इन्देश्वरी यादव, भवानीपुर. मिट्टी में जान फूंकनेवाले कुम्हार का हर परिवार चाहता है कि उसका हर दिन दीपावली हो. लोग सालो भर अपने-अपने घरों में दीप जरूर जलाएं. इसके पीछे आस्था और अर्थशास्त्र दोनों है. दरअसल, दीपावली को लेकर एक हफ्ते में हर कुम्हार को औसतन 20 हजार तक का मुनाफा होता है. यही वजह है कि दीपोत्सव के लिए कुम्हार आम-खास हर तरह के दीये तैयार करते हैं. मिट्टी के बर्तन बनाने वाले पंकज पंडित, मीना देवी, कमल पंडित ,सुनीता देवी, मीरा देवी आदि ने बताया कि दीपावली के मौके पर दीपक के साथ-साथ कलश, हाथी, चुकिया आदि का भी निर्माण करते हैं. रघुनाथपुर पंचायत के छप्पन संथाली टोला निवासी पंकज पंडित बताते हैं कि मैंने स्नातक प्रतिष्ठा डिग्री प्राप्त की है. मां मीना देवी के साथ इस कारोबार में हाथ बंटाता हूं. दीपावली के मौके पर 50 से 60 हजार तक का दीपावली में कारोबार हो जाता है और प्रत्येक दीपावली को 20 हजार के लगभग कमाई हो जाती है, जबकि प्रत्येक दिन दीया,घड़ा, कलश, हाथी, घोड़ा सहित अन्य मिट्टी के सामान और बर्तन बनाने का काम करते हैं. मिट्टी का घोड़ा, हाथी शादी विवाह में ज्यादा मांग रहती है. दीपावली की तरह ही लगन के समय कारोबार में वृद्धि होती है और अच्छी आमदनी आ जाती है. हमलोगों का एकमात्र जीवकोपार्जन का साधन मिट्टी का बर्तन बनाना ही है. आधुनिकता के दौर में भी मिट्टी के गणेश-लक्ष्मी सर्वश्रेष्ठ आधुनिकता के इस दौर में भी मिट्टी के दीपक की परंपरा कायम है. आज भी मां लक्ष्मी एवं भगवान गणेश की मिट्टी की मूर्ति के पूजन को ही सर्वश्रेष्ठ माना जाता है. बिजली से बने झालर लाइट व अन्य वस्तुओं का उपयोग होता है पर दीपक प्रज्ज्वलित करना श्रद्धालु शुभदायक मानते हैं. फोटो-25 पूर्णिया 27- कुम्हार के बनाये मिट्टी के बर्तन
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