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Patna News : अब एलएनजेपी अस्पताल में हड्डियों के बीच गैप को बोन सीमेंट से भरा जायेगा

राजवंशी नगर स्थित एलएनजेपी हड्डी अस्पताल में अब रीढ़ की हड्डियों के बीच हल्के गैप को बोन सीमेंट से भरा जायेगा. अस्पताल में बन रहे 400 बेड के नये भवन में यह सुविधा अगस्त से मिलने की संभावना है.

आनंद तिवारी, पटना : राजवंशी नगर स्थित एलएनजेपी हड्डी अस्पताल में अब रीढ़ की हड्डियों के बीच हल्के गैप को बोन सीमेंट से भरा जायेगा. अस्पताल प्रशासन की ओर से इस तकनीक से इलाज शुरू करने की तैयारी की जा रही है. यह सुविधा हड्डियों के बीच गैप के साथ-साथ रीढ़ की हड्डी में टीबी, स्पाइन ऑस्टियोपोरोसिस मरीजों के लिए काफी फायदेमंद होगी. अस्पताल में बन रहे 400 बेड के नये भवन यह सुविधा मिलेगी. अगस्त महीने से पहले यह सुविधा शुरू हो जायेगी.

अभी इंप्लांट लगाने के समय बोन सीमेंट का होता है इस्तेमाल

एलएनजेपी हड्डी अस्पताल में वर्तमान में सड़क दुर्घटना होने या किसी तरह का इंप्लांट लगाने के समय डॉक्टर बोन सीमेंट का इस्तेमाल करते हैं. इंप्लांट लगा कर बोन सीमेंट से उसे फिक्स किया जाता है. अब सुविधा का विस्तार करते हुए सभी तरह की हड्डियों के बीच के गैप को भरने के लिए इसका इस्तेमाल होगा. इसमें माइनर सर्जरी के जरिये सीमेंट इंंजेक्ट कर गैप को भरा जायेगा, जिससे वर्षों तक दवा खाने से छुटकारा मिल सकेगा. अभी हड्डियों के बीच गैप को भरने के लिए बोन सीमेंट का इस्तेमाल आइजीआइएमएस, पीएमसीएच, एनएमसीएच व पटना एम्स में किया जा रहा है.

अब नहीं होगा स्पाइनल कॉर्ड को नुकसान

अस्पताल के निदेशक डॉ सुभाष चंद्र ने बताया कि आने वाले समय में सभी तरह की हड्डियों के बीच हल्के गैप को भरने के लिए इस तकनीक के इस्तेमाल की प्लानिंग की गयी है. हालांकि, शुरुआत में इसे ट्रायल के तौर पर किया जायेगा़ अगर मरीजों को राहत मिलेगी, तो इसे पूरी तरह से लागू किया जायेगा. उन्होंने बताया कि सर्जरी के दौरान रीढ़ की हड्डी में मौजूद स्पाइनल कॉर्ड को जरा-सी भी नुकसान होने पर मरीज को दूसरी दिक्कत हो जाती है. न्यूरल मॉनीटर से सर्जरी के दौरान यह देखना संभव हो जाता है कि ड्रिलिंग कहां तक हो रही है और स्पाइनल कॉर्ड ड्रिल से कितनी दूर है. आने वाले समय में यहां न्यूरल मॉनीटर भी मंगाया जायेगा, जिसकी कीमत लगभग 80 लाख रुपये है.

ऐसे होता है बोन सीमेंट का इस्तेमाल

डॉ सुभाष चंद्र ने बताया कि रीढ़ की हड्डी का जो हिस्सा फ्रैक्चर हो जाता है, उसमें ड्रिल करने के बाद उसमें सिरिंज से बोन सीमेंट डाला जाता हैं, जिससे वह हिस्सा भर जाता है व मरीज का दर्द खत्म हो जाता है. रीढ़ हड्डी में वर्टिब्रा फ्रैक्चर हो जाता है, जिससे हड्डी के उतने हिस्से में खालीपन आ जाता है. अभी इसके इलाज के लिए सिर्फ दवा दी जाती थी. अब बोन सीमेंट से छोटी सर्जरी कर इलाज होगा. जायेगा.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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