Social Work: पटना. आज कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं है, जहां महिलाओं की सशक्त भागीदारी न हो. वे अपने दायित्व निर्वहन और पारिवारिक रिश्ते-नातों को संभालते हुए अपना नाम रोशन कर रही हैं. आज की महिलाएं जागरूक हैं, तो जज्बातों को समझने वाली भी. मेहनती हैं, तो सजग भी और सामाजिक भी.
महिलाओं को पढ़ाती हैं, कानूनी साक्षरता का पाठ
नागेश्वर कॉलोनी की रहने वाली सुधा अम्बष्ठ पेशे से हाइकोर्ट की वकील हैं. वे पिछले 30 साल से वकालत कर रही हैं. अपने वकालत के दौरान उन्होंने देखा कि महिलाएं अपने अधिकारों को लेकर सजग नहीं हैं. घरेलू हिंसा, लिंग भेद और महिला उत्पीड़न आदि जैसी सभी परेशानियों से उन्हें गुज़रना पड़ता है. ऐसे में जरूरी है कि महिलाएं अपने हित के कानूनी अधिकारों के बारे में जानकारी रखें, ताकि किसी भी तरह की प्रताड़ना को न सहना पड़े और उसके खिलाफ अपनी आवाज उठा सकें. इसलिए वे एनजीओ और क्लब से जुड़कर पीड़ित महिलाओं की समस्याओं को सुनकर रिपोर्ट दर्ज करवाती हैं और न्याय के लिए मुकदमा भी लड़ती हैं. अब तक वे 50 महिलाओं का केस बिना शुल्क लिए लड़ी भी और जीतीं भी.
- सुधा अम्बष्ठ, वकील, हाइकोर्ट पटना
सामाजिक विकलांगता दूर करना है इनका मकसद
ट्रांसपोर्ट नगर की रहने वाली कुमारी वैष्णवी शारीरिक विकलांगता को दरकिनार करते हुए सामाजिक विकलांगता को दूर करने में लगी हैं. वे विकलांग अधिकार मंच की अध्यक्ष और वैष्णव स्वावलंबन संस्था की सेक्रेटरी हैं. वैष्णव स्वावलंबन संस्था असहाय महिलाओं को सशक्त बनाती हैं और उन्हें उनके अधिकार, हिंसा संबंधी मामला, सरकारी योजनाओं और स्किल डेवलपमेंट की ट्रेनिंग देती हैं. आपसी विवाद में काउंसेलिंग करती हैं. जरूरत पड़ने पर केस लड़ने में मदद भी करती हैं. साल 2009 से चल रही इस संस्था से अब तक हजारों महिलाएं जुड़कर रोजगार प्राप्त कर रही हैं. संस्था की ओर से 57 जोड़े की शादी करवायी गयी है. वे कई बार दिव्यांगों की आवाज बनकर उनके अधिकारों की लड़ाई लड़ती हैं. उनके इस कार्य को लेकर राष्ट्रपति भी सम्मानित कर चुकी हैं.
- कुमारी वैष्णवी, अध्यक्ष, विकलांग अधिकार मंच
महिलाओं को न्याय मिले इसलिए की कानून की पढ़ाई
हाजीपुर की रहने वाली सरिता राय महिलाओं और किशोरियों पर पिछले नौ साल से कार्य कर रही हैं. शुरुआत में उन्होंने गांव की महिलाओं और किशोरियों के लिए माहवारी जागरूकता अभियान चलाया. इस दौरान उन्हें महसूस हुआ कि इन महिलाओं को उनके अधिकारों के लेकर खास जानकारी नहीं है. अगर कोई मामला उन पर आता है, तो उनके हक के लिए कोई खड़ा नहीं होता है. ऐसे में उन्होंने लॉ की पढ़ाई की ताकि ऐसे महिलाओं को कानूनी रूप से मदद कर सकें. वे साल 2022 से उड़ान संस्था चला रही हैं, जिसमें किशोरियों को हर रविवार को नौकरी पेशा लोग पढ़ाने में योगदान देते हैं. हाल ही में उन्होंने वकीलों की टीम तैयार की है जिसमें उनकी ओर से रेप पीड़िताओं को केस लड़े जायेंगे और उनको कानूनी सलाह फ्री ऑफ कॉस्ट दी जायेगी.
- सरिता राय, समाजसेवी
भय, भूख व गरीबी को ले लड़कियों को करती हैं सशक्त
न्यू अजीमाबाद कॉलोनी की रहने वाली शाहिना परवीन ‘द हंगर प्रोजेक्ट’ की स्टेट कोऑर्डिनेटर हैं. वे पंचायत में महिला नेतृत्व के माध्यम से वंचित समुदाय की महिलाओं को भय, भूख और गरीबी को लेकर सशक्त करती हैं. वे वर्ष 2006 से यह काम कर रही हैं. पहले बाल विवाह आम बात थी, लड़कियों को स्कूल नहीं जाने दिया जाता था. यही वजह रही कि उन्होंने 2016 में किशोरी सशक्तीकरण को लेकर कार्य करने लगीं. उन्होंने बाल विवाह पर जागरूकता अभियान चलाया. इसके लिए वे स्कूल प्रबंधन समिति और पंचायत के साथ मिलकर 40 पंचायतों में काम करती हैं. अब तक वे 3500 से ज्यादा किशोरियों को बाल विवाह से मुक्त करा चुकी हैं. वे विभिन्न जिलों के पंचायतों में सुकन्या क्लब भी चलाती हैं, ताकि किशोरियां अपने अधिकारों को समझने के साथ-साथ इसका इस्तेमाल भी कर सकें.
- शाहिना परवीन, स्टेट कोऑर्डिनेटर, द हंगर प्रोजेक्ट
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