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फ्रेंच, जर्मनी, स्पैनिश, चाइनीज… पटना के युवा फॉरेन लैंग्वेज से भर रहे करियर की उड़ान

विदेशी भाषाओं को लेकर कई तरह के विकल्प आज युवाओं के सामने हैं. इन दिनों बिहारी युवाओं के बीच भी इसका क्रेज तेजी से बढ़ा है. यही वजह है कि राजधानी के कई कॉलेजों और शिक्षण संस्थानों में इन दिनों विदेशी लैंग्वेंजेज (कोरियन, फ्रेंच, जर्मन और स्पैनिश) की पढ़ाई होती है. इन कॉलेजों में पढ़ाने वाले भाषाओं के जानकारों व शिक्षकों का मानना है कि एक से ज्यादा भाषाओं की जानकारी न सिर्फ आपको दूसरे देशों की संस्कृति से जोड़ती है, बल्कि आपके लिए कई क्षेत्रों में नौकरी के रास्ते भी खोलती है.

जिस तरह युवाओं में ‘कोरियन ड्रामा’, ‘के-पॉप कल्चर’, ‘बीटीएस’ समेत अन्य फॉरेन लैंग्वेज के प्रति क्रेज बढ़ा है, इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि विदेशी भाषाओं का महत्व कितना ज्यादा बढ़ गया है. पटना शहर में कई शैक्षणिक संस्थान है, जहां कोरियन, फ्रेंच, जर्मन और स्पैनिश भाषा की पढ़ाई होती है. इन लैंग्वेजज की खास बात यह है कि यह आपको जीवन के पड़ाव में कई सारे अवसर देते हैं. युवा इनकी मदद से विदेशों में बेहतर करियर बना रहे हैं.

विभिन्न कंपनियों में काम कर रहे हैं और अच्छी कमाई कर रहे हैं. यही वजह है कि फ्रेंच हो या जर्मन, स्पैनिश हो या फिर चाइनीज इन सभी विदेशी लैंग्वेंजेज के प्रति युवाओं में क्रेज बढ़ा है. यही वजह है कि व‍िदेशी भाषा को स‍िखाने और सीखने वालों दोनों की वृद्धि हो रही है. इसके पीछे एक बड़ा कारण भारत में पिछले कुछ समय से मल्टीनेशनल कंपनियों का तेजी से यहां पर रूख करना माना जा रहा है.

कोरियन ड्रामा ने बढ़ाया कोरियन लैंग्वेज का क्रेज


शहर के अधिकतर शैक्षणिक संस्थानों में पढ़ायी जाने वाली विदेशी भाषा ‘कोरियन’ है. भारत सरकार की ओर से कोरियन लैंग्वेज को न्यू नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के तहत शामिल किया गया है. किंग सेजोंग इंस्टीट्यूट की ओर से ही शहर के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों एएन कॉलेज, पटना वीमेंस कॉलेज, एनआइटी पटना और नालंदा यूनिवर्सिटी में इसकी पढ़ाई होती है. इसके अलावा साल में 50 से ज्यादा कोरिया से जुड़े कल्चरल एक्टिविटी का आयोजन कराया जाता है. समय-समय पर विभिन्न प्रतियोगिताओं और स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम का भी आयोजन होता है. कोरियन ड्रामा, के पॉप कल्चर और बीटीएस का युवाओं में इस कदर छाप छोड़ा है कि वे इसे और बेहतर समझने और सीखने के लिए इसे सीख रहे हैं.

भाषा सीखने के लिए विशेष शैक्षणिक योग्यता की अनिवार्यता नहीं


कोई भी भाषा सीखने के लिए कोई विशेष शैक्षणिक योग्यता की अनिवार्यता नहीं है. आप स्कूली शिक्षा के दौरान भी कोई एक विशेष देशी या विदेशी भाषा एक विषय के रूप में पढ़ सकते हैं. विदेशी भाषाओं के लिए उच्च स्तर की शिक्षा के लिए कुछ विशेष संस्थान होते हैं, जहां 12वीं के बाद प्रवेश लेकर आप भाषा विशेष में विशेषज्ञता हासिल कर सकते हैं. ये कोर्स 6, 9, 12, 18 महीने या इससे अधिक के भी हो सकते हैं. आप विभिन्न विश्वविद्यालयों से पार्ट टाइम या फुल टाइम सर्टिफिकेट कोर्स भी कर सकते हैं और इसके बाद परफेक्शन के लिए एडवांस्ड लेवल की शिक्षा ले सकते हैं.

