मकर संक्रांति में अब महज दो दिन शेष बचे हैं. लेकिन, चूड़ा दही के साथ तिलकुट का दौर अभी से शुरू हो गया है. खास तौर पर स्वाद और सुगंध के धनी भागलपुर का कतरनी चूड़ा और गया के तिलकुट की खुशबू लोगों को लुभा रही है. वहीं, इस बार मकर संक्रांति पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत अन्य माननीय भागलपुरी जैविक कतरनी चूड़ा का स्वाद लेंगे. जिला प्रशासन की द्वारा विक्रमशिला एक्सप्रेस से दिल्ली स्थित बिहार भवन भेजा गया है. बिहार भवन में भी विशिष्ट महानुभाव इस कतरनी चूड़ा का स्वाद चखेंगे.
दिल्ली भेजा गया 300 किलो जैविक कतरनी चूड़ा
इससे पहले जिला प्रशासन ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री सहित अन्य विशिष्ट लोगों के लिए 300 किलो जैविक कतरनी चूड़ा सुल्तानगंज प्रखंड के आभा रतनपुर के खेतों में उपजे कतरनी धान से तैयार कराया.
जैविक तरीके से उपजे कतरनी धान से तैयार किया गया चूड़ा
किसान मनीष सिंह ने बताया कि जैविक विधि से उपजे कतरनी धान से चूड़ा तैयार कराया गया है. इससे कतरनी चूड़ा की वास्तविक खुशबू माननीयों को जरूर आकर्षित करेगा. दो किलो का 150 पैकेट चूड़ा का तैयार कराया गया था. यह भागलपुरी कतरनी के नाम से जीआई टैग है. इसकी खेती बीएयू के वैज्ञानिकों की सलाह पर की गयी है.
पिछले पांच साल से कतरनी चूड़ा भेजने की परंपरा
मनीष सिंह ने बताया कि पिछले पांच साल से कतरनी चूड़ा, जबकि 10 साल से अधिक समय से जर्दालू आम माननीयों को भेजने की परंपरा है. पिछले साल भी जर्दालू आम और कतरनी चूड़ा देश के विशिष्ट लोगों को भेजा गया था.
मकर संक्रांति को लेकर जैविक हाट में लगा कतरनी चूड़ा का स्टॉल
मकर संक्रांति को देखते हुए जिला कृषि कार्यालय, तिलकामांझी स्थित जैविक हाट में कतरनी चूड़ा की बिक्री शुक्रवार को शुरू की गयी. कहलगांव के प्रगतिशील किसान कृष्णानंद सिंह के नेतृत्व में जैविक कतरनी चूड़ा बिक रहे हैं. उन्होंने बताया कि अभी 150 रुपये किलो कतरनी चूड़ा बिक रहा है. इसमें शुद्धता की गारंटी है. यह पूरी तरह से जैविक है.
सामान्य दिनों में भी मिलेगा कतरनी चूड़ा
वहीं सुलतानगंज के किसान मनीष सिंह ने बताया कि जैविक हाट में सामान्य दिनों में भी कतरनी चूड़ा व चावल उपभोक्ताओं को उपलब्ध कराया जायेगा, ताकि जैविक कतरनी को ब्रांड के रूप में प्रोमोट किया जा सके. इस मौके पर किसान वेदव्यास चौधरी उपस्थित थे.
अपनी खुशबू और स्वाद के लिए जाना जाता है कतरनी चूड़ा
दरअसल, भागलपुर के कतरनी धान से तैयार किया गया चूड़ा अपनी खुशबू और स्वाद के लिए हर घर की पसंद बना हुआ है. सामान्य दिनों में इसकी मांग उतनी अधिक नहीं होती है पर पिछले कुछ सालों से इस चूड़े की डिमांड बढ़ गई है. यही वजह है कि दुकानदार ग्राहकों के लिए तिलकुट के साथ पसंदीदा चूड़ा की वेराइटी भी रख रहे हैं. कतरनी चूड़ा के साथ गया का तिलकुट भी ग्राहकों की खास पसंद है.
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भागलपुर के कतरनी चूड़ा के साथ गया के तिलकुट की भी रहती है डिमांड
गया में बनाये जाने वाले तिलकुट का खास्तापन और इसका अलग स्वाद ग्राहकों को खूब आकर्षित कर रहा है. गया के तिलकुट की खासियत है कि यह काफी खास्ता होता है. इसे देखते ही सामने वाले के मुंह में पानी आ जाता है. यही वजह है कि यहां के तिलकुट की डिमांड काफी होती है. कई ग्राहकों ने बताया कि गया के तिलकुट का स्वाद और खास्तापन कहीं और नहीं मिल पाता है. यहां एक दर्जन से अधिक दुकानें हैं जहां खास तौर पर गया का तिलकुट लाकर बेचा जा रहा है
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