बिहार में राज्यसभा की छह सीटों पर होने वाले चुनाव के लिए एनडीए और कांग्रेस के उम्मीदवारों ने बुधवार को नामांकन दाखिल किया. वहीं, अब राजद ने भी अपने दो उम्मीदवारों के नाम घोषित कर दिए हैं. राजद से मनोज झा और संजय यादव को राज्यसभा भेजा जा रहा है. राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने बुधवार को इसकी आधिकारिक घोषणा की है. यह घोषणा राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद और पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के विमर्श के बाद की गयी है. दोनों राजद नेता 15 फरवरी को राज्य सभा के लिए नामांकन करेंगे.
संजय यादव और मनोज झा जाएंगे राज्यसभा
मनोज झा का कार्यकाल खत्म होने वाला है और पार्टी उन्हें लगातार दूसरी बार राज्यसभा भेज रही है. मनोज झा राजद सुप्रीमो लालू यादव के काफी करीबी माने जाते हैं. उन्हें सर्वश्रेष्ठ सांसद का सम्मान भी मिल चुका है. मनोज झा तेजस्वी यादव से सबसे करीबी सलहकारों में से एक हैं. वहीं संजय यादव पहली बार राज्य सभा के लिए नामांकित हुए हैं. इससे पहले वह राजद नेता तेजस्वी यादव के सलाहकार के रूप में काम करते रहे हैं. हालांकि उन्हें हाल ही में गठित ‘इंडिया गठबंधन’ की समन्वय समिति का भी सदस्य बनाया गया है. संजय यादव तेजस्वी यादव के सबसे करीबी माने जाते हैं.
कौन हैं संजय यादव
संजय झा तेजस्वी यादव के साथ तब से काम कर रहे हैं जब उन्होंने क्रिकेट छोड़कर राजनीति पर ध्यान केंद्रित किया है. 37 साल के संजय पिछले एक दशक से तेजस्वी यादव के साथ जुड़े हुए हैं. दोनों की मुलाकात 2010 में दिल्ली में हुई थी. एमबीए पूरा करने के बाद, संजय उस समय तक तीन बहुराष्ट्रीय आईटी कंपनियों में नौकरियां बदल चुके थे. संजय यादव एक सामान्य परिवार से आते हैं. उन्होंने हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले के नांगल सिरोही में एक हिंदी-माध्यम गांव के स्कूल में पढ़ाई की. तेजस्वी यादव के लिए संजय यादव सबसे भरोसेमंद लोगों में से एक हैं.
कौन हैं मनोज झा
मनोज झा को राजद के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं. 2018 में वो राज्यसभा के सदस्य बने. उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से सामाजिक कार्य में एमए और फिर पीएचडी की पढ़ाई की है. 1967 में सहरसा में जन्में मनोज झा ने कोयला और इस्पात समिति, राज्यसभा के सदस्यों को कंप्यूटर प्रदान करने संबंधी समिति, रेलवे समिति, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की सलाहकार समिति जैसी कई संसदीय समितियों में काम किया है. मनोज झा की पहचान एक शिक्षक और शिक्षाविद के रूप में भी होती है. वो 2002 से दिल्ली विश्वविद्यालय में पहले असोसिएट प्रोफेसर फिर फिर प्रोफेसर के रूप में पढ़ा रहे हैं.
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