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Saharsa news : मांग बढ़ी तो खेतों में लहलहाने लगी मड़ुआ की फसल

Saharsa news : मड़ुआ स्वास्थ्यवर्धक है और कम लागत के अलावा मौसम के प्रतिकूल असर वाले फसलों में शुमार है.

Saharsa news : भोजन, संस्कृति और परंपराओं के रूप में प्राचीन प्रथाओं के मूल्यों को पहचानने में भारत हमेशा अग्रणी रहा है. पर, इसे आधुनिकता कहें या कुछ और बीच के कुछ वर्षों में मोटे अनाज को हेय दृष्टि से देखा जाने लगा था. आज वही मोटा अनाज लोगों के स्वास्थ्य के लिए संजीवनी साबित होने लगा है. मोटा अनाज प्रोटीन, फाइबर और आयरन, कैल्शियम जैसे खनिजों का एक समृद्ध स्रोत है. इसलिए अब लोगों को लगने लगा है कि स्वस्थ रहना है, तो हमें मोटे अनाज को भोजन में शामिल करना ही होगा. सरकार भी मोटे अनाज के उत्पादन को लेकर बड़े स्तर पर जागरूकता अभियान चला रही है, तो लोग भी अब इसके प्रति जागरूक हो रहे हैं और इसकी खेती भी शुरू हो गयी है. कृषि विभाग की ओर से मोटा अनाज उपजाने के लिए लगातार किसानों को जागरूक करने के अभियान का अब सकारात्मक परिणाम दिखने लगा है. जहां लोगों की इसमें रुचि बढ़ी है, वहीं किसान भी अब मोटे अनाज की खेती करने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं. इसके लिए कृषि विभाग किसानों को बीज उपलब्ध करा रहा है.

दूर-दूर से लोग आते हैं मड़ुआ खरीदने

जिले के कई किसान अब मड़ुआ की खेती कर रहे हैं. जिले के विभिन्न इलाकों के खेतों में मड़ुआ की फसल अब लहलहा रही है. सहरसा जिले के बैजनाथपुर स्थित पटेल चौक निवासी किसान शंभु यादव लगभग तीन बीघा में मड़ुआ की खेती कर रहे हैं. बीज कृषि विभाग ने उपलब्ध कराया था. वह लगभग तीन वर्षों से मड़ुआ की ही खेती करते आ रहे हैं. वह बताते हैं कि दूर-दूर से लोग मड़ुआ खरीदने के लिए आते हैं. इससे उन्हें अच्छा फायदा भी हो जाता है एवं मवेशियों के लिए अच्छा चारा भी उपलब्ध हो जाता है. उन्होंने कहा कि हाइब्रिड के जमाने में इसकी खेती विलुप्त होती चली जा रही थी. यह सब देख लगा की मड़ुआ की खेती की जाये और लोगों की सेहत का ख्याल रखा जाये. इसी उद्देश्य से उन्होंने इसकी खेती की शुरुआत की. आज लगभग तीन बीघा में मड़ुआ की खेती कर रहे हैं.

मधुमेह व एनिमिया में है काफी लाभप्रद

मड़ुआ स्वास्थ्यवर्धक है. कम लागत के अलावा मौसम के प्रतिकूल असर वाले फसलों में शुमार है. अब सरकार भी मड़ुआ की खेती पर जोर दे रही है. मड़ुआ एक पौष्टिक अनाज है. इसके खाने से एनीमिया नहीं होती है. आज के समय में मड़ुआ की रोटी खाना तो दूर, उसका दर्शन भी दुर्लभ हो गया है. पुराने लोग बताते हैं कि मड़ुआ की रोटी खानेवालों को कभी पेट की बीमारी नहीं होती थी. इसका चारा भी मवेशियों के लिए उतना ही फायदेमंद होता है. इसकी फसल के लिए खेतों में पानी की जरूरत बहुत कम पड़ती है. जलजमाव वाले खेतों में यह फसल नहीं लगायी जाती है. यह खेती किसानों के लिए बहुत ही फायदेमंद है. मड़ुआ में प्रचुर मात्रा में आयरन पाया जाता है. गर्भवती महिलाओं एवं मधुमेह मरीजों के लिए यह रामबाण है. जिउतिया पर्व में इसकी रोटी खाने का विशेष महत्व है.

