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देश की 60 प्रतिशत लोगों के जीवन व्यवहार की जीवंत भाषा है हिन्दी

देश की 60 प्रतिशत लोगों के जीवन व्यवहार की जीवंत भाषा है हिन्दी

काव्यपाठ द हिन्दी विषय पर परिचर्चा का आयोजन पतरघट जम्हरा पंचायत के भद्दी किनवार टोला स्थित जयकृष्ण जनार्दन स्मृति सदन में शनिवार को राष्ट्रभाषा हिन्दी दिवस के मौके पर काव्यपाठ एवं हिन्दी विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया. वरिष्ठ साहित्यकार शिक्षाविद् व कवि श्यामल किशोर सिंह पथिक ने कहा की हिन्दी इस देश की 60 प्रतिशत लोगों के जीवन व्यवहार की जीवंत भाषा है. हर हिन्दुस्तानी की भाषा है. चाहे वह हिन्दू हो या मुस्लमान. हिन्दी में मुसलमान कवि अमीर खुसरो, रहीम, रसखान, मलिक मुहम्मद जायसी, कुतवन, मंजन, ताजवावी आदि चर्चित रहे. हिन्दी भारत की मातृभाषा है. जन्म से लेकर मृत्यु तक, पढ़ाई से लेकर नौकरी तक, खेत खलिहान से लेकर कारखाना तक, सैकड़ों पेशे से जुड़े लोग हैं जो इसी भाषा के माध्यम से आज भी अपनी जीविका चलाते हैं. उन्होंने कहा कि सरकारी आंकड़ा के अनुसार हिन्दी भारत समेत 132 देशों की 80 करोड़ से अधिक लोगों की भाषा है. हिन्दी विश्व की सर्वाधिक बोले जाने वाली भाषाओं में तीसरे नंबर की भाषा है. भारत में पहली बार संत कवियों ने संस्कृत के वर्चस्व को तोड़ा और संस्कृत के ज्ञान के साथ अपने विचार और अनुभवों को लोक भाषा हिन्दी में स्थापित किया. सूर, कबीर, संत रविदास तुलसी, मीरा ऐसे ही संत थे. इन संतों ने भारतीय चिंतन और दर्शन परंपरा को हिन्दी में जन-जन तक पहुंचाने का काम किया. कार्यक्रम में साहित्य सेवी दिनेश अविनाशी, सुकवि शशिकांत शशि, राधारमण सिंह, सुभाषचंद्र सिंह, जगवरर साह, सत्येन्द्र विश्वास सहित अन्य ने अपने अपने विचारों को व्यक्त किया.

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