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मौसम अनुकूल किसान करें पिछात किस्म के गेहूं की बोआई

डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय ने किसानों के लिए जारी समसामयिक सुझाव में कहा है कि गेहूं की पिछात किस्मों की बोआई करें.

समस्तीपुर : डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय ने किसानों के लिए जारी समसामयिक सुझाव में कहा है कि गेहूं की पिछात किस्मों की बोआई करें. पिछात गेहूं के लिये मौसम अनुकूल है. इसके लिए एचयूडब्लू- 234, डब्लूआर- 544, एचआई-1563, राजेंद्र गेहूं-1, एचडी 2967 तथा एचडब्लू- 2045 किस्में इस क्षेत्र के लिये अनुशंसित हैं. प्रति किलोग्राम बीज को 2.5 ग्राम बेबीस्टीन की दर से पहले उपचारित करें. पुन: बीज को क्लोरपायरिफॉस 20 ईसी दवा का 8 मिली प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें. बोआई के पूर्व खेत की जुताई में 40 किलोग्राम नेत्रजन, 40 किलोग्राम फॉस्फोरस एवं 20 किलोग्राम पाेटाश प्रति हेक्टेयर डालें. जिन क्षेत्र में फसलों में जिंक की कमी के लक्षण दिखाई देती हो वैसे क्षेत्रे के किसान खेत की अंतिम जुताई में जिंक सल्फेट-25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से व्यवहार करें. छिटकबां विधि से बोआई के लिए प्रति हेक्टेयर 150 किलोग्राम तथा सीड ड्रील से पंक्ति में बोआई के लिये 125 किलोग्राम बीज का व्यवहार करें. बोआई पूर्व खेतों की हल्की सिंचाई अवश्य करें ताकि बीजों का समुचित जमाव सुनिश्चित हो सके. गेहूं की 21-25 दिनों की फसल में प्रति हेक्टेयर 30 किलोग्राम नेत्रजन उर्वरक का व्यवहार करें. पहली सिंचाई के बाद गेहूं की फसल में कई प्रकार के खर-पतवार उग आते हैं. यह गेहूं की बोआई के 30 से 35 दिनों के बाद की अवस्था है. इन खरपतवारों का विकास काफी तेजी से होता है और ये गेहूं की बढ़वार को प्रभावित करती है. जिससे उपज प्रभावित हाेता है. इन सभी प्रकार के खरपतवारों के नियंत्रन के लिए सल्फोसल्फ्युरॉन 33 ग्राम प्रति हेक्टेयर एवं मेटसल्फ्युरॉन-20 ग्राम प्रति हेक्टेयर दवा 500 लीटर पानी में मिलाकर खड़ी फसल में पर छिड़काव करें. गेहूं की फसल में कई प्रकार के खरपतवार उग आते हैं. यह गेहूं की बोआई के 30 से 35 दिनों के बाद की अवस्था है. इन खरपतवारों का विकास काफी तेजी से होता है और ये गेहूं की बढ़वार काे प्रभावित करती है. जिससे उपज प्रभावित होता है. खरपतवारों के नियंत्रन को सल्फोसल्फ्युरॉन 33 ग्राम प्रति हेक्टेयर एवं मटेसल्फ्युरॉन-20 ग्राम प्रति हेक्टेयर दवा 500 लीटर पानी में मिलाकर खड़ी फसल पर छिड़काव करें. गेहूं की फसल में यदि दीमक का प्रकाेप दिखाई दें तो बचाव हेतु क्लोरपायरीफॉस 20 ईसी 2 लीटर प्रति एकड़ 20-25 किलोग्राम बालू में मिलाकर खेत में शाम को छिड़क दें तथा सिंचाई करें.

अगात बोयी गई मक्का में मिट्टी चढ़ाएं

किसान अगात बोयी गई रबी मक्का की 50-55 दिनों की फसल में 50 किलोग्राम नेत्रजन का उपरिवेशन कर मिट्टी चढ़ाने का कार्य करें. फसल में नियमित रूप से कीट एवं रोग-व्याधि की निगरानी करें. अगात मक्का की फसल जाे 50 से 55 दिनों की हो गयी हो, उसमें सिंचाई कर 50 किलो नेत्रजन प्रति हेक्टेयर की दर से उपरिवेशन कर मिट्टी चढ़ा दें.

सब्जियों को छेदक कीटों से बचायें

किसान सब्जियों में निकाई-गुड़ाई एवं आवश्यकतानुसार सिंचाई करें. सब्जियाें की फसल जैसे मटर, टमाटर, बैगन, मिर्च में फल छेदक कीट का प्रकोप दिखने पर स्पिनोसेड 48 ईसी प्रति 1 मिली प्रति 4 लीटर पानी या क्वीनलफॉस 25 ईसी दवा का 1.5 से 2 मिली प्रति लीटर की दर से छिड़काव करें. टमाटर की फसल में फल छेदक कीट की निगरानी करें. इस कीट के पिल्लू टमाटर को बहुत अधिक नुकसान पहुंचाते हैं. ये कच्चे तथा पके टमाटरों में छेद करके उनके अन्दर घूसकर गुदा खाते हैं. कीट के मलमूत्र के कारण फल में सड़न प्रारंभ हो जाती है, जिससे उत्पादन में काफी कमी आती है. इस कीट से बचाव हेतु 8-10 फेरोमैन ट्रैप प्रति हेक्टेयर खेत में लगाये. ब्यूभेरिया बेसियाना जैविक कीटनाशी का 1 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें. यदि कीट की संख्या अधिक हो तो स्पिनोसडे 48 ईसी प्रति 1 मिली प्रति 4 लीटर पानी या इन्डोक्साकार्ब 14.5 एससी- 1 मिली प्रति 2.5 लीटर पानी की दर से घोल बनाकर फसल पर छिड़काव करें.

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