Bihar News: बिहार में नदियों का जलस्तर बढ़ा हुआ है. बाढ़ के हालात कई इलाकों में बन चुके हैं. इस दौरान नदी किनारे बसे निचले इलाके के लोगों का पलायन भी सुरक्षित जगहों की ओर होने लगा है. वहीं सड़क पर पानी चढ़ने की वजह से कई इलाकों में अब नाव ही लोगों के लिए आने-जाने का सहारा बना हुआ है. प्रदेश के शिक्षकों को भी जान हथेली पर रखकर स्कूल जाने की मजबूरी है. सहरसा में बीच नदी में करीब डेढ दर्जन शिक्षक मौसम बिगड़ने के कारण फंस गए और नाव दो घंटे तक भटकती रही.
सहरसा में शिक्षकों से लदी नाव नदी में भटकी
सहरसा जिले के कोसी पूर्वी तटबंध के ई-टू घाट से मध्य विद्यालय परताहा बरहारा के लिए डेढ़ दर्जन से अधिक शिक्षक एक नाव पर सवार होकर सुबह 7 बजे विद्यालय के लिए प्रस्थान किए.ई- टू घाट से नाव 7 बजे खुली जरूर लेकिन 9 बजे तक भी किनारा नहीं लग सकी. जबकि प्रत्येक दिन शिक्षकों को मात्र 45 मिनट में ही पूर्वी भाग से पश्चिमी भाग तक लेकर नाविक चले जाते थे. लेकिन इस दिन शिक्षकों को लेकर चली नाव एक से डेढ़ घंटे तक करीब 4 से 5 किलोमीटर की दूरी में भटकती रही. बताया गया कि कुहासा के कारण नाविक को किनारे का पता नहीं चल रहा था.जिस कारण नाव पर बैठे डेढ़ दर्जन से अधिक शिक्षकों की सांस अटक चुकी थी. वो अपनी जान की सुरक्षा के लिए जिला प्रशासन व ईश्वर से गुहार लगाते नजर आए.
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शिक्षकों ने की ये मांग…
नाव पर सवार शिक्षकों ने एक वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर इसे मुद्दा बनाया. उन्होंने जिला प्रशासन से बाढ़ की अवधि में छुट्टी देने या पूर्वी तटबंध के पूर्वी भाग के ही किसी विद्यालय में प्रतिनियुक्ति करने की मांग की है. ताकि जान जोखिम में डालकर विद्यालय उन्हें नहीं जाना पड़े. शिक्षकों ने यह भी कहा कि बाढ़ की अवधि में विद्यालय में बच्चे नहीं आते हैं.शिक्षक सब अपनी उपस्थिति बनाकर ही विद्यालय से सुबह शाम लौट जाते हैं.
किसी तरह नाव किनारे लगी
बताते चलें कि करीब एक से डेढ़ घंटे तक नदी में भटकने के बाद शिक्षकों का नाव किनारे लगा और नाव में सवार सभी शिक्षक किसी तरह अपनी जान बचाते हुए अपने विद्यालय तक पहुंच गए. राहत की खबर यह है कि इस घटना में कोई हताहत नही हुई है.
(सहरसा से राजेश डेनजील की रिपोर्ट)