यहां होती है विदेशी भाषाओं की पढ़ाई

1. एएन कॉलेज : वर्ष 2007 से एएन कॉलेज में कोरियन लैंग्वेज की पढ़ाई हो रही है. 2021 में कॉलेज को सेंटर ऑफ किंग सेजोंग इंस्टीट्यूट कोरियन कल्चर बनाया गया था, जिसके लिए एमओयू साइन किया गया है. अब तक यहां से लगभग 600 से ज्यादा स्टूडेंट्स पास आउट हो चुके हैं. यहां से पढ़ने वाले स्टूडेंट्स का विभिन्न कंपनियों में प्लेसमेंट भी हो चुका है. जबकि कई स्टूडेंट्स आज टूरिस्ट गाइड के तौर पर काम करते हैं. इस दौरान कई स्टूडेंट्स स्कॉलरशिप हासिल कर कोरिया की पढ़ाई करते हैं.

2. एनआइटी पटना : साल 2013 में एनआइटी पटना और हनदोंग ग्लोबल यूनिवर्सिटी के साथ एमओयू साइन किया था . इस दौरान एनआइटी के तीन स्टूडेंट्स छह महीने के लिए हनदोंग ग्लोबल यूनिवर्सिटी में पढ़ने गये थे. इसके बाद एनआइटी के डायरेक्टर कैंपस में 2014 में कोरियन सेंटर की शुरुआत की थी. तब से लेकर अब तक यहां पर कोरियन लैंग्वेज की पढ़ाई जा रही है. हर साल 5-6 बैच में स्टूडेंट्स को पढ़ाया जाता है. विदेशी भाषा सीखकर कई स्टूडेंट्स आज अच्छी नौकरी हासिल कर चुके हैं.

3. नालंदा यूनिवर्सिटी : साल 2016 में नालंदा यूनिवर्सिटी की ओर से इलेक्टिव एमए (हिस्ट्री) के स्टूडेंट्स के लिए शुरू किया गया. 2018 में कोरियन में सर्टिफिकेट कोर्स की शुरुआत की जबकि 2019 में डिप्लोमा कोर्स शुरू किय गया. मगध महिला कॉलेज- कॉलेज में 2016 से जर्मन की पढ़ाई करायी जा रही है. नये सत्र में छात्राएं इसमें नामांकन लेंगी.

4. पटना वीमेंस कॉलेज : कॉलेज में फ्रेंच, जर्मन, स्पेनिश और कोरियन लैंग्वेज एंड कल्चर की पढ़ाई होती है. कॉलेज में जर्मन की पढ़ाई होती थी, जो बीच में बंद हो गयी थी. वहीं साल 2018 से इसे दोबारा से शुरू किया गया. फ्रेंच की पढ़ाई 2017 से हो रही है, जबकि कोरियन लैंग्वेज एंड कल्चर की पढ़ाई 2019 से हो रही है. साल 2021 से स्पैनिश की पढ़ाई शुरू हुई है. ये सभी सर्टिफिकेट कोर्स नौ महीने और साल भर के हैं.

5. इग्नू  : इग्नू से स्टूडेंट्स कई विदेशी भाषाओं में सर्टिफिकेट, डिग्री और मास्टर कोर्स कर सकते हैं. इसमें अरबी, फ्रेंच, रसियन, जापानी, कोरियन, स्पैनिश, जर्मन, पर्शियन कोर्स शामिल है. इन कोर्सों में बीए इन टूरिज्म स्टडीज (3 वर्षीय), बीकॉम (तीन वर्षीय), बीसीए (तीन वर्षीय), बैचलर इन लाइब्रेरी एंड इंफॉर्मेशन साइंस (एक वर्षीय), बैचलर इन सोशल वर्क (3 वर्षीय) के अलावा पीजी डिप्लोमा के कई सब्जेक्ट, कई सर्टिफिकेट कोर्स भी शामिल हैं.


