Saharsa News : सहरसा. कोसी क्षेत्र में समस्तीपुर डिवीजन के पहले मेमू शेड का निर्माण होना है. लेकिन जमीन आवंटन नहीं होने के कारण यह योजना फंस गयी है.मेमू शेड के निर्माण के लिए पर्याप्त जमीन नहीं मिलने की वजह से रेलवे की यह महत्वाकांक्षी परियोजना परवान नहीं चढ़ रही है. अगर इस परियोजना को हरी झंडी मिलती है, तो अमृत भारत स्टेशन के बाद रेलवे द्वारा कोसी इलाके के लिए यह दूसरी बड़ी उपलब्धि होगी. हालांकि मेमू शेड के निर्माण के लिए रेलवे द्वारा कवायद तेज कर दी गयी है. बता दें कि 2024 लोकसभा चुनाव की समाप्ति के बाद जून में इसका प्रपोजल तैयार कर हेड क्वार्टर और रेलवे बोर्ड को भेजा जाना था. इसके बाद रेलवे बोर्ड से अनुमति के बाद वर्ष 2024 में ही निर्माण कार्य शुरू होना था. लेकिन कोसी इलाके में रेलवे की पर्याप्त जमीन नहीं होने की वजह से योजना रुकी पड़ीहै.
सहरसा या बुधमा में बनेगा शेड
डिवीजन का पहला मेमू शेड सहरसा या बुधमा में बनेगा. हालांकि प्राथमिकता सहरसा को दी गयी है. बीते मार्च महीने में ही रेल अधिकारियों की टीम लैंड निरीक्षण के लिए सहरसा पहुंची थी. लेकिन जमीन को लेकर संतुष्ट नहीं होने की वजह से टीम बुधमा में भी जमीन सर्वे को लेकर निरीक्षण कर चुकी है. हालांकि रेल सूत्र की मानें तो सहरसा जंक्शन से हटकर रेल की जमीन पर ही मेमू शेड का निर्माण करने की योजना है. जबकि भूमि आवंटन के लिए सर्वे विभाग की टीम कई बार सहरसा भ्रमण कर चुकी है.
125 करोड़ की लागत से 2026 तक होगा तैयार
करीब 125 करोड़ की लागत से मेमू शेड का निर्माण होना है. यह समस्तीपुर डिवीजन का पहला मेमू शेड होगा. इसके बाद सहरसा, समस्तीपुर, दरभंगा, जयनगर, रक्सौल, बरौनी, कटिहार, खगड़िया, मानसी, मुजफ्फरपुर, सोनपुर, नरकटियागंज, सीतामढ़ी जाने वाली मेमू ट्रेन का मेंटेनेंस हो सकेगा. सोनपुर मंडल में मेमू रैक के मेंटेनेंस के लिए अधिक लोड है. इस वजह से पहला प्रपोजल सहरसा जंक्शन के लिए तैयार किया गया है.मेमू ट्रेन शेड वर्ष 2026 तक बनकर तैयार होना है. इसका लक्ष्य पहले ही निर्धारित किया जा चुका है. फिलहाल डिवीजन के रेल अधिकारी प्रपोजल तैयार करने में जुटे हैं. इसे रेलवे बोर्ड को स्वीकृति के लिए भेजा जायेगा. लेकिन जमीन उपलब्ध नहीं होने के कारण मामला अभी तक फंसा है.
125 मीटर होगा लंबा, एक साथ चार रैक का होगा मेंटेनेंस
मेमू शेड के लिए जितनी जमीन की जरूरत पड़ेगी, वह जरूरत के हिसाब से ली जायेगी.मेमू शेड 125 मीटर लंबा होगा और करीब 25 मीटर चौड़ाहोगा. यहां एक साथ चार मेमू ट्रेनों का मेंटेनेंस हो सकेगा. ट्रेन के पार्ट्स भी बदले जायेंगे. वर्ष 2024 में इस प्रोजेक्ट को सैंक्शन मिला है. मेमो ट्रेन की अधिकतम स्पीड 80 से 100 किलोमीटर प्रति घंटा होती है. सभी रेलखंड पर चालू होने के बाद समय की भी बचत होगी.
अभी सोनपुर मंडल मेंटेनेंस के लिए भेजा जाता है रैक
वर्तमान में मेमू ट्रेन काे रैक मेंटेनेंस के लिए सोनपुर मंडल भेजा जाता है. हालांकि सहरसा सहित समस्तीपुर डिवीजन में अभी करीब 20 से 25 मेमू ट्रेनों का परिचालन किया जा रहा है. इसके अलावा डेमो ट्रेन चलती है. इसमें समस्तीपुर-सहरसा, समस्तीपुर-कटिहार, समस्तीपुर-जयनगर, समस्तीपुर-मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर-बरौनी स्टेशन आदि शामिल है.सहरसा में कई जोड़ीमेमू ट्रेनों का परिचालन किया जा रहा है. अब जल्द ही सहरसा-सरायगढ़ और फारबिसगंज के बीच मेमू ट्रेन का परिचालन हो सकेगा. बता दें कि मेमू ट्रेन इलेक्ट्रिक से चलने वाली ट्रेन है.
सहरसा से खुलने वाले मेमू ट्रेन
- 05243/44 समस्तीपुर-सहरसा
- 05291/92 समस्तीपुर-सहरसा
- 05277/78 समस्तीपुर-सहरसा
- 05275/76 समस्तीपुर-सहरसा
- 05251/52 सहरसा-मधेपुरा
- 05279/80 सहरसा-सुपौल
2024 के अंत तक सिर्फ मेमू ट्रेनों का परिचालन
पूरे डिवीजन में विद्युतीकरण का कार्य लगभग पूरा कर लिया गया है. वर्तमान में ललित ग्राम से फारबिसगंज, सरायगढ़ से निर्मली, झंझारपुर, दरभंगा और बनमनखी से बिहारीगंज तक विद्युतीकरण कार्य चल रहा है. जहां विद्युत इंजन से ट्रेन का परिचालन नहीं किया जा रहा, वहां डेमू ट्रेन का परिचालन किया जा रहा है. रेल अधिकारियों की मानें तो मार्च 2024 तक पूरे डिवीजन में, जहां काम शेष बचे हैं, विद्युतीकरण पूरा हो जायेगा. फिर सभी जगह डेमू के बदले मेमू ट्रेनों का परिचालन किया जायेगा. वर्तमान में सहरसा से फारबिसगंज तक विद्युतीकरण कार्य पूरा हो गया है. इससे पहले सहरसा-पूर्णिया विद्युतीकरण कार्य पूरा हो चुका था. जहां इलेक्ट्रिक इंजन से ट्रेन का परिचालन किया जा रहा है.बनमनखी से बिहारीगंज भी जल्द ही विद्युतीकरण का काम पूरा हो जायेगा. 2024 के अंत से पहले सहरसा से सभी रेलखंड के लिए विद्युत इंजन से ही ट्रेन का परिचालन होगा.
मेमू ट्रेन परिचालन से ईंधन व समय की होती है बचत
मेमू ट्रेन के परिचालन से ईंधन और समय की बचत होती है. इस ट्रेन का परिचालन विद्युत से होता है. खास बात यह है कि मेमू ट्रेन कम समय में अधिक स्पीड पकड़ लेती है और कम समय में रफ्तार भी धीमी हो जाती है. खास बात यह है कि इस ट्रेन के परिचालन से पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचता है.