सूखे व कम पानी वाले क्षेत्रों के लिए यह उपयुक्त फसल

अगुवानपुर कृषि विज्ञान केंद्र की कृषि वैज्ञानिक सुनीता पासवान ने कहा कि बिहार में मड़ुआ की खेती धीरे-धीरे लोकप्रिय हो रही है. बिहार में मड़ुआ को मोटे अनाज की श्रेणी में रखा गया है. यह विशेष रूप से सूखे और कम जल वाले क्षेत्रों के लिए उपयुक्त फसल है. इसे बहुत ज्यादा सिंचाई की जरूरत नहीं होती. यह माॅनसून के मौसम में बेहतर उत्पादन देती है. जिले में मड़ुआ की बुआई आमतौर पर जून से जुलाई के बीच मॉनसून की शुरुआत में की जाती है. प्रति हेक्टेयर लगभग आठ से 10 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है. मड़ुआ की फसल अक्तूबर से नवंबर के बीच पक कर तैयार हो जाती है. इसकी कटाई तब की जाती है, जब बालियां पूरी तरह से सूख जाती हैं. मड़ुआ की बढ़ती मांग के कारण बिहार के किसानों को बाजार में अच्छा मूल्य मिल सकता है, जिससे उनकी आय में वृद्धि होगी.

वजन घटाने में भी मदद करता है मड़ुआ

सरकार मोटे अनाज को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चला रही है. इससे किसानों को मड़ुआ की खेती में सहायता मिल रही है. इसके अलावा न्यूनतम समर्थन मूल्य भी तय किया गया है, जिससे किसानों को बाजार में उचित मूल्य मिल सके. हालांकि मड़ुआ की खेती को अभी बड़े पैमाने पर प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है. मड़ुआ जैसे मोटे अनाज की खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को उन्नत बीज, सब्सिडी और प्रसंस्करण की सुविधाएं दी जा रही हैं. यह फसल न केवल किसानों के लिए आय का स्रोत बनेगी, बल्कि पोषण एवं स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद साबित होगी. मड़ुआ में मौजूद फाइबर लंबे समय तक पेट भरे रहने का अहसास कराता है, जिससे भूख कम लगती है एवं वजन घटाने में मदद मिलती है. यह रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित रखने में मदद करता है एवं मधुमेह रोगियों के लिए फायदेमंद होता है. मड़ुआ की बढ़ती मांग के कारण स्थानीय बाजारों में इसका व्यापार बढ़ा है. छोटे किसान अपने उत्पादों को आसानी से बाजार में बेच सकते हैं, जिससे स्थानीय व्यापार को बढ़ावा मिलता है.

पोषण से भरपूर है मड़ुआ : डॉ सुनीता

कृषि वैज्ञानिक डॉ सुनीता पासवान ने बताया कि मड़ुआ में उच्च मात्रा में कैल्शियम, फाइबर, आयरन एवं एंटी ऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो इसे एक पौष्टिक अनाज बनाते हैं. मड़ुआ में लगभग 336 कैलोरी प्रति सौ ग्राम, प्रोटीन 7.3 ग्राम प्रति सौ ग्राम, कार्बोहाइड्रेट 72 ग्राम प्रति सौ ग्राम, फाइबर 3.6 ग्राम प्रति सौ ग्राम, वसा 1.3 ग्राम प्रति सौ ग्राम, कैल्शियम 344 मिलीग्राम प्रति सौ ग्राम, आयरन 3.9 मिलीग्राम प्रति सौ ग्राम, फॉस्फोरस 283 मिलीग्राम प्रति सौ ग्राम, मैग्नीशियम 137 मिलीग्राम प्रति सौ ग्राम, पोटैशियम 408 मिलीग्राम प्रति सौ ग्राम, विटामिन बी वन 0.42 मिलीग्राम प्रति सौ ग्राम, विटामिन बी टू 0.19 मिलीग्राम प्रति सौ ग्राम, विटामिन बी थ्री 1.1 मिलीग्राम प्रति सौ ग्राम पाया जाता है. मड़ुआ के ये पोषक तत्व इसे संपूर्ण आहार बनाते हैं एवं यह हड्डियों की मजबूती, रक्त में हीमोग्लोबिन बढ़ाने व ऊर्जा के स्तर को बनाए रखने में मददगार होता है.

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