रोसड़ा : जिला अपीलीय प्राधिकार के पीठासीन पदाधिकारी हाकिम प्रसाद ने उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर दायर वाद की सुनवाई के पश्चात 26 अक्टूबर को अहम फैसला सुनाया है. प्राधिकार ने रोसड़ा के संत कबीर राम जीवन मुसाय नायक महिला महाविद्यालय में वित्तीय वर्ष 2012-14 में बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मचारियों के लिए दिये गये 50 लाख रुपए अनुदान की राशि के वितरण में अनियमितता को लेकर अंतिम आदेश जारी किया है. इसमें प्राधिकार ने कॉलेज के तत्कालीन प्राचार्य रामकरण महतो एवं पूर्व अध्यक्ष महंत विद्यानंद शास्त्री को वाद से संबंधित अपीलार्थीगण का नियमानुसार अनुदान की राशि का भुगतान एक पक्ष के अंदर करते हुए संबंधित वर्ष में प्राप्त संपूर्ण राशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र परीक्षा समिति को भेजने का आदेश दिया है. अन्यथा की स्थिति में वित्तीय अनियमितता एवं सरकार की राशि का गबन करने के आरोप में विधिसम्मत कार्रवाई करने हेतु बिहार विद्यालय परीक्षा समिति प्राधिकृत एवं निर्देशित करने का आदेश दिया है. अनुदान की राशि भुगतान होने तक पूर्व प्राचार्य रामकरण महतो एवं पूर्व खाता संचालक प्रो विमला कुमारी को आगे मिलने वाली अनुदान की राशि एवं अन्य के भुगतान पर रोक लगाने का आदेश दिया है. इसकी प्रतिलिपि बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के शैक्षणिक निदेशक, जिला शिक्षा पदाधिकारी, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी को भी भेजी गई है. प्राधिकार ने कहा है कि उक्त वित्तीय वर्ष में परीक्षा समिति द्वारा 50 लाख रुपए अनुदान की राशि जारी किया गया था. जिसे समानुपातिक रूप से नियमानुसार शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारियों के बीच वितरण किया जाना था,जो नहीं किया गया. तत्कालीन प्राचार्य रामकरण महतो के द्वारा सरकार के नियम को दरकिनार करते हुए मनमाने ढंग से अनुदान की राशि वितरण किया गया, जो दंडनीय अपराध है. कहा है कि कॉलेज के खाता विवरण से स्पष्ट है कि शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारियों के बीच अनुदान की राशि वितरण में भारी अनियमितता बड़ती गई है. जिसके लिए वे दंड के भागी है. बता दें कि प्रो उदय चंद्र महतो, प्रो हरिश्चंद्र पंडित, प्रो शिव कुमार महतो, प्रो मिथिलेश कुमार प्रभाकर, प्रो रामाश्रय यादव एवं दुर्गा प्रसाद यादव ने द्वितीय अपीलीय प्राधिकार के निर्णय की तिथि 5 जनवरी 2023 के पश्चात जिला अपीलीय प्राधिकार में वाद संख्या 76/2023 दायर किया था. जिसमें अनुदान की राशि नहीं मिलने को लेकर तत्कालीन प्राचार्य रामकरण महतो, प्रो विमला कुमारी, महंत विद्यानंद शास्त्री एवं जिला शिक्षा पदाधिकारी को आरोपित किया था.
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