Purnia news : वह दिन दूर नहीं जब पूर्णिया के चाय की चुस्की से सुबह की शुरुआत होगी. जो लोग चाय के शौकीन हैं, उनलोगों के लिए खासतौर से खुशखबरी है. उन्हें जल्द ही चाय का एक नया स्वाद मिलनेवाला है. जी हां, किशनगंज के बाद अब पूर्णिया में भी चाय की खेती होगी. इसकी शुरुआत भी हो गयी है. अगर सबकुछ ठीक-ठाक रहा तो जल्द ही आपकी प्याली में पूर्णिया की चाय नजर आयेगी. पूर्णिया जिला प्रशासन पूर्णिया में चाय की खेती को बढ़ावा देने की योजना को पायलट प्रोजेक्ट के तर्ज पर शुरू कर रहा है. किशनगंज-पूर्णिया सीमा से जुड़े जिले के बैसा प्रखंड में चाय की खेती शुरू हो गयी है. हालांकि अभी इसका रकबा कम है, लेकिन यह खेती सफल हो गयी तो बड़े रकबे में खेती करने की योजना है.
जिले के पहले चाय उत्पादक बने अब्दुल कैयूम
पूर्णिया जिले में चाय की खेती की शुरुआत बैसा प्रखंड से हुई. हालांकि यह सीमा किशनगंज जिले के बेहद ही करीब है और किशनगंज में पूर्व से ही चाय की खेती की जा रही है. बैसा प्रखंड के धूमनगर अंतर्गत निहोड़ी मौजा के किसान अब्दुल कैयूम ने अपने भाइयों के साथ मिलकर 10 एकड़ जमीन में चाय का बगान लगाया है. तीन साल तक उसकी देखभाल करते रहने के बाद गत वर्ष से पत्तियों की तुड़ाई शुरू हो गयी है. शुरुआत में प्रतिमाह 10 क्विंटल पत्तियों की होनेवाली तुड़ाई अब 30 क्विंटल प्रतिमाह तक पहुंच गयी है. वह बताते हैं कि चाय की हरी पत्तियों की तुड़ाई के बाद उसे जल्द ही प्रोसेसिंग के लिए किशनगंज भेज देते हैं, जहां से प्रोसेस होने के बाद उसे बाजार तक पहुंचाया जाता है.
खेती के लिए और कई किसान आगे आये
बैसा प्रखंड उद्यान पदाधिकारी शशिभूषण कुमार ने बताया कि कई बार इनके चाय बगान का मुआयना किया है. फसल देखकर कहीं से भी किसी तरह की दिक्कत नहीं मालूम पड़ती है. बेहतरीन उत्पादन कर रहे हैं. कुछ समस्या बिजली आपूर्ति को लेकर है. अगर इनके खेतों तक बिजली की पहुंच हो जाये तो और भी सहूलियत हो जाएगी. इन्हें देखकर और भी कुछ किसान तैयार हुए हैं. संभव है कि इसका रकबा और बढे.
पहली बार लगायी गयी चाय की प्रदर्शनी
शनिवार को मुख्यमंत्री काझा कोठी आये थे. इस दौरान कई स्टॉल लगाये गये थे. इनमें चाय स्टॉल सभी के लिए आकर्षण का केंद्र बना रहा. सीएम भी इस स्टॉल पर गये. डीएम कुंदन कुमार ने बताया कि पहली बार पूर्णिया में चाय की खेती हुई है. सीएम ने इस कार्य के लिए बैसा के चाय उत्पादक किसान अब्दुल कैयूम की हौसला अफजाई भी की. चाय उत्पादक किसान अब्दुल कैयूम ने कहा कि पहले धान, मक्का, बाजरा वगैरह की ही खेती करता था. पर, ठाकुरगंज के कुछ रिश्तेदार के यहां चाय की खेती देख मैंने भी इसकी खेती का मन बनाया. वहीं से सीखकर पहली बार 10 एकड़ जमीन में चाय की खेती के लिए प्रयास किया. चार साल हो गये हैं. पिछले साल से चाय की तुड़ाई शुरू हो गयी है. अब इसका रकबा और भी बढ़ाएंगे.
चाय विकास योजना के तहत सरकार दे रही है अनुदान
बिहार में चाय की खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सरकार किसानों को कुछ अनुदान भी दे रही है. वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए चाय विकास योजना को क्रियान्वित करते हुए चाय की खेती शुरू करनेवाले किसानों के लिए प्रति हेक्टेयर 2.47 लाख रुपये की सब्सिडी का प्रावधान किया गया है. बिहार सरकार उद्यान निदेशालय के अनुसार, चाय के लिए नये क्षेत्र के विस्तार अंतर्गत प्रति हेक्टेयर की यूनिट लागत को 4.94 लाख निर्धारित किया गया है. इसपर 50 प्रतिशत का अनुदान दिया जाना है, जो 2.47 लाख रुपये की सब्सिडी के रूप में आता है. इसके अलावा चाय की खेती एवं परिवहन संबंधी यंत्रों व वाहनों की खरीद पर भी सरकार द्वारा अनुदान की व्यवस्था की गयी है.
बैसा चाय की खेती के लिए अनुकूल : डीएम
डीएम कुंदन कुमार ने कहा कि अक्सर यह बात दिमाग में आती थी कि अगर किशनगंज में चाय की खेती हो सकती है, तो पूर्णिया में क्यों नहीं ? जब इसको लेकर पड़ताल की गयी तो पता चला कि जिले का बैसा प्रखंड चाय की खेती के लिए अनुकूल है. इसके बाद उस क्षेत्र के किसानों को प्रोत्साहित किया गया. इसी का नतीजा है कि आज पूर्णिया में पहली बार चाय की खेती हो रही है. जिले के बैसा प्रखंड के एक किसान ने चाय की खेती कर एक नयी शुरुआत की है. आनेवाले दिनों में यह मील का पत्थर साबित होगा. यह अन्य किसानों को चाय की खेती के लिए प्रेरित करेगा. चाय की खेती ने आसपास के किसानों के लिए भी उम्मीद की किरण जगा दी है.