14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

वे छह कारण जिनसे बिगड़ती गयी JDU की BJP से बात, जानें चिराग मॉडल का क्या रहा रोल

भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा द्वारा पटना की सभा में यह कहा जाना कि क्षेत्रीय पार्टियों का अस्तित्व खत्म हो जायेगा, तात्कालिक कारण बना. घाव इतने गहरे हुए कि भाजपा केकद्दावर नेता अमित शाह का फोन कॉल भी संबंधों को टूटने से नहीं रोक सका.

पटना. भाजपा और जदयूकी गठबंधन सरकार केरिश्तों मेंअविश्वास की शुरुआत 2020 विधानसभा चुनाव में चिराग मॉडल केसाथ हीहो गयी थी. इसके बाद लगातार कई राष्ट्रीय मुद्दों पर मतभेद, विधानसभा केअंदर विधानसभा अध्यक्ष और मुख्यमंत्री की नोक-झोंक, केंद्रीय मंत्रिमंडल में हिस्सेदारी सहित कई ऐसे मुद्दे रहे, जिन्होंने दोनों दलों के बीच केसंबंधों को कमजोर किया. अंत में आरसीपी सिंह प्रकरण ने दोनों दलों के संबंधों में आखिरी कील ठोंक दी.

अमित शाह का फोन कॉल भी संबंधों को टूटने से नहीं रोक सका

घाव इतने गहरे हुए कि भाजपा केकद्दावर नेता अमित शाह का फोन कॉल भी संबंधों को टूटने से नहीं रोक सका. इसकेअलावा यूपी विधानसभा चुनाव में जदयू को भाजपा गठबंधन में सीटें नहीं मिलना, विधानसभा शताब्दी समारोह में मुख्यमंत्री की तस्वीर नहीं लगाया जाना और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा द्वारा पटना की सभा में यह कहा जाना कि क्षेत्रीय पार्टियों का अस्तित्व खत्म हो जायेगा, तात्कालिक कारण बना.

नीतीश का कद घटाने की साजिश का आरोप

जदयू का आरोपहै कि भाजपा ने कई बार नीतीश कुमार केकद को कम करने की साजिश रची. पहली साजिश 2020 विधानसभा चुनाव में की गयी, जब ‘चिराग मॉडल’ केसहारे उनको सीटों का नुकसान पहुंचाया गया. इसके बाद आरसीपी सिंह के बहाने पार्टी को तोड़ने की साजिश की गयी. इन घटनाओं ने उनकेरिश्तों में अविश्वास पैदा किया.

विधानसभा अध्यक्ष के साथ नोक-झोंक भी रही वजह

लखीसराय केएक मुद्दे को लेकर विधानसभा सत्र केदौरान विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बीच हुई नोक-झोंक भीदोनों पार्टियों के रिश्तों के बीच टर्निंग प्वाइंट साबित हुई. इस घटना लेकर मुख्यमंत्री सदन केअंदर काफी आक्रोशित दिखे थे. इस विवाद का विस्तार तब हुआ जब विधानसभा शताब्दी भवन समारोह मेंलगे बैनर-पोस्टरों से मुख्यमंत्री का नाम और तस्वीर गायब रही. समारोह मेंप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हुए थे.

छोटे दलों पर नड्डा की भविष्यवाणी

विवाद का हालिया कारण भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा कापटना में दिया गया वह बयान भी बताया जाता है, जिसमें उन्होंने भविष्य में क्षेत्रीय दलों केसमाप्त होने की भविष्यवाणी की थी. इस बयान पर जदयूकेप्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने भी आपत्ति जतायी थी.

विवादित मुद्दों पर स्टैंड न लेने की कशमकश

भाजपा और जदयू ने गठबंधन को लेकर अघोषित शर्त थी कि गठबंधन केदल विवादित मुद्दों कोप्रश्रय नहींदेंगे. इसकेचलते कृषि बिल, बिहार को विशेष राज्य कादर्जा और अग्निवीर सहित कई मुद्दों पर जदयूचाह कर भी खामोश रहा. जाति आधारित गणना को लेकर भीदोनों पार्टियों मेंमतभेद दिखे. खास कर अग्निवीर की घोषणा के बाद बिहार मेंहुएहंगामे पर भाजपा और जदयूके बड़े नेताओं की जुबानी जंग ने दोनोंपार्टियों के बीच खराब होते रिश्ते को दिखाया.

आरसीपी का केंद्रीय मंत्रिमंडल में जाना

केंद्रीय मंत्रिमंडल में जदयूकोउचित भागीदारी नहीं मिलना भीदोनोंदलों के संबंधों मेंआयी खटास काएक कारण रहा. जदयूशुरू से ही संख्या केअनुपात में केंद्रीय मंत्रिमंडल में भागीदारी मांग रहा था, जबकि भाजपाएक कैबिनेट मंत्री से अधिक देने को तैयार नहीं थी. जदयूकेस्टैंड कोदरकिनार कर आरसीसी अकेले केंद्रीय मंत्री बने, जिसकेचलते जदयूके अंदर नाराजगी कायम रही.

भाजपा की आक्रामक राजनीति से असहज

गठबंधन सरकार मेंहोने के बावजूद भाजपा की आक्रामक राजनीति से भी जदयू नेताओं में बेचैनीरही. आतंकवाद और राष्ट्रवाद केमुद्दे पर भाजपा के नेता काफी मुखर रहे.हाल के दिनों मेंपीएफआइ सदस्यों पर कार्रवाई को लेकर जहांभाजपा आक्रामक दिखी, वहीं जदयूके नेता चुप नजर आये.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें