झिझिया नृत्य की प्रस्तुति दे त्रिदीप एवं टीम ने लहराया परचम
पूर्णिया. राजस्थान की जयपुर में आयोजित 27 वें राष्ट्रीय लोक रंग महोत्सव में पूर्णिया के त्रिदीप शील व उनकी टीम ने धमाल मचाया और पूर्णिया को गौरवान्वित किया. पिछले 18 से 28 अक्टूबर के बीच आयोजित इस रंग महोत्सव में भारत के सभी राज्यों की लोक परम्पराओं एवं संस्कृति का समावेश किया गया था जिसमें पूर्णिया की टीम ने झिझिया नृत्य की प्रस्तुति देकर पूर्णिया का परचम लहराया. इस महोत्सव में पूर्णिया के रविन्द्र नर्तक एवं नृत्य निर्देशक त्रिदीप शील के नेतृत्व एवं नृत्य निर्देशन में 15 सदस्यीय टीम ने कला का जलवा बिखेरा. कार्यक्रम में दल के कलाकारों में पूर्णिया के काजल देवनाथ ,रिया डे , प्रीति डे, श्रेया शाधुखान, भास्वती कर्मकार , सरस कुमारी, सुष्मिता कुमारी ,सूरज सहानी, पायल ,आकृति कुमारी ,रंजीत कुमार महता , सत्यम कुमार,सौम्या कुमारी ,शिवानी मुख्य रुप से शामिल थे. याद रहे कि झिझिया बिहार के मिथिलांचल का एक पारंपरिक लोक नृत्य है जो एक आनुष्ठानिक गीत-नृत्य के रूप में जाना जाता है. शारदीय नवरात्र में द्वितीय प्रहर को भोजन आदि से निवृत्त होकर महिलाएं,बालिकाएं दीपयुक्त घड़ों को सिर पर रखकर ब्रह्मस्थान पहुंचती है. झिझिया के घड़ों में अक्सर पांच- सात छिद्र किए जाते हैं. छिद्रयुक्त घड़ों में जलता हुआ दीपक आटे से चिपकाया जाता है जिससें तेज चलने में या नाचनें में दीप नहीं गिरे. यह दीप देवी मां का प्रतीक माना जाता है. ब्रह्मस्थान पहुंचकर महिलाएं देवस्थान के चारों ओर भांवरी भरते हुए सिर पर दीप प्रज्जविलत तथा छिद्रयुक्त घड़े रखकर गीत गाती हुई नृत्य करती हैं. इस प्रकार झिझिया एक आनुष्ठानिक उत्सव है,जिसमें गीत के क्रम में नृत्य का समायोजन है. |फोटो-27 पूर्णिया 20- झिझिया नृत्य की प्रस्तुति देते कलाकार.
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