Purnia news : रेल सुविधाओं की बहाली और रेल मंत्रालय की लगातार उपेक्षा के सवाल पर पूर्णियावासियों का गुस्सा अब अंदर ही अंदर उबाल खा रहा है. रेल विकास के मुद्दे को लेकर पूर्णिया के लोग अब आंदोलन के मूड में आ गये हैं. इसके लिए चरणबद्ध आंदोलन का मन बनाया जा रहा है. इसको अमलीजामा पहनाने के लिए गोलबंदी की मुहिम शुरू कर दी गयी है. इसके लिए युवा आगे आ रहे हैं, पर इसमें सभी संगठनों को जोड़ने की कोशिश की जा रही है. लोगों का स्पष्ट कहना है कि रेलवे पूर्णिया जंक्शन और कोर्ट स्टेशन पर जरूरत की तमाम सुविधाएं बहाल करे, नहीं तो लंबा आंदोलन छेड़ा जायेगा.
बगैर आंदोलन सुनवाई संभव नहीं
गौरतलब है कि पूर्णिया शहर में अलग-अलग दो रेलवे स्टेशन हैं. इसमें पूर्णिया जंक्शन और पूर्णिया कोर्ट शामिल है. दोनों जगह ही यात्री सुविधाओं का अभाव बना हुआ है. पूर्णिया के जलालगढ़- किशनगंज रेल परियोजना का हश्र जानने के बाद लोगों को यह विश्वास हो चला है कि आंदोलन के बगैर रेल मंत्रालय में कोई सुनवाई संभव नहीं है. वैसे, इस मंत्रालय में बिहार की भागीदारी नहीं होने पर भी लोगों को मलाल है. मलाल इस बात का भी है कि बार-बार मांग के बावजूद कटिहार-पटना इंटरसिटी को सप्ताह में पांच दिन जोगबनी से तथा कटिहार-अमृतसर आम्रपाली एक्सप्रेस को प्रतिदिन जोगबनी से चलाने का प्रस्ताव करीब एक साल से ठंडे बस्ते में है. यह प्रस्ताव पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे द्वारा भेजा गया था. पूर्णिया की उपेक्षा का आलम यह है कि कटिहार-जोगबनी रेलखंड में 14 सालों से ट्रेनों की बढ़ोतरी नहीं हुई है. जानकी एक्सप्रेस की समय सारणी में बदलाव, हाटे बाजारे एक्सप्रेस का पूर्णिया होकर सप्ताह में तीन दिन परिचालन, पटना के लिए सीधी ट्रेन इंटरसिटी एक्सप्रेस के पूर्णिया तक विस्तार की मांग अब तक अधर में है.
मंत्रालय में अनसुनी होती रही पूर्णिया की मांग
दरअसल, मजबूत नेतृत्व के अभाव में पूर्णिया के रेल विकास की मांगें रेल मंत्रालय में अब तक अनसुनी होती रही हैं. रेल मंत्रालय ने पूर्णिया की आवाज जरूर सुनी और भरोसा भी दिलाया, पर कभी तवज्जो नहीं दिया. यही वजह है कि जोगबनी- कोलकाता एक्सप्रेस को रोजाना चलाने और जोगबनी से पटना राज्यरानी व रात्रिकालीन ट्रेनों के परिचालन की मांग अनसुनी होकर रह गयी. पूर्णिया कोर्ट और जोगबनी में वाशिंग पिट एवं एक कोच लंबाई के सिक लाइन निर्माण रेलवे बोर्ड की मंजूरी के बावजूद अधर में है. कोर्ट स्टेशन पर वाशिंग पिट का मामला वर्ष 2018- 19 से लंबित है. रेलवे सूत्रों का कहना है कि पिट लाइन के बगैर लंबी दूरी की ट्रेनों का परिचालन संभव नहीं है. इधर, नागरिकों का कहना है कि इस दिशा में राजनीतिक स्तर पर दबाव बनाये जाने के साथ आंदोलन की जरूरत है.
नहीं हो सकी 40 किमी पटरी बिछाने की पहल
पूर्णिया के लोगों को यह मलाल है कि आजादी के बाद पूर्णिया से दालकोला के बीच रेल की पटरी बिछाने की मामूली पहल तक नहीं हो सकी है, जबकि यह दूरी महज 40 किलोमीटर की है. नागरिकों का कहना है कि यदि पटरी बिछ जाती, तो दालकोला होते हुए पूर्णिया से किशनगंज के बीच रेल का सीधा सफर सहज हो जाता. याद रहे कि पूर्णिया से सीधा किशनगंज रेल परिचालन के लिए काफी दिनों से आवाज उठायी जा रही है, लेकिन अभी तक इस पर पहल नहीं हो सकी है. प्रबुद्ध नागरिकों का कहना है कि पूर्णिया से दालकोला और किशनगंज जाने के लिए केवल सड़क ही एकमात्र विकल्प है.
पूर्णिया सिटी था पहले स्टेशन का नाम
पूर्णिया जंक्शन रेलवे स्टेशन पूर्णिया शहर में स्थित है. यह पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के कटिहार रेलवे डिवीजन का ए श्रेणी का रेलवे स्टेशन है. पूर्णिया जंक्शन की शुरुआत 1887 में हुई. इस स्टेशन का पुराना नाम पूर्णिया सिटी था. यह उत्तर पूर्व सीमांत रेलवे के कटिहार-जोगबनी रेलखंड पर स्थित है. यह रेलवे लाइन पहले मीटर गेज थी. पूर्व मध्य रेलवे की एक और मानक गेज लाइन पूर्णिया को बनमनखी के माध्यम से सहरसा जंक्शन से जोड़ती है. पूर्णिया सहरसा खंड में 36 किलोमीटर लंबे पूर्णिया बनमनखी खिंचाव का ब्रॉड गेज परियोजना में रूपांतरण 2016 में पूरा हुआ.