BPSC Candidates Demand: बिहार लोक सेवा आयोग यानी बीपीएससी की 70वीं कंबाइंड सिविल सेवा परीक्षा के लिए नोटिफिकेशन 20 सितंबर 2024 को जारी किया गया था. इसमें बताया गया था कि भर्ती 1964 पदों पर की जाएगी. छात्र इस नोटिफिकेशन के काफी खुश हुए क्योंकि यह बीपीएससी के इतिहास में संयुक्त सिविल सेवा के लिए सबसे बड़ी भर्ती थी. हालांकि, अधिसूचना जारी होने के बाद से स्थिति असमंजस पूर्ण रही, क्योंकि पदों की संख्या को 6 बार अपडेट किया गया और परीक्षा की तारीख भी 3 बार बढ़ाई गई. इन वजहों से छात्र काफी परेशान हुए. सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्रों के पास समय की काफी कमी होती है. इनके लिए एक-एक सेकंड का अलग महत्व होता है. ऐसे में बार-बार अलग -अलग नोटिफिकेशन आने से उनके पढ़ाई पर भी असर पड़ रहा था.
सबसे पहला विरोध कब हुआ
बीपीएससी 70वीं परीक्षा में नॉर्मलाइजेशन को लेकर 6 दिसंबर को पटना में बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों ने लगभग 12 घंटे तक प्रदर्शन किया. पहले, अभ्यर्थी बीपीएससी ऑफिस के बाहर इकट्ठा हुए. प्रशासन के कहने पर भी जब वे नहीं हटे, तो लाठीचार्ज किया गया. इस दौरान कई छात्रों सिर फट गया. कई गंभीर रूप से घायल हो गए. नॉर्मलाइजेशन के विरोध के दौरान कुल मिलाकर तीन बार अभ्यर्थियों पर लाठीचार्ज किया गया. छात्रों के समर्थन में मशहूर शिक्षक खान सर और गुरु रहमान भी सड़क पर उतरे आये. उन्होंने कहा कि जब तक नॉर्मलाइजेशन को समाप्त नहीं किया जायेगा हम पीछे नहीं हटेंगे. वहीं, इस मामले में छात्र नेता दिलीप को जेल भेजा गया.
क्या होता है नॉर्मलाइजेशन?
आसान भाषा में कहें तो नॉर्मलाइजेशन एक ऐसी प्रक्रिया है, जो विशेष रूप से परीक्षा परिणामों को समान बनाने के लिए उपयोग की जाती है. जब किसी परीक्षा में विभिन्न शिफ्टों में परीक्षा होती है, तो हर शिफ्ट का स्तर अलग हो सकता है. नॉर्मलाइजेशन का उद्देश्य इन शिफ्टों के बीच किसी भी प्रकार के अंतर को समाप्त करना और सभी अभ्यर्थियों को एक समान अवसर देना है.
उदाहरण – यदि किसी परीक्षा में एक शिफ्ट में परीक्षा कठिन थी और दूसरी शिफ्ट में आसान, तो नॉर्मलाइजेशन विधि से दोनों शिफ्टों के अंक समान स्तर पर लाए जाते हैं, ताकि किसी एक शिफ्ट के अभ्यर्थियों को नुकसान न हो. नॉर्मलाइजेशन का इस्तेमाल तब होता है जब कई शिफ्टों में परीक्षा होती है.
आयोग ने बताया महज अफवाह
छात्रों पर लाठीचार्ज के बाद 6 दिसंबर को ही शाम में आयोग ने पत्र जारी किया. इस पत्र में लिखा था, ‘एकीकृत 70वीं संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा में नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया अपनाए जाने से संबंधित भ्रामक खबरें विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर चलाई जा रही है. आयोग ने इस बात पर हैरानी जताई कि नॉर्मलाइजेशन की अफवाह कहां से शुरू हुई, जबकि ऐसा कोई प्रस्ताव ही नहीं था.’
अभ्यर्थी क्यों कर रहे परीक्षा रद्द करने की मांग
राज्य के 36 जिलों में 912 केंद्रों पर 13 दिसंबर को बीपीएससी की 70वीं परीक्षा आयोजित की गई. इनमें से 911 केंद्रों पर परीक्षा बिना किसी शोर-शराबे के संपन्न हुई, लेकिन पटना के बापू एग्जाम सेंटर से हंगामे की खबर आई. कई अभ्यर्थियों ने आरोप लगाया कि हमें प्रश्न पत्र आधे घंटे देर से मिला, कुछ प्रश्न पत्र फटे हुए थे और पेपर की सील पहले से टूटी हुई थी. अभ्यर्थियों ने बताया कि बापू एग्जाम सेंटर के अंदर कुछ अभ्यर्थी ग्रुप बनाकर ओएमआर शीट भर रहे थे. इसके बाद अभ्यर्थी कहने लगे की परीक्षा में धांधली हुई है. शाम होते-होते बड़ी संख्या में अभ्यर्थी परीक्षा रद्द करने की मांग करने लगे.
