15.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

World Heart Day : साइलेंट किलर बनता जा रहा हार्ट अटैक, हार्ट डिजीज से हर साल 1.20 लाख बच्चों की मौत

विश्व हृदय दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित जागरूकता कार्यक्रम में डॉक्टरों ने बताया कि हार्ट अटैक से होने वाली हर 10 में करीब चार की मौत 17 से 45 साल के लोगों की होती है.

पटना. एक दशक पहले हृदय रोगों की बात करते हुए उम्र मायने रखती थी, लेकिन आज काम का तनाव, डायबिटीज, खराब लाइफ स्टाइल और खान-पान की गलत आदतों के कारण युवा हृदय रोग से पीड़ित हो रहे हैं. अब क्लास 11वीं व 12वीं में पढ़ने वाले छात्र भी हार्ट अटैक के शिकार हो रहे हैं. यह कहना है कार्डियोलॉजी सोसाइटी ऑफ इंडिया बिहार चैप्टर के अध्यक्ष डॉ एके झा का. विश्व हृदय दिवस की पूर्व संध्या पर बुधवार को गांधी मैदान स्थित एक होटल में हृदय पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इसमें डॉक्टरों ने बताया कि हार्ट अटैक से होने वाली हर 10 में करीब चार की मौत 17 से 45 साल के लोगों की होती है.

रुमेटिक हार्ट डिजीज से हर साल 1.20 लाख बच्चों की मौत

हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ अशोक कुमार ने गठिया जनित हृदय रोग के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि अगर आपके बच्चे को बुखार के साथ जुकाम है और यह काफी दिनों से ठीक नहीं हो रहा, तो तत्काल डॉक्टर से मिलें. यह लक्षण रूमेटिक फीवर का भी हो सकता है. जरा सी लापरवाही से रुमेटिक हार्ट डिजीज (वाल्व बदलना या छल्ला डालना) में तब्दील हो सकता है. हर साल एक लाख 20 हजार बच्चों की रुमेटिक हार्ट डिजीज से मौत हो जाती है.

तनाव व नशा करने से कमजोर होता है दिल

आइजीआइएमएस के हृदय रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ बीपी सिंह ने कहा कि तनाव व ज्यादा नशा करने से हार्ट की मायकार्डियल मांसपेशी कमजोर हो जाती है. इसी मांसपेशी से हार्ट का निर्माण होता है. इसके कमजोर होने से धड़कन की गति असामान्य हो जाती है और कार्डियक फेलियर का खतरा बढ़ जाता है.

हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ बीबी भारती ने हार्ट फेल का मानव आबादी पर क्या प्रभाव पड़ रहा, इसके बारे में विस्तार से बताया. उन्होंने कहा कि दिल हमारे शरीर का सबसे अहम अंग है. इसके बावजूद इसकी सेहत को लेकर हम अक्सर उतने फिक्रमंद नहीं होते. कुछ जानबूझकर, तो कुछ अनजाने में दिल की सेहत को नजरअंदाज कर देते हैं.

डॉ अजय कुमार सिन्हा ने सीपीआर की ट्रेनिंग कर लोगों को हार्ट अटैक होने पर बचाव के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि 100 से 110 बार हृदय पर पंप कर मरीज को बचाया जा सकता है. इस मौके पर डॉ बसंत सिंह ने बच्चों में होने वाले जन्मजात हृदय रोग के बारे में बताया. वहीं, डॉ संदीप कुमार, डॉ अरविंद कुमार व डॉ नसर अब्दाली ने महिलाओं में हृदय रोग, हाइ कोलेस्ट्राल से होने वाले हृदय रोग के बारे में विस्तार से बताया.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें