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Chhapra News : पॉलीथिन बैन का कोई असर नहीं, रोजाना हो रही है सौ किलो से ज्यादा की खपत

Chhapra News : सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन के बावजूद शहर के बाजारों में एक दिन में सौ किलो के करीब प्लास्टिक की खपत हो रही है. सबसे अधिक उपयोग पॉलीथिन का हो रहा है.

छपरा. सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन के बावजूद शहर के बाजारों में एक दिन में सौ किलो के करीब प्लास्टिक की खपत हो रही है. सबसे अधिक उपयोग पॉलीथिन का हो रहा है. दोपहर के समय जब नगर निगम द्वारा गठित धावा दल सक्रिय होती है तो दुकानदार पॉलीथिन के इस्तेमाल में झिझकते हैं. वहीं ग्राहकों को भी झोला लेकर आने की बात कही जाती है. लेकिन सुबह व शाम के समय धड़ल्ले से पॉलीथिन का इस्तेमाल जारी है. बाजारों में एक किलो से पांच किलो तक के सामान को रखने के लिए पॉलीथिन आसानी से उपलब्ध है. सिर्फ सरकारी बाजार, पुरानी गुड़हट्टी, मौना, सलेमपुर, गुदरी आदि प्रमुख मंडियों में ही एक दिन में करीब सौ किलो प्लास्टिक की खपत हो रही है. पॉलीथिन के बढ़ते इस्तेमाल से पर्यावरण को भी काफी नुकसान पहुंच रहा है. कई बार अक्सर बाजारों में दुकानदार कचरा में आग लगा देते हैं. जिसमें प्लास्टिक भी जलता है. जिससे वातावरण दूषित हो रहा है.

पॉलीथिन के कारण बंद हो गये प्रमुख नाले

शहर में ऐसे दर्जनों नाले हैं, जिनमें पॉलीथिन की भरमार है. शहर के सबसे बड़े खनुआ नाले में भी दर्जनों जगह प्लास्टिक की मात्रा दिख रही है. मौना से सांढा के बीच खनुआ नाले का हिस्सा पूरी तरफ प्लास्टिक से भरा हुआ है. जिस कारण इस इलाके में नाला जाम होने के कारण जलजमाव को स्थिति बनी हुई है. सोनारपट्टी, सरकारी बाजार, मौना बाजार आदि से गुजरने वाले खनुआ नाले के हिस्से में भी प्लास्टिक की भरमार है.

ये है जुर्माने का प्रावधान

छापामारी के दौरान यदि किसी दुकानदार के पास पॉलीथिन मिलता है. तो पहली बार उससे दो हजार का जुर्माना वसूला जायेगा. दूसरी बार छापेमारी के दौरान यदि इस दुकान से फिर से प्लास्टिक मिलता है. तो तीन हजार वहीं तीसरी बार पकड़े जाने पर पांच हजार का जुर्माना लगेगा.

कपड़े के झोले की डिमांड अभी कम

कपड़े के झोले की डिमांड अभी कम है. शहर के पुरानी गुड़हट्टी व सरकारी बाजार में करीब 15 कपड़े के झोले को बेचने वाले थोक दुकानदार मौजूद हैं. इन दुकानदारों ने बताया कि एक किलो से लेकर 10 किलो तक के सामान रखने वाले कपड़े के झोले उनके पास उपलब्ध हैं. ग्रामीण क्षेत्र से भी कुछ महिलाएं झोला लेकर बेचने भी आती है. हालांकि लोकल दुकानदार अभी कम मात्रा में कपड़े का झोला खरीद रहे हैं.

क्या कहते हैं लोग

कुटीर उद्योग को प्रोत्साहित कर कपड़े का झोला बनाने के कारखाने लगाये जायें और इसकी ब्रांडिंग की जाये, तो निश्चित तौर पर पॉलीथिन का बड़ा विकल्प तैयार होगा. वहीं पर्यावरण में संतुलन बना रहे इसके लिए प्लास्टिक के रिसाइक्लिंग पर ध्यान देना होगा.प्रीति सिंह, शिक्षाविद

कचरे में प्लास्टिक की मात्रा अधिक है. कचरा में भोजन ढूंढने आये पशु-पक्षी अनाज के साथ प्लास्टिक भी खा जाते हैं. जो उनके स्वास्थ्य पर असर डालता है. प्लास्टिक के बढ़ते उपयोग के कारण इंसानों के साथ अब जानवर भी सुरक्षित नहीं है. हमें जागरूक होना पड़ेगा.

डॉ नीतू सिंह, प्राध्यापक, राजेंद्र कॉलेजपॉलीथिन का इस्तेमाल रुके, इसकी शुरुआत हमें पहले अपने घर से करनी होगी. बाजार जाने से पहले हमें घर से ही कपड़े का झोला लेकर जाना होगा. बच्चों को भी पॉलीथिन के उपयोग से होने वाले नुकसान से अवगत कराना होगा. हमसब को मिलकर बदलाव के लिए आगे आना होगा.अमरेंद्र सिन्हा

प्लास्टिक एक ऐसा पदार्थ है जो सहज रूप से मिट्टी में घुल नहीं सकता. इसे अगर मिट्टी में छोड़ दिया जाये तो भूगर्भीय जल की रिचार्जिंग को रोक सकता है. प्लास्टिक के थैले अनेक हानिकारक रंगों व रसायनों को मिलाकर बनाये जाते हैं. इनमें से कुछ रसायन कैंसर को जन्म दे सकते हैं.

डॉ अनुपम कुमार सिंह, वरीय प्राध्यापक, भूगोल विभाग, जेपीयूक्या कहते हैं मेयर

नगर निगम द्वारा सिटी स्क्वायड का गठन किया गया है. जनवरी माह में ही दो बार अभियान चलाकर 