Pitru Paksha Mela 2022: पिडंदान के लिए पंडदानी गया पहुंचने लगे हैं. उनके आगमन को लेकर मोक्षधाम गया सजधज कर तैयार हो गया है. पुरखों को पिंडदान करने के लिए बिहार के गया आने वाले देश-दुनिया के पिंडदानियों का अब इंतजार हो रहा है. वैसे कई पिंड देने वाले लोग यहां पहुंच भी गए हैं. पिंडदान करने के लिए गया आने वाले पिंडदानी के लिए गया जिला प्रशासन की ओर से और गयापाल पंडा समाज की ओर से धर्मशाला,होटल, निजी आवास की व्यवस्था किया गया है. इस बार प्रशासन द्वारा टेंट सिटी की भी व्यवस्था की गई है.
मोक्ष धाम गया में पिंडदान के लिए देश-विदेश से करीब इस वर्ष 15 लाख से ज्यादा तीर्थयात्री आ सकते हैं. बताते चलें कि पिछले दो वर्षो से कोरोना के कारण अपने पितरों को लोग पिंडदान नहीं कर पा रहे थे. लेकिन, इस बार ऑनलाइन और ऑफलाइन पिंडदान की व्यव्यवस्था की गई है.अपने पूर्वज को पिंडदान करने के लिए देश विदेश से आने वाले पिंडदानी को रहने के लिए जिला प्रशासन की ओर से विशेष व्यवस्था की गई है.मेला के सफल संचालन के लिए 17 समितियों का गठन किया गया है.
पितृपक्ष मेला के दौरान श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए गांधी मैदान में दो एवं पॉलटेक्निक कॉलेज में एक टेंट सिटी बनाया गया है.ऐसी व्यवस्था गया जिला प्रशासन की ओर से पहली बार की गई है. टेंट सिटी में डेढ़ हजार श्रद्धालु के रुकने की व्यवस्था की गई है. इन टेंट सिटी में सभी प्रकार की सुविधा उपलब्ध कराई गई है.इसके साथ ही घाट,मंदिर,वेदी,तालाब,आवासन स्थल एवं पूरे शहर को पितृपक्ष के दौरान साफ-सुथरा रखने के लिए शहर को 52 जोन में बांटकर आउट सोर्सिंग के माध्यम से सफाई करायी जा रही है.
देश में सबसे ज्यादा बंगाल, राजस्थान,गुजरात,मध्यप्रदेश,छत्तीसगढ़,उत्तर प्रदेश,पंजाब,हरियाणा के अलावा दक्षिण भारत के तामिलनाडु,केरल, ओडिशा,चेन्नई से सबसे ज्यादा तीर्थयात्री पिंडदानियों के आने की उम्मीद है. देश के साथ साथ विदेश से भी पिंडदानी गया जी आते हैं. विदेश से ज्यादातर नेपाल, श्रीलंका, बर्मा, तिब्बत, भूटान आदि देशों के हिन्दू धर्मावलंबी कर्मकांड को गयाजी आते हैं.अमेरिकी और यूरोपीय देशों में बसे हिन्दू धर्मावलंबी भी गया श्राद्ध के लिए आते हैं.
17 दिनों तक चलने वाले इस पितृपक्ष मेला में श्रद्धालु एक दिन, तीन दिन, सात दिन, 15 दिन और 17 दिन तक का कर्मकांड करते हैं.कर्मकांड करने आने वाले श्रद्धालु यहां रहने के लिए तीन-चार महीने पूर्व से ही अपने रहने की व्यवस्था करते हैं. हिन्दु धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितरों की आत्मा की शांति एवं मुक्ति के लिए पिंडदान अहम कर्मकांड है.अश्विन मास के कृष्ण पक्ष को पितृपक्ष या महालय पक्ष कहा जाता है, जिसमें लोग अपने पुरखों का पिंडदान करते हैं.मान्यता है कि पिंडदान करने से मृत आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है. ऐसे तो पिंडदान के लिए कई धार्मिक स्थान हैं परंतु सबसे उपयुक्त स्थल बिहार के गया को माना जाता है.