छपरा (सदर). मढ़ौरा भाग-2 के जिला परिषद् की सदस्य मीणा अरूण की ओर से जिला परिषद् के सदस्यों के साथ डीएम से मिलकर पूरे मामले में हस्तक्षेप करने का जिला परिषद् की विशेष बैठक बुलाकर अविश्वास प्रस्ताव पर बहस कराकर मत विभाजन की मांग की गयी है. यह बैठक सारण जिला परिषद् की अध्यक्ष जयमित्रा देवी के खिलाफ 15 जिला पार्षदों द्वारा लाये गये अविश्वास प्रस्ताव के नोटिस दिये जाने और इस पूरे मामले में डीडीसी सह मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी की ओर से पंचायती राज विभाग के अपर मुख्य सचिव से मार्गदर्शन मांगे जाने के बीच बुलायी गयी है. उधर जिला परिषद् सदस्यों के चार अन्य सदस्य जो 15 जनवरी को अध्यक्ष के विरूद्व अविश्वास प्रस्ताव पर बहस के दौरान उपस्थित थे, वे सभी पटना उच्च न्यायालय में मुकदमा दायर कर दिये है, उनका कहना है कि वे सभी जिला परिषद् अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव में मतदान करने के लिए आये हुए थे, लेकिन मतदान नहीं कराया गया. उस दिन 47 में से जिला परिषद् अध्यक्ष समेत महज छह सदस्य ही शामिल हुए थे, जिसमें जिला परिषद् अध्यक्ष और एक अन्य सदस्य छविनाथ सिंह को पदेन अध्यक्ष बनाया गया, लेकिन उस दौरान मत विभाजन नहीं कराया गया. जबकि हम सबों के द्वारा अध्यक्ष को हटाने के लिए मत देने की तैयारी थी. न्यायालय की शरण में जाने वाले इन चार जिला परिषद् सदस्यों में नगरा की जिला परिषद् अनिता नवीण के अलावे आनंद कुमार राय, आलोक राय व अख्तर हुसैन शामिल है. हालांकि जिला परिषद् अध्यक्ष की ओर से 16 जून को अविश्वास प्रस्ताव पर बैठक की तिथि रखने तथा सभी सदस्यों या छह ही सदस्यों को अविश्वास प्रस्ताव की बैठक में बुलाने के लिए नोटिस तामिला के संबंध में डीडीसी को पत्र भेजे जाने के बाद ही डीडीसी ने अपर मुख्य सचिव से मार्गदर्शन मांगा है. इधर इस संबंध में पूछे जाने के बाद जिला परिषद् अमन समीर ने बताया कि सारण जिला परिषद् के कुछ सदस्यों द्वारा अविश्वास प्रस्ताव की तिथि पर बैठक बुलाने के लिए आवश्यक पहल करने तथा मत विभाजन की मांग की गयी है. इस पूरे मामले में डीडीसी के द्वारा अपर मुख्य सचिव से मार्गदर्शन मांगा गया है, वे पूरे मामले की जांच कर शीघ्र ही सदस्यों को अविश्वास प्रस्ताव पर बैठक के लिए नोटिस तामिला कराने आदि के संबंध में निर्णय लेंगे. मालूम हो कि अलग-अलग गुटों में बटे ढ़ाई दर्जन जिला पार्षदों जहां नेपाल की सैर पर है, वहीं सारण जिला में भी अलग-अलग स्थानों पर जिला परिषद् सदस्य दोनों गुटों के पक्ष में जमे हुए है. हालांकि नियमानुसार अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के लिए निर्धारित तिथि दस दिन पूर्व सदस्यों को नोटिस जारी करनी चाहिए.
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