JDU MLC Rajvardhan Azad: राजवर्धन आजाद को जदयू ने विधान परिषद का सदस्य मनोनीत किया है. राजवर्धन आजाद जदयू से बगावत करके नयी पार्टी बनाने वाले उपेंद्र कुशवाहा की जगह अब नए MLC बने हैं. राजवर्धन आजाद देश के जाने-माने नेत्र चिकित्सक हैं. उनके परिवार की पृष्ठभूमि राजनीति से जुड़ी रही है. वो खुद लोकसभा का चुनाव लड़ चुके हैं और उनके भाई भी सियासत के जाने-माने चेहरे हैं. राजवर्धन आजाद को बिहार विधान परिषद का सदस्य बनाने की अधिसूचना राजभवन ने जारी कर दी है.
बता दें कि जदयू ने राजवर्धन आजाद को विधान परिषद सदस्य बनाया है और अनुशंसा मिलने के बाद राजभवन ने उन्हें एमएलसी बनाने की अधिसूचना जारी कर दी है. बता दें कि राजवर्धन आजाद बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री स्व.भागवत झा आजाद के बेटे हैं. उनके भाई कीर्ति आजाद मशहूर क्रिकेटर रहे जो अब राजनीति के मैदान में उतर चुके हैं. कीर्ति आजाद ने भाजपा के साथ अपनी सियासी पारी शुरू की थी. बाद में कांग्रेस का दामन उन्होंने थामा था और अब ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस के साथ वो हैं. बता राजवर्धन आजाद की करें तो राजवर्धन आजाद भी खुद लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं और जदयू ने ही उन्हें टिकट दिया था.
डॉ. राजवर्धन आजाद एक फेमस नेत्र विशेषज्ञ रहे हैं. दिल्ली एम्स में वो नेत्र विज्ञान विभाग के संकाय सदस्य भी रहे. उन्हें नीतीश कुमार का करीबी माना जाता है. बता दें कि वर्ष 2014 में राजवर्धन आजाद को जदयू ने चुनावी मैदान में भी उतारा था. जदयू ने उन्हें झारखंड के गोड्डा लोकसभा से उम्मीदवार बनाया था. इस चुनाव के दौरान ही देश में बड़ा सत्ता परिवर्तन हुआ था और नरेंद्र मोदी को पीएम का चेहरा बनाकर भाजपा ने प्रचंड बहुमत से सरकार बनायी थी. गोड्डा में टक्कर भाजपा के उम्मीदवार निशिकांत दुबे और कांग्रेस उम्मीदवार फुरकान अंसारी के बीच हुई थी. जिसमें भाजपा उम्मीदवार निशिकांत दुबे की जीत हुई थी. फुरकान अंसारी दूसरे नंबर पर रहे थे. जदयू उम्मीदवार राजवर्धन आजाद को तब 15 हजार से भी कम वोट मिले थे और 7वें नंबर पर उन्हें संतोष करना पड़ा था.
राजवर्धन आजाद को 2019 में बिहार राज्य विश्विद्यालय सेवा आयोग का अध्यक्ष बनाया गया था. बता दें कि बिहार विधान परिषद में कुल 75 सीटें हैं. इनके सदस्य विधानसभा, स्थानीय निकायों, स्नातक और शिक्षक निर्वाचन क्षेत्रों से चुने जाते हैं. राज्य सरकार की सिफारिश पर राज्यपाल के द्वारा भी एमएलसी नामित होते हैं. जदयू छोड़कर अपना अलग संगठन बनाने वाले उपेंद्र कुशवाहा ने इसी साल 24 फरवरी को परिषद की सदस्यता छोड़ दी थी. उनके ही जगह पर अब राजवर्धन आजाद को एमएलसी बनाया गया है.