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Purnia News : आंबेडकर बाजार : भवन पर उग आये पौधे, बरसात में टपकती है छत

पूर्णिया शहर के आंबेडकर बाजार में शौचालय की व्यवस्था न होने से दुकानदारों को परेशानी हो रही है. 1997 में निर्माण के बाद अब तक इसकी दोबारा न मरम्मत हुई, न रंगाई-पुताई. गंदगी व दुर्गंध की वजह से ग्राहक आने से कतराते हैं. इससे 300 दुकानदारों को समस्या हो रही है.

Purnia News : पूर्णिया. शहर के मुख्य चौराहे का मार्केट आंबेडकर बाजार समय के साथ-साथ खंडहर में तब्दील होता जा रहा है. आरएन साव चौक से लेकर राज्य पथ परिवहन निगम बस स्टैंड के मध्य अवस्थित आंबेडकर बाजार के कुल चार ब्लॉक हैं, जिनमें से चौथा यानी डी ब्लॉक एक मंजिल ही है. वहां दुकानें भी कम ही हैं. मुख्य रूप से तीन ब्लॉक है ए, बी और सी हैं, जिनके ऊपर भी दुकानें हैं. फिलहाल हालात यह है कि इसके तीनों ब्लॉक के रूप में बने दोमंजिले भवन की छत पर जाने के रास्ते लगभग बंद हैं. कहीं गंदगी है, तो कहीं कचरे का ढेर.सीढ़ियों में इस्तेमाल सरिया जंग लगकर नष्ट हो चुका है. कई स्थानों से टूट-टूट कर गिर रहा है. और तो और छत पर जानेवाली सीढ़ियों पर ही कर दिया गया टॉयलेट का निर्माण है. उसमें भी गंदगी की वजह से अक्सर सीढ़ियों पर ही लोग मूत्र त्याग कर देते हैं. ऐसे में प्रथम तल तक भी लोगों का पहुंच पाना दुर्लभ हो जायेगा.

वर्ष 1995-96 में रखी गयी थी आधारशिला

जानकारी के अनुसार, पूर्णिया के आंबेडकर बाजार का निर्माण कार्य जिलाधिकारी एसएम राजू के कार्यकाल में वर्ष 1995-96 में शुरू हुआ था. शहरी विकास अभिकरण द्वारा शहर के सौन्दर्यीकरण के तहत लगभग डेढ़ वर्ष बाद 1997 में चारों ब्लॉक बनकर तैयार हो गये और स्थानीय दुकानदारों को हस्तगत किये गये. दो मंजिले तीनों ब्लॉक में दोनों तल मिलाकर लगभग एक एक सौ दुकानें बनायी गयीं. वहीं एक मंजिला डी ब्लॉक में मात्र दर्जन भर. सभी ब्लॉक मिलाकर लगभग 300 दुकानेहैं. शुरुआत में एक शौचालय भी बनाया गया था. स्थानीय दुकानदारों की मानें तो शुरुआती तीन वर्षों तक सबकुछ ठीक ठाक चला उसके बाद मार्केट की स्थिति में गिरावट आने लगी. जैसे-जैसे समय बीतता गया, देख-रेख और मेंटेनेंस के अभाव में आंबेडकर बाजार के सभी ब्लॉक जर्जर होते चले गये.

भवन पर उग आये हैं पेड़-पौधे, टपकने लगी है छत

दुकानदार बताते हैं कि बीते लगभग 27 वर्षों में सभी ब्लॉक में किसी भी तरह का रिपेयर कार्य तो दूर, रंग-रोगन तक नहीं कराया गया. जबकि राजस्व के मामले में सभी चौकन्ने हैं. सभी दुकानदार अपनी अपनी जरूरत के मुताबिक दुकान की मरम्मत और रंगाई-पुताई करवाते आ रहे हैं. वहीं छतों के ऊपर जमा गंदगी की वजह से बरसात होने पर ऊपरी मंजिल की छत टपकने लगती है. जबकि सीढ़ियों पर टॉयलेट और अन्य गंदगी वर्षा के पानी के साथ नीचे आ जाती है. इस दुर्गंध के बीच रहना किसी सजा से कम नहीं है. कुछ दुकानदारों ने बताया कि कई बार उन सब ने मिलजुल कर छतों की सफाई भी करवायीहै. लेकिन काफी दिनों से इस दिशा में भी कोई काम नहीं हुआ है. इस कारण भवन के कई स्थानों पर पेड़-पौधे उग आये हैं. इससे बिल्डिंग को नुकसान पहुंच रहा है.

दुकानदारों ने कहा- बारिश में सामान बचाना होता है मुश्किल

यहां पर स्थायी मार्केट के निर्माण को लेकर हम सभी वर्ष 1990 से ही प्रयासरत थे. प्रशासनिक आश्वासनों के बाद आखिरकार आंबेडकर बाजार का निर्माण कार्य पूर्ण हुआ और वर्ष 1997 में यहां सभी को जगह मिली. लेकिन देख रेख नहीं होने की वजह से हालत बिगड़ गयी है. असल में हम सभी की ओर से इसके लिए प्रयास भी नहीं हुए.
-शिवशंकर पंडित, पार्ट्स दुकानदार
ऊपरी मंजिल पर मेरी इलेक्ट्रॉनिक्स की दुकान है. लम्बे समय से छत की साफ-सफाई नहीं हुई है. बरसात के दिनों में छत से पानी टपकने की शिकायत रहती है. फिर से बारिश का मौसम आ रहा है सभी सामान को बचाने के लिए उपाय करना होगा, नहीं तो नुकसान का खतरा बढ़जायेगा.
गोपाल कुमार, इलेक्ट्रॉनिक्स दुकानदार
यहां ऑफिस चलाना आसान काम नहीं है. एक तो पीने के पानी की समस्या है. खुद व्यवस्था करनी पड़ती है. दूसरी ओर ना तो टॉयलेट है ना ही वॉश रूम. पूरे दिन यहां समय देना काफी मुश्किल भरा है. टैक्सेशन फाइल करवाने के लिए हर तरह के लोग आते हैं, सभी को परेशानी है.
-अनंत सिन्हा, टैक्स कंसल्टेंट
मेरी दुकान और ऊपर आने की सीढ़ी का फासला बहुत ही कम है. जो भी आता है बदबू के बीच बैठना नहीं चाहता. मार्केट में जगह ही नहीं है शौचालय के लिए. आसपास भी कहीं व्यवस्था नहीं है. बरसात में तमाम गंदगियां बहकर नीचे आने लगती हैं. रिपेयर नहीं किये जाने की वजह से अनेक स्थानों पर टूटने झड़ने की समस्या आ गयी है.
-नवीन कुमार, थोक पार्ट्स विक्रेता

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