लोजपा में टूट के बाद चिराग पासवान के राजनीतिक भविष्य को लेकर बिहार में सियासी अटकलें जारी है. राजद नेता तेजस्वी यादव के ऑफर के बाद अब सबकी निगाहें चिराग पासवान की ओर है. इधर, चिराग पासवान ने बीजेपी को साफ शब्दों में गठबंधन के रिश्ते को लेकर नसीहत दे दिया है. माना जा रहा है कि अगर बीजेपी चिराग की मदद नहीं करती है तो, चिराग कोई राजनीतिक कदम उठा सकते हैं.
वहीं तेजस्वी यादव और राजद के ऑफर को लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज है. बताया जा रहा है कि राजद 2024 लोकसभा और 2025 विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुट गई है. इसी कड़ी राजद की कोशिश है कि रामविलास पासवान के उत्तराधिकारी को अपने साथ ले आएं. आइए जानते हैं उन कारणों को जिसकी वजह से तेजस्वी यादव चिराग पासवान से हाथ मिलाना चाहते हैं.
बिहार की राजनीति में तेजस्वी यादव की मुख्य लड़ाई जदयू और नीतीश कुमार से है. सरकार बनने के बाद जदयू लगातार अपने संगठन को मजबूत करने में लगी है. वहीं राजनीतिक समीकरण के हिसाब से नेताओं को भी फिट कर रही है. ऐसे में तेजस्वी यादव को इस वक्त नीतीश कुमार के मुखर विरोधियों की जरुरत है. चिराग पासवान 2019 के चुनाव के बाद से ही नीतीश कुमार के मुखर विरोधी रहे हैं. ऐसे में तेजस्वी और उनकी पार्टी की कोशिश है कि चिराग पासवान को अपने साथ ले आएं.
बिहार में लोजपा अपने स्थापना काल से ही मजबूत स्थिति में रही है. 2005 के विधानसभा चुनाव में लोजपा को 29 सीटों पर जीत मिली थी. वहीं 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में लोजपा को छह सीटों पर जीत मिली थी. इतना ही नहीं बिहार विधान सभा चुनाव में लोजपा को भले ही एक सीटों पर जीत मिली हो, लेकिन पार्टी को करीब 25 लाख से अधिक वोट मिला था.
बता दें कि बिहार में राजद अब तक मुख्य रूप से मुस्लिम और यादव समीकरण को ध्यान में रखकर चुनाव लड़ती रही है. दोनों वोटरों की बात करें तो यह करीब 33 फीसदी के आसपास है. अगर चिराग पासवान भी राजद के साथ जुड़ जाते हैं तो MYP समीकरण मजबूत हो जाएगा. बिहार पासवान वोटर करीब 5% है.
पिछले चुनाव में बिहार के युवा वोटरों ने तेजस्वी यादव का साथ दिया, जिसके बदौलत पार्टी इस बार भी 75 सीट लाने में कामयाब रही. राजद के नेताओं का मानना है कि अगर चिराग उनके साथ आ जाएं तो, युवा का जौ बचा हुआ वोटर हैं वो सभी उनके साथ आ जाएंगे. पिछले चुनाव में लोजपा को भी युवाओं का साथ मिला था.
2019 के लोकसभा चुनाव में राजद को एक भी सीट पर जीत नहीं मिली. यहां तक की लालू यादव की बेटी मीसा भारती को भी हार का मुंह देखना पड़ा. राजद 2024 के चुनाव में फिर से पुराना प्रदर्शन दोहराना चाहती है. 2019 के चुनाव में लोजपा को छह सुरक्षित सीटों पर जीत मिली थी. राजद को उम्मीद है कि अगर चिराग उनके साथ आ जाएं तो कुछ सीट उनको भी मिलेगा.
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Posted By: Avinish Kumar Mishra