राईवर ,क्लर्क के अलावे बैंक में पीओ, मैनेजर ,सपलाई इंस्पेक्टर ,ऑडिटर, राजस्व कर्मचारी से लेकर दरोगा सहित विभिन्न स्थानों में नौकरियां कर रहे हैं. यहां सौ से अधिक छात्र रोजाना प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं. छात्रों के करियर निर्माण के बूते आज मुरारी प्रसाद समाज के लिए प्रेरणा बने हुए हैं .वहीं उनके इस इस प्रयास के बूते सफल करियर बना चुके आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के युवा भी अपने घर और समाज के लिए प्रेरणा बने हुए हैं.
इस पुस्तकालय में आने वाले युवाओं से रोजाना मौखिक परीक्षा ली जाती है. जबकि, सप्ताह में तीन दिन बुध, शुक्र, रवि लिखित परीक्षा देनी होती है. इसमें सफल छात्रों का प्रति सप्ताह सुपर सिक्स का लिस्ट बनाया जाता है. सुपर सिक्स में लगातार जगह बनाने वाले छात्र विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में अपने सफलता की कहानी लिख रहे हैं.
युवाओं के करियर निर्माण के लिये प्रज्ञा पुस्तकालय आने वाले युवाओं को विभिन्न प्रकार के समाचार पत्र, पत्र -पत्रिकाओं में सक्सेस मिरर, प्रतियोगिता दर्पण, सामान्य ज्ञान दर्पण, करंट अफेयर्स डॉट कॉम, समसामयिक महासागर, रुक्मणि करंट अफेयर्स, इडू टेरिया अर्द्ध वार्षिक, वार्षिक विशेषांक आई व्यू जैसी पत्रिकाएं मंगाई जाती है .इसके के साथ ही बैठने के लिए बेंच -डेस्क निःशुल्क उपलब्ध कराते है. तीन कमरों और एक हॉल में छात्रों के लिए उपलब्ध है जिसका कोई किराया नहीं लिया जाता है. तैयारियों के लिए पहुंचे छात्रों पर सीसीटीवी के जरिये नजर भी रखी जाती है.
अपने करियर निर्माण के लिए पटना में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने के दौरान मुरारी प्रसाद की समझ बनी कि ग्रुप डिस्कशन के माध्यम से शेखपुरा में भी रहकर इसकी तैयारी की जा सकती है. इसके बाद वे तैयारी में जुटे अपने दोस्त मुन्ना कुमार यादव ,राजू विश्वकर्मा ,गणेश कुमार और राजनीति चौधरी के साथ 1 मई 1998 को अपने घर पर ही प्रज्ञा पुस्तकालय की स्थापना की. चार दोस्तों से शुरू हुए इस पुस्तकालय से छात्रों का जुड़ने का सिलसिला शुरू हो गया. जो लगातार बढ़ता ही जा रहा है. इसकी स्थापना में उनके पिता अब स्व राजेन्द्र प्रसाद और माता सुशीला देवी का भी भरपूर सहयोग मिला.
शिक्षक मुरारी प्रसाद ने बताया कि इस पुस्तकालय से करियर निर्माण के लिये वैसे युवा जुड़े हैं. जिनके माता –पिता पटना, दिल्ली जैसे महंगे शहरों में बच्चों को कम्पीटीशन की तैयारी के भेजने में सक्षम नहीं होते हैं. छोटे –छोटे रोजगार, मजदूरी कर जीवन यापन करने वाले युवाओं के लिये यह वरदान बना हुआ है. यहां स्वयं ग्रुप में तैयारी करते हैं. इससे वे अपनी क्षमता का आकलन कर लेते हैं. आगे निकलने वाले बच्चों से पीछे छुटे लोगों को प्रेरणा मिलती है और वे अपनी मेहनत के बूते अपना करियर निर्माण में सफल होते हैं. बीते साल बिहार कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षा यहां तैयारी करने वाले बीस छात्र सफल हुए, इनमें आधे राजस्व कर्मचारी पद के लिये चयनित हुए. जबकि शहर के इंदाय मुहल्ला निवासी सुमन कुमार चिंटू दरोगा पद पर चयनित हुआ और मनीष कुमार शिक्षक बने.