पटना शहर के दो अस्पतालों में अब मरीजों को मिलने वाले निबंधन के पर्चे में क्यूआर कोड लगा हुआ मिलेगा. क्यूआर कोड के द्वारा डॉक्टर को मरीज की केस हिस्ट्री व उसके इलाज से जुड़ी सभी जानकारियां आसानी से मिल जायेंगी. पहली बार जिन मरीजों का निबंधन होगा, उनके क्यूआर कोड में उनसे जुड़ी व्यक्तिगत जानकारियां जैसे नाम, पता, ब्लड ग्रुप तथा किस बीमारी के लिए निबंधन कराया है. इसकी सूचना बस एक स्कैन में मिल जायेगी. इसके लिए निबंधन के प्रारूप में बदलाव करते हुए एक एप भी लाया गया है.
नये सॉफ्टवेयर के माध्यम से क्यूआर कोड की स्कैनिंग हो सकेगी. पहले संजीवनी सॉफ्टवेयर से निबंधन का काम होता था, जिसमें सिर्फ अस्पताल के पास मरीज के नाम तथा उसके रजिस्ट्रेशन कराने की तिथि की ही जानकारी होती थी. अब नये सॉफ्टवेयर के आ जाने से मरीज की पूरी जानकारी अस्पताल के पास रहेगी .
शहर के गार्डिनर रोड व राजवंशी नगर स्थित एलएनजेपी हड्डी अस्पताल के ओपीडी में नये सॉफ्टवेयर से रजिस्ट्रेशन की सुविधा शुरू कर दी गयी है. एलएनजेपी हड्डी अस्पताल के निदेशक डॉ सुभाष चंद्रा व गार्डिनर के अधीक्षक डॉ मनोज कुमार सिन्हा ने बताया कि क्यूआर कोड को एक बार स्कैन करने के बाद डॉक्टर का नाम, मरीज का नाम, डॉक्टर ने पर्चे पर क्या-क्या लिखा है, इसकी पूरी जानकारी कंप्यूटर स्क्रीनिंग पर आ जायेगी. इससे एक और फायदा यह होगा कि ओपीडी में रजिस्ट्रेशन कराने के लिए घंटों लाइन में खड़ा नहीं रहना होगा. पर्चे पर क्यूआर कोड लगे होने के कारण कर्मचारियों को पूरी डिटेल उसी से मिल जायेगी
पहले आपीडी में भीड़ के कारण मरीजों को काफी परेशानी होती थी. वहीं, चिकित्सकों की ड्यूटी बदल जाने से दुबारा आने वाले मरीजों को उनके लक्षण के अनुसार दवा देने में कठिनाई होती थी. नये निबंधन प्रणाली के तहत पर्ची पर एक आइडी भी अंकित रहेगा. आइडी के ठीक ऊपर क्यूआर कोड दिया गया है. इस कोड के माध्यम से सिर्फ पटना में ही नहीं, बल्कि देश के किसी भी अस्पताल में मरीज के बारे पूरी जानकारी एक मिनट में ली जा सकती है. बस इसे स्कैन करना होगा.
अस्पताल में आये मरीज जब-जब निबंधन पर्चा को अलग-अलग विभाग में ले जायेंगे, उसकी जानकारी भी उसमें डाल दी जायेगी. वहीं मरीज ने कौन-कौन सी जांच करायी है, उसकी सूचना भी स्कैन करते ही प्राप्त होगी. गंभीर बीमारी वाले मरीजों को यदि वेंटीलेटर पर रखने की जरूरत होगी या मरीज कभी आइसीयू में एडमिट हुआ है, तो यह भी क्यूआर कोड स्कैन करने पर पता चल जायेगा.