Purnia news : पूर्णिया लोकसभा सीट से जदयू की हार के बाद एनडीए गठबंधन में मंथन का दौर शुरू है. लोकसभा चुनाव का नतीजा आने के बाद से जदयू-भाजपा सकते में हैं. उन्हें इस नतीजे का अनुमान नहीं था. अब जब नतीजा सामने है, तो दोनों दलों के नेता हार की समीक्षा कर रहे हैं. कहां चूक हुई, इसपर लगातार बहस जारी है. दरअसल, इस चुनाव में हार जदयू की हुई है, लेकिन जोर का झटका भाजपा को लगा है. इसकी वजह यह है कि जदयू को उन तीन विधानसभा क्षेत्रों में हार मिली, जहां भाजपा सत्ता में है. इनमें बनमनखी, पूर्णिया सदर और कोढ़ा विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं.
हार के दो प्रमुख कारण
बनमनखी और कोढ़ा विधानसभा क्षेत्र में 11-11 हजार और पूर्णिया सदर में पांच हजार से अधिक मतों के अंतर से हार हुई, जबकि धमदाहा में मंत्री लेशी सिंह के प्रयास से जदयू को 16 हजार और रूपौली विधानसभा क्षेत्र में सर्वाधिक 20 हजार की बढ़त मिली. हार के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन इनमें दो कारण प्रमुख रहे. एक पीएम मोदी के प्रति नेताओं के अति विश्वास और दूसरा जदयू-भाजपा के बीच आपसी तालमेल का अभाव. एनडीए के नेताओं को लग रहा था कि इस बार भी मोदी नैया पार करा देंगे.अबकी बार 400 के पार का नारा हर नेता की जुबान पर था.
जवाबदेही से भाग नहीं सकते
भाजपा के जिलाध्यक्ष राकेश कुमार भी मानते हैं कि कहीं न कहीं हमलोगों से यह चूक हुई है.अबकी बार 400 के पार का मकसद था कि मोदी जी की लोकप्रियता को हम घर-घर तक पहुंचाएं. उनके कामों की जानकारी दें, ताकि लोग उनके काम के बदले उन्हें वोट दें. पर, कार्यकर्ता समझ बैठे कि जनता ही बैठे-बैठे 400 पार करा देगी. श्री कुमार ने बताया कि भाजपा नेतृत्व वाले तीनों विधानसभा क्षेत्रों में हुई हार की भी पार्टी समीक्षा करेगी. आखिर एनडीए के बड़े घटक होने के नाते हम अपनी जवाबदेही से भाग नहीं सकते. जहां तक जदयू-भाजपा के बीच तालमेल के अभाव का सवाल है. हम इस बात से सहमत नहीं है. भाजपा का एक-एक कार्यकर्ता प्रत्याशी के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने का प्रयास किया. यह जरूर है कि सांसद के प्रति लोगों की नाराजगी को दूर करने के लिए जो प्रयास किये जाने थे, उसमें कहीं न कहीं कमी रह गयी. इधर, एनडीए के एक तबके का मानना है कि सांसद और जनता के बीच बढ़ी दूरियां भी हार का मुख्य कारण बनीं. ठीक इसके विपरीत पप्पू यादव ने अपने समर्थकों और शुभचिंतकों के साथ-साथ कट्टर विरोधियों से भी संपर्क करने में भी कोई गुरेज नहीं किया. ऐसे कई उदाहरण सामने हैं, जब दूसरे दलों के नेताओं के संकट की घड़ी में पप्पू यादव उनके अपने दल के नेता से पहले पहुंचे.
पूर्णिया सदर से पप्पू की बढ़त ने सभी को चौंकाया
पूर्णिया लोकसभा सीट के नतीजे से सबसे चौंकानेवाला तथ्य पूर्णिया सदर विधानसभा क्षेत्र से पप्पू यादव की जीत को लेकर है. पूर्णिया सदर आमतौर पर भाजपा की सीट मानी जाती रही है.इसलिये विधानसभा का चुनाव हो या फिर लोकसभा का. जीत को लेकर भाजपा या उसके घटक दल पूर्णिया सदर से जीत के प्रति आश्वस्त रहते हैं. पर, इस चुनाव में पप्पू यादव की बढ़त ने सभी को चौंका दिया. इसकी वजह यह है कि अबतक के चुनावी इतिहास में यह पहली दफा है, जब किसी गैर भाजपा को इस सीट से बढ़त मिली हो. हालांकि जीत का आंकड़ा भले ही कम हो, पर चौंकानेवाला जरूर है. इसका एक मतलब साफ है कि भाजपा का कोर वोटर या तो वोट करने नहीं निकला या फिर पप्पू यादव को सभी तबके के लोगों ने वोट किया.