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देश में होती है बीस प्रकार के मशरूम की खेती, व्यापार से बढ़ती है आमदनी

मशरूम आधारित उद्यमिता कौशल के लिए बाजार संपर्क विकसित करना विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला सह प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन

मशरूम आधारित उद्यमिता कौशल के लिए बाजार संपर्क विकसित करना विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला सह प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन सत्तरकटैया. मंडन भारती कृषि महाविद्यालय अगवानपुर में बुधवार को मशरूम आधारित उद्यमिता कौशल के लिए बाजार संपर्क विकसित करना विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला सह प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया. जिसका उद्घाटन प्राचार्य डॉ अरुणिमा कुमारी ने दीप प्रज्वलित कर किया. राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत आयोजित कार्यशाला का उद्घाटन करने के बाद प्राचार्य ने कहा कि अब तक हमारे देश में 20 से अधिक प्रकार का मशरूम उगाये जा चुके हैं. इसकी खेती कर किसान अच्छी आमदनी कर सकते हैं. उन्होंने विभिन्न प्रखंड से आये हुए 40 प्रशिक्षणार्थियों को मशरूम आधारित उद्यम लगाने की अपील की. उन्होंने मशरूम के विभिन्न उत्पादों आचार, पापड़, टिक्का, पकौड़ा, सब्जी आदि को बाजार में लाने की सलाह दी. मशरूम का कच्चा माल आसानी से ग्रामीण क्षेत्रों में उपलब्ध हो, इस पर भी बल दिया गया. प्राचार्य ने सहरसा बाजार में जाकर सब्जी विक्रेताओं, होटल व मॉल संचालक को मशरूम से तैयार व्यजनों की मांग, पसंद व बिक्री का एक डाटा रखकर उसके अनुसार व्यापार बढ़ाने की बात कही. यह उद्योग गांव के शिक्षित, पढ़ाई छोड़ने वाले बेरोजगार, महिलाओं व भूमिहीन लोगों के लिए एक वरदान साबित होगा. कार्यशाला में सैद्धांतिक ज्ञान के साथ-साथ प्रायोगिक कार्यक्रम का भी प्रशिक्षण दिया गया. इस मौके पर डॉ अरशद अनवर, डॉ मुकुल कुमार, मो महताब रशीद सहित महाविद्यालय के कई वैज्ञानिक व कर्मी मौजूद थे.

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