टीचर्स बोले-विदेशी लैंग्वेंजेज में हैं करियर के ढेरों अवसर

  • साल 2014 से लेकर 2016 तक स्टूडेंट्स में कोरियन लैंग्वेज को लेकर ज्यादा क्रेज नहीं था, लेकिन 2017 से इसकी संख्या में बढ़ने लगी. 2019 में के-पॉप, के-ड्रामा का चलन बढ़ने से स्टूडेंट्स के प्रति इन भाषाओं में दिलचस्पी बढ़ने लगी. विदेशी लैंग्वेजज में करियर के ढेरों अवसर हैं. – ग्रेस ली, द किंग सेंजोंग इंस्टीट्यूट की कोऑर्डिनेटर, कोरियन लैंग्वेज की टीचर
  • मैं पटना वीमेंस कॉलेज और दरभंगा हाउस में फ्रेंच लैंग्वेज पढ़ाती हूं. बहुत से देश में यह ऑफिशियल लैंग्वेज है. अगर आप कनाडा में पढ़ना चाहते हैं, तो यह लैंग्वेज आपको सीखना ही होगा. हम स्टूडेंट्स को फंक्शनल लैंग्वेज के तौर पर इसे पढ़ाते हैं. इसमें आप इंटरप्रेटर, टीचर, विभिन्न एमएनसी में काम कर सकते हैं. – मोबिना हसन, फ्रेंच लैंग्वेज की टीचर
  • मैं पिछले 12 साल से जर्मन लैंग्वेज पढ़ा रही हूं.  विदेशी भाषाओं में कोर्स करने के बाद हेल्थकेयर, शिक्षा, टूरिज्म, बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन, दूतावासों तथा देश के विभिन्न संस्थानों में रोजगार के अवसर उपलब्ध होते हैं. – शुबधा रंजन, जर्मन लैंग्वेज की टीचर
  • मैं पटना वीमेंस कॉलेज में पिछले तीन साल से स्पैनिश पढ़ा रही हूं. यह लोगों के बीच काफी लोकप्रिय है. इसमें करियर के कई ऑप्शन हैं. सर्टिफिकेट कोर्स करने के बाद आपको लैंग्वेज की बेसिक जानकारी मिलती है. वहीं डिप्लोमा कोर्स और ए2 लेवल कोर्स करने पर जॉब ऑप्शन ज्यादा होते हैं. – फाएजाह इकबाल, स्पैनिश लैंग्वेज की टीचर

स्टूडेंट्स ने कहा:-

सीओल यूनिवर्सिटी से करूंगी पीएचडी

मैंने माइक्रोबायोलॉजी में अपना ग्रेजुएशन किया है. पर एक साल तक मैंने कोरियन लैंग्वेज एंड कल्चर की पढ़ाई की. लैंग्वेज की जानकारी होने की वजह से कोरियन एंबेसी से मुझे स्कॉलरशिप मिली थी. मैंने चुंगनम नेशनल यूनिवर्सिटी से मॉलिक्यूलर माइक्रोबायोलॉजी में मास्टर्स किया है. अब पीएचडी सीओल यूनिवर्सिटी करने जा रही हूं. –

सलोनी सिंह, कोरियन लैंग्वेज

विदेशी भाषाओं की आज डिमांड है

आज विदेशी भाषाओं की काफी ज्यादा डिमांड है. यही वजह है कि मैंने फ्रेंच लैंग्वेज का कोर्स किया है. कॉलेज में जब मुझे इसे सीखने का मौका मिला, तो मैंने इसे सीखा. ए1 लेवल मैंने कंप्लीट कर लिया है. आगे भी इसे जारी रखना है. अब मैं फ्रेंच में बोलने के साथ-साथ फ्रेंच फिल्में आसानी से समझ लेती हूं.

– माहरुख फिरदौस, फ्रेंच लैंग्वेज

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