पूर्णिया. इन दिनों यद्दपि ठंड में कमी आयी है लेकिन गाहे बगाहे सुबह घने कोहरे की वजह से सड़क हादसे लगातार हो रहे हैं. इनमें हड्डी फ्रैक्चर के मामले ज्यादा आते हैं लेकिन कभी कभी सर में लगने वाले मामले गंभीर होते हैं जिन्हें हायर सेंटर रेफर करना चिकित्सकों की मजबूरी बन जाती है. जीएमसीएच के आंकड़े बताते हैं कि जनवरी के आखिरी 10 दिनों में लगभग एक सौ से भी ज्यादा मरीज विभिन्न दुर्घटनाओं के शिकार हो कर जीएमसीएच में भर्ती किये गये हैं. इनके अलावा हल्के फुल्के मामलों में बड़ी संख्या में लोगों को इमरजेंसी में इलाज कर घर भेजा गया है. आये दिन लगभग आधा दर्जन दुर्घटना के शिकार होकर अस्पताल पहुंचने वाले घायलों की संख्या इन दिनों दर्जन भर से भी ज्यादा हो गयी है. इसके अलावा सड़क हादसों में शिकार लोग स्थानीय स्तर से लेकर निजी चिकित्सकों के द्वारा भी अपना इलाज करवाते हैं. इस हिसाब से देखा जाय तो ये आंकड़े डरावने हो सकते हैं क्योंकि अमूमन विभिन्न प्रकार के सड़क हादसों में मरने वालों का प्रतिशत भी लगभग दो से लेकर चार है. मौसम विभाग की मानें तो प्रत्येक वर्ष इन दिनों सुबह घना कोहरा छाया रहता है जिससे सामने की चीजें ज्यादा दूर तक स्पष्ट दिखायी नहीं देतीं हैं जिस वजह से अचानक सड़क हादसे हो जाते हैं. ऐसे में वाहन चलाते वक्त बेहद सावधानी की जरूरत है. सडक सुरक्षा जागरूकता अभियान जिला परिवहन विभाग द्वारा वाहन चालकों के साथ साथ आम लोगों तक यातायात सम्बन्धी नियमों को लेकर जागरूकता अभियान चलाया जाता है जिसके तहत विभिन्न माध्यमों से लोगों को जागरूक किया जाता है. जिला परिवहन पदाधिकारी ने बताया कि विभाग द्वारा समय समय पर आम लोगों के बीच यातायात सुरक्षा से संबंधित जानकारियों के लिए अनेक प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं. बीते दिनों भी सड़क सुरक्षा को लेकर सतर्कता अभियान चलाते हुए आम लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया गया. सडकों पर सफ़ेद पट्टी, अगल बगल रेडियम रिफ्लेक्टर, वाहनों के पीछे रेड, ग्रीन व येलो लाइट व स्टीकर से दूसरे वाहनों को सचेत किया जा सकता है. दावा मुआवजा की जिम्मेदारी भी परिवहन विभाग को विभाग से मिली जानकारी के अनुसार सड़क हादसों में पीड़ित परिवार के लोगों को क्षतिपूर्ति दावा मुआवजा एवं न्याय दिलवाने के लिए परिवहन विभाग में विशेष न्यायाधिकरण की व्यवस्था की गयी है. मुख्य रूप से कमिश्नरी जिला में सड़क दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण की भी व्यवस्था है. जहां रिटायर्ड जज के द्वारा पीड़ित को न्याय दिलाने की व्यवस्था है साथ ही उनकी मदद के लिए एडीटीओ की भी नियुक्ति की जाती है जिससे न्यायिक कार्यों के निष्पादन में किसी भी तरह की परेशानी न हो. ———- बोले सिविल सर्जन अस्पताल में घायलों के लिए इमरजेंसी सर्विस में त्वरित उपचार की व्यवस्था सुनिश्चित की गयी है. चिकित्सक और स्वास्थ्य कर्मी हमेशा तैनात रहते हैं. विशेष आपात सुविधा के रूप में एम्बुलेंस की भी व्यवस्था है. उन्होंने यह भी कहा कि सड़क हादसा होना बेहद दुखद है. लेकिन अपनी सजगता से इसपर अंकुश लगाई जा सकती है. इन दिनों कोहरे की भी वजह से सड़क दुर्घटनाएं बढ़ गयीं हैं. डॉ. प्रमोद कुमार कनौजिया, सिविल सर्जन बोले परिवहन पदाधिकारी सड़क हादसा में संबंधित परिवार बुरी तरह प्रभावित होता है. इसलिए सतर्कता और ट्रैफिक नियमों का पालन बेहद जरुरी है. अगर कोई व्यक्ति दुर्घटना का शिकार हो जाए तो उन्हें विधि सम्मत कानूनी पहल करनी चाहिए और दावा मुआवजा के लिए भी आगे आना चाहिए. विगत एक अप्रैल 2022 से सड़क हादसों में प्रभावित परिवार के लिए दावा मुआवजा की जिम्मेदारी भी परिवहन विभाग को दी गयी है. शरण ओमी, जिला परिवहन पदाधिकारी
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