बैसा . भूमि सर्वे के पूर्व कागजात तैयार करने में प्रखंड क्षेत्र के किसानों और जमीन मालिकों की भागदौड़ बढ़ गयी है. सरकार की ओर से जमीन मालिकों को निर्धारित प्रपत्र में कागजात जमा करने की ताकीद की गई है. कोई जमीन की रसीट कटवाने को बेताब है तो किसी के दाखिल खारिज का मामला अटका है. बंटवारे की जमीन को लेकर वंशावली भी जरूरतमंदों के लिए टेढ़ी खीर बन गयी है. सरकार स्वघोषित वंशावली मांग रही है. वहीं कर्मी शपथपत्र के साथ वंशावली बनाने को कह रहे हैं. पूर्वज की दस-बीस साल पहले हुई मृत्यु के लिए प्रमाण पत्र हासिल करने को भी स्टाम्प खरीद कर शपथ पत्र बनवाने तक के लिए कतार लगी है. फिलहाल ग्राम सभा के माध्यम से लोगों को इस दिशा में जागरूक किया जा रहा है. ऑफ एवं ऑनलाइन प्रपत्र भरने की जानकारी दी जा रही है. सर्वे का अहम मकसद सरकारी जमीन को कब्जे से मुक्त कराना और लैंड रिकॉर्ड को पारदर्शी बनाना बताया जा रहा है. आम सभा में लोगों से कहा जा रहा है कि अगर सरकारी जमीन आपके नाम हो गयी या निजी जमीन सरकारी हो गयी हो तो अपने पक्ष में कागजात जमा करें. इस आलोक में जमीन मालिक कागजात दुरुस्त कराने में लगे हैं. ग्रामसभा में रसीद अपडेट नहीं होने, ऑनलाइन रसीद नहीं कटने, जमाबंदी हटाए जाने, रजिस्टर टू में गलत नाम दर्ज होने, खेत की मापी गलत होने सहित अन्य समस्याएं अधिकारियों के समक्ष उठा रहे हैं अधिकारी उन्हें रास्ता दिखाने की कोशिश करते हैं.
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