सवाददाता, पटना
पूर्व क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र कोलकाता, उत्तर मध्य सांस्कृतिक केंद्र संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार और कला संस्कृति एवं युवा विभाग बिहार पटना के संयुक्त सहयोग में प्रेमचंद रंगशाला में तीन दिवसीय इंद्रधनुष कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है. इसके दूसरे दिन मुख्य अतिथि के तौर पर उप मुख्यमंत्री व कला संस्कृति एवं युवा मंत्री विजय कुमार सिन्हा थे. उन्होंने कहा कि बिहार को जरूरत है विरासत को संजोकर विकास करने की. यह वह धरती है, जहां से भारत का इतिहास शुरू हुआ. हमारी कला एवं संस्कृति की विविधता को देश और दुनिया में फैलाने की जरूरत है. हमने अपने विभाग को कहा है कि हर जिले के हर अंचल में विशेषता और विशिष्टता प्राप्त बच्चों को चिन्हित कर वेबसाइट पर अपलोड करे और देश और दुनिया को हमारी कला एवं संस्कृति के बारे में अवगत कराये. इसके बाद कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें कवियों का स्वागत विभाग की निदेशक रूबी और इजेडसीसी कोलकाता के डॉ तापस ने किया. विभिन्न राज्यों के कलाकारों ने लोकनृत्य की प्रस्तुति से दर्शकों को किया मंत्रमुग्ध बाह्य परिसर में आरा के कलाकारों द्वारा जनजातीय गायन की प्रस्तुति की गयी. मुख्य मंच पर कवि सम्मेलन के बाद सबेरा कला केंद्र द्वारा सभी राज्यों के कलाकारों के द्वारा समवेत नृत्य पेश किया गया, जिसका नृत्य निर्देशन राजीव कुमार रॉय ने किया. इसके बाद असम के राजीव कलिता के दल द्वारा बिहू नृत्य प्रस्तुत किया गया, इसके बाद मध्य प्रदेश की निधि चौरसिया के दल ने बधाई लोक नृत्य प्रस्तुत किया. इसके उपरांत सभी राज्यों के कलाकारों ने मंच पर पारंपरिक परिधानों का प्रदर्शन किया. उत्तर प्रदेश के दल ने लोक नृत्य की प्रस्तुति की. राजस्थान की अंजना कुमावत के दल ने घूमर नृत्य पेश किया. हरियाणा के कामिल एंड ग्रुप ने घूमर नृत्य पेश किया. इसके बाद उड़ीसा के अरुण कुमार सुना के दल एकतारा कला केंद्र ने जनजातीय नृत्य धाप को पेश किया. अंत में राधा सिन्हा एवं ग्रुप द्वारा बिहार के गाथा गायन की प्रस्तुति के बाद कार्यक्रम का समापन हुआ. पटना की कवयित्री आराधना प्रसाद ने गजल गुफ्तगू के लिए अंजुमन चाहिए, मेरे मन के लिए तेरा मन चाहिए…से की. सीतामढ़ी से आयी कवयित्री प्रीति सुमन सीता पर एक गीत गया. अगली प्रस्तुति हास्य कविता स्वयंवर सुनाया, जिसमें एक कवयित्री ने स्वयंवर के लिए कवियों को बुलाया था. कवयित्री अनिता ने शराबबंदी पर कविता पाठ किया. सत्र का संचालन और संयोजन प्रसाद रत्नेश्वर ने किया.
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