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पांच हजार से अधिक नियमित यात्री, फिर भी बदहाल है बस स्टैंड

शहर के सरकारी बस स्टैंड से रोजाना पांच हजार से अधिक यात्री अलग-अलग गंतव्यों के लिए बस सेवा का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन बीते एक दशक से यहां सुविधाओं का घोर अभाव है.

छपरा. शहर के सरकारी बस स्टैंड से रोजाना पांच हजार से अधिक यात्री अलग-अलग गंतव्यों के लिए बस सेवा का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन बीते एक दशक से यहां सुविधाओं का घोर अभाव है. बरसात के समय में तो यहां यात्री मुश्किल से सफर की शुरुआत करते हैं. इस समय पूरे बस स्टैंड परिसर में भारी जल जमाव की स्थिति उत्पन्न हो गयी है. यहां निकासी के कोई इंतजाम नहीं हैं. जिन जगहों पर पानी जमा है. वहां बगल के डंपिंग जोन से कचरा व मिट्टी लाकर भर दिया गया है. जिससे अब बसों के चक्के भी इसमें फंस रहे हैं. पैदल आने जाने वाले यात्रियों को तो काफी कठिनाई हो रही है. अति व्यस्ततम स्टैंड होने के बावजूद यहां यात्रियों के लिये न कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है. पेयजल व शौचालय के भी पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं. बस स्टैंड के चारो तरफ फैली गंदगी और जलजमाव के बीच यात्रियों को सड़क किनारे बैठ कर घंटों सवारी वाहन का इंतजार करना पड़ता है. सरकारी या प्राइवेट बस से यात्रा करने आये लोगों के बैठने के लिए जो शेड बनाया गया है. वह भी चारों ओर से जलजमाव से घिर चुका है. जिस कारण यात्री यहां आकर नहीं बैठ पा रहे हैं.

100 से अधिक बसे यहां से खुलती हैं

छपरा बस स्टैंड से रोजाना लगभग पांच हजार यात्री अलग-अलग स्थानों के लिए अपनी यात्रा शुरू करते हैं. सरकारी बस की सेवाएं छपरा के विभिन्न प्रखंडों के अलावा सिवान, गोपालगंज, हाजीपुर, पटना तथा आरा के लिये उपलब्ध है. वहीं बस स्टैंड के बाहरी परिसर में प्राइवेट बस लगती है. यहां रांची, गया, बोकारो, धनबाद, सिलीगुड़ी, दार्जलिंग, कोलकाता, दिल्ली आदि प्रमुख स्थानों के लिए लगभग 100 बस खुलती है. सरकारी व प्राइवेट दोनों को मिलाकर पांच लाख तक का ट्रांजक्शन प्रतिदिन सिर्फ यात्री किराये से होता है. इसके बावजूद यहां यात्रियों को बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्ष करना पड़ता है.

बस स्टैंड के पास सुरक्षा के भी नही हैं इंतजाम

बस स्टैंड में सुरक्षा को लेकर भी कोई इंतजाम नही है. इतने बड़े बस स्टैंड में एक भी पुलिस चौकी मौजूद नही है और नाही सुरक्षा के तहत पुलिसकर्मियों की तैनाती की जाती है. आये दिन चोरी की छिटपुट घटनायें यहां होते रहती हैं. वहीं शाम सात बजे के बाद यह इलाका पूरी तरह सुनसान हो जाता है. बस स्टैंड में मोटरसाइकल व अन्य प्राइवेट वाहन के पार्किंग की भी सुविधा नहीं है. जिससे वाहन चोरी होने की आशंका भी बनी रहती है. सुबह के पांच-छह बजे समय दूसरे राज्यों से कई बसें यहां पहुंचती हैं. जिनके यात्रियों को पौ फटने तक सड़क किनारे खड़े होकर ही अगले गंतव्य तक जाने का इंतजार रहता है. डिप्टी मेयर रागिनी देवी ने कहा कि बस स्टैंड परिसर में निर्माण कार्य व जल निकासी के लिए नाला आदि बनाने की जिम्मेदारी परिवहन निगम से जुड़े संबंधित विभाग की होती है. नगर निगम का इसमें कोई रोल नहीं है. हालांकि परिसर में साफ-सफाई के लिए नगर निगम द्वारा कर्मियों को निर्देश दिया गया है. बस स्टैंड के आसपास डस्टबिन भी लगाये गये हैं.

इन व्यवस्थाओं का है अभाव

– बैठने के नही हैं इंतजाम

– शौचालय है बदहाल

– पेयजल की नहीं है उपलब्धता

– सुरक्षा के नही हैं इंतजाम

– जलनिकासी की नहीं है व्यवस्था

ये है आंकड़ा

– रोजाना खुलने वाली बसें-100

– रोजाना यात्रियों की संख्या- 5000

– दूसरे प्रदेशों से आने वाले यात्री- 1000

– डेली सर्विस की बसें व अन्य वाहन-70

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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