Purnia News : पूर्णिया. शहर के गुलाबबाग स्थित हांसदा और कलीजान के बीच बसे नया टोला में कचरे का पहाड़ अब दहाड़ रहा है, जहां सौ में नब्बे लोग बीमार चल रहे हैं. शहर के इस मुहल्ले में बिना बदबू के एक भी सांस अंदर नहीं जातीं और भोजन के हर निवाले पर मक्खियों का पहरा लगा हुआ है. मक्खियों का आतंक इस कदर है कि यहां रहने वाले लोग मच्छरदानी लगा कर भोजन करते हैं. हांसदा और कलीजान के बीच बसे नया टोला की आबादी अपने ही शहर के कचरे से दब रही है. आलम यह है कि यहां हर दिन कचरे की मीनार लंबी हो रही हैं. बदबू के बीच घुटन भरी जिंदगी जीने वाले यहां के गरीबों की फिक्र फिलहाल किसी को नहीं. बूढ़े-बच्चे बीमार हो रहे हैं, दवा भी ले रहे हैं. पर संक्रमण का रोग अंदर ही अंदर उनकी जिंदगी को खोखला कर रहा है.
शहर के बीचोबीच बसे नया टोला में शहरी कचरे का पहाड़मुहल्लेवासियों के लिए मुसीबत बन चुका है. नौबत यह कि यहां रहने वाले लोग बीमार रहने लगे हैं.सड़े कचरे की बदबू मरे जानवरों की तरह फैली रहती है. लोगों का कहना है कि अब तो पानी भी प्रदूषित हो चुका है. यहां शहर के कचरे का खुला डंपिंग सेंटर है. इसके प्रदूषण से तीन हजार से अधिक की आबादी पूरी तरह से प्रभावित है. हालांकि यहां प्लांट बनाये जाने की योजना थी. पर इस दिशा में अब तक कोई पहल नहीं हो सकी है. नतीजतन, मुहल्ला के बीचों-बीच हजारों टन शहरी कचरा सड़ रहा है. जानकारों की मानें तो आसपास के इलाके की मिट्टी व भू-जल दूषित होने की आशंका बढ़ गयी है. लोग कहत हैं कि खासकर बरसात के दिनों में तो इस क्षेत्र में मक्खियों की तादाद बढ़ जाती है. यहां रहने वाली मंजू देवी बताती हैं कि पहले यहां कचरे का ढेर नहीं था. विगत कुछ सालों से उनके घर के पास पूरे शहर का कचरा फेंका जाने लगा. हिना देवी कहती हैं कि कचरे के इस पहाड़ को अब न तो देखा जा सकता है और न ही बर्दाश्त किया जा सकता है.
मक्खी व मच्छर के आतंक से परेशान हैं लोग
शहर के गुलाबबाग और पूर्णिया सिटी के बीच बसी नया टोला की पूरी आबादी मक्खी व मच्छर के आतंक से परेशान है. पूरे मुहल्ले में मच्छरों और मक्खियों की भरमार सी हो गई है. यहां के लोग दिन का भोजन भी मच्छरदानी लगा कर करते हैं. यहां की पूनम देवी बताती हैं कि चाहे कितनी भी कोशिश कर लो, कोई निवाला ऐसा नहीं होता जिस पर मक्खी न भिनभिनाए. एक सांस भी बिना बदबू के अंदर नहीं जाती. गंदगी, बदबू की वजह से बीमारियां फैलती हैं सो अलग. महिलाएं बताती हैं कि बारिश होने से कचरा गीला हो गया है जिसकी वजह से कचरा सड़ गया है और बदबू फैल रही है. इससे आस-पास के क्षेत्र में रहने वाले लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ताहै. इसके साथ ही दूषित कचरे से निकलने वाला पानी घरों के सामने से जाता है, जिससे बीमारियां का खतरा मंडरा रहा है.
अस्पताल का लगातार लगता है चक्कर
नया टोला की पूनम देवी ने बताया कि यहां के लोगों को अस्पताल का चक्कर बराबर लगाना पड़ता है क्योंकि बीमार होने पर दवा वहीं से मिलती है. स्थानीय लोगों के मुताबिक रोहित, रोहण और रोहिणी नाम के बच्चों की पीठ पर बराबर खुजलाहट होती थी और फोड़ा भी हो गया था. एक सप्ताह पूर्व अस्पताल से तीनों बच्चों को दवा लेकर दी गयी. लोगों ने बताया कि बच्चे अभी ठीक हो गये हैं पर अब तक इस बात की गारंटी नहीं कि दुबारा वे बीमार नहीं पड़ें. वैसे महिलाओं ने भी अपनी परेशानी बतायी और कहा कि वे भी दवा का सेवन कर रही हैं.
मेहमानों ने मुहल्ले से मुंह मोड़ लिया
नया टोला की आबादी अस्सी के दशक से आबाद है जहां पांच सौ से अधिक घर बसे हुए हैं और हर परिवार के रिश्ते-नाते जगह-जगह बने हुए हैं. कहीं ब्याह के बाद बेटी बसी हुई है तो कहीं बेटे का ससुराल परिवार बसा हुआ है. स्थानीय लोग बताते हैं कि पहले मेहमानों का आना-जाना लगा रहता था. मेहमानों की यह आवाजाही कचरा डंपिंग होने के कुछ दिनों तक बनी रही पर जबसे कचरों का पहाड़ खड़ा हुआ है और उससे दुर्गंध निकलने लगी है, तब से मेहमानों ने इस मुहल्ले से मुंह मोड़ लिया है. अब यहां कोई रिश्तेदार आने को तैयार नहीं और वे लोग खुद भी किसी को बुलाना नहीं चाहते क्योंकि उनके बीमार होने की आशंका बनी रहती है.
स्थानीय लोगों ने कहा- खाना भी मच्छरदानी लगाकर खाते हैं हमलोग
स्वास्थ्य के लिए बड़ी चुनौती है कचरों का ढेर : डॉ प्रेरणा झा
कहते हैं नगर आयुक्त
आंकड़ों का आईना
- 500 से अधिक घर बसे हुए हैं नया टोला में
- 470 घर सिर्फ आदिवासियों के आबाद हैं
- 3000 से अधिक आबादी है नया टोला की
- 1980 के आसपास यहां आकर बसे थे लोग
- 34 नंबर वार्ड के तहत बसा
- 46 वार्ड हैं पूर्णिया नगर निगम में