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15 और 16 दिसंबर को क्या हुआ
पटना के डीएम चंद्रशेखर ने 15 दिसंबर को अपनी जांच रिपोर्ट बीपीएससी आयोग को सौंपी जिसमें सीसीटीवी फुटेज भी शामिल था. इसमें बताया गया कि कुछ असामाजिक तत्व परीक्षार्थी के रूप में परीक्षा में शामिल हुए थे और उनका एक ग्रुप परीक्षा भवन के बाहर भी मौजूद था. ये लोग हंगामा करने के मकसद से आये थे. रिपोर्ट में बताया गया कि कुछ अभ्यर्थियों ने केन्द्राधीक्षक को घेरकर परीक्षा रद्द करने का दबाव डाला, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
जांच रिपोर्ट के बाद बीपीएससी आयोग ने 16 दिसंबर को एक बैठक बुलाई, जिसमें यह निर्णय लिया गया कि पटना के बापू एग्जाम सेंटर पर हुई परीक्षा रद्द कर दी जाएगी. आयोग के अध्यक्ष ने बताया कि सीसीटीवी फुटेज की जांच जा रही है. इसके लिए दो टीमों का गठन किया गया है. आयोग की जांच में 25 से 30 लोगों की पहचान की गई है, जिन पर आयोग की ओर से कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने कहा कि वीडियो में यह स्पष्ट दिख रहा है कि कुछ अभ्यर्थियों ने प्रश्न पत्र देर से मिलने को लेकर हंगामा किया था.
25 दिसंबर को फिर हुआ लाठीचार्ज
70वीं संयुक्त प्रारंभिक परीक्षा रद्द कराने की मांग को लेकर धरना पर बैठे अभ्यर्थी बुधवार (25 दिसंबर) को बीपीएससी कार्यालय का घेराव करने पहुंच गए. छात्रों की मांग थी कि परीक्षा को लेकर जो समस्याएं उत्पन्न हुई हैं, उनका समाधान किया जाए. छात्रों का आरोप है कि पुलिस ने उन्हें दौड़ा-दौड़ाकर पीटा. इस लाठीचार्ज में कई छात्र घायल हो गए हैं.
छात्रों को किन बातों का सता रहा डर
बीपीएससी परीक्षा की तैयारी करने वाले अधिकतर छात्र बेहद सामान्य पृष्ठभूमि से आते हैं. रात-दिन कड़ी मेहनत करते हैं ताकि आने वाले समय में बिहार और अपने परिवार के हालात को बदल सकें. सफलता पाने की इनमें ऐसी धुन सवार होती है कि इनको घर गए हुए भी कई साल हो जाते हैं. होली, दिवाली और छठ जैसे पर्व के दौरान भी ये छात्र अपने घर नहीं जाते हैं क्योंकि इन्हें लगता है कि अगर चार दिन के लिए घर गया तो पढ़ाई की लय बिगड़ जाएगी और फिर से वहीं लय हासिल करने में कुछ दिनों का वक्त लग जायेगा. इन तमाम विपरीत परिस्थतियों से जूझते हुए लाखों छात्र अपने सपने को पाने में लगे रहते हैं. परीक्षा के दिन यह अफवाह उड़ती है कि पेपर ठीक से कंडक्ट नहीं हो पाया है तो उन्हें अपने भविष्य का डर सताने लगता है. उन्हें लगता है कि अब हमारा क्या होगा. क्योंकि इनके पास न तो जेनेरेशनल वेल्थ होता है और ना ही अपने सपने को पूरा करने के लिए पर्याप्त समय. अभ्यर्थियों की मांग है कि अगर एक परीक्षा केंद्र की भीतर मोबाइल गया है तो मुमकिन है कि वहां से परीक्षा पेपर का फोटो क्लिक कर किसी ग्रुप में भेज दिया गया होगा. इसलिए सिर्फ एक नहीं बल्कि सभी 912 केंद्रों की परीक्षा रद्द की जाए. ताकि किसी छात्र के भविष्य के साथ खिलवाड़ न हो पाए.
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