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मजदूरों पर पलायन का कहर, एक साल में हुई 16 लोगों की मौत

प्रखंड क्षेत्र में संचालित योजनाओं में मजदूरों की कितनी अहमियत है यह किसी से छुपी नहीं है. बगैर मजदूर के खेती से लेकर उत्पादन तक संभव नहीं है.

मोरवा . प्रखंड क्षेत्र में संचालित योजनाओं में मजदूरों की कितनी अहमियत है यह किसी से छुपी नहीं है. बगैर मजदूर के खेती से लेकर उत्पादन तक संभव नहीं है. बावजूद बड़े पैमाने पर मजदूरों का पलायन होना काफी त्रासदी भरा साबित हो रहा है. बताया जाता है कि विगत 1 साल में 16 मजदूरों की दूसरे प्रदेशों में मौत हो गई. आंकड़ों पर गौर करें तो हर साल मौत की संख्या बढ़ती जा रही है क्योंकि बड़े पैमाने पर मजदूर बाहर जाकर काम करने को मजबूर हो रहे हैं. मकान बनाने से लेकर खेती करने वाले मजदूर भी हादसे का शिकार हो रहे हैं. फैक्ट्री में काम करने वाले कई लोग भी अपनी जान गंवा बैठे हैं. बताया जाता है कि प्रखंड के विभिन्न पंचायत से बड़े पैमाने पर लोग रोजगार की तलाश में मुंबई, हैदराबाद, कोलकाता, दिल्ली आदि का रुख कर रहे हैं. कुछ दिनों तक काम करने के बाद उनकी सेहत बिगड़ जाती है. ऐसी जानकारी सामने आने के बाद अब सरकार के द्वारा संचालित योजनाओं पर नजर जा रही है. जिसमें बड़े पैमाने पर मजदूरों का उपयोग होता है. मजदूरी करने वाले लोग पलायन न करें इसके लिए लगातार प्रयास जारी है फिर भी बड़े पैमाने पर लोग पलायन का शिकार हो रहे हैं. बताते चले कि केशो नारायणपुर के नीतीश कुमार, धर्मपुर बांदे के सन्तु राम, इंद्रवारा के मंटू कुमार, बनबीरा के प्रमोद महतो, ररियाही के वीरेंद्र पासवान ,रमेश रजक, लड़ुआ के बाल कृष्णा राय, राज कुमार राय, निकसपुर के बबलू पासवान, बाजीतपुर के धर्मेंद्र यादव, सारंगपुर पश्चिम के हीरा झा, हरपुर भिंडी के रंजीत राय, शंभूराय, नगीना सिंह, टिंकू सिंह, मोरवा उत्तरी के कमलेश राय, मनोज कुमार राय समेत कई लोगों की मौत दूसरे प्रदेशों में हो चुकी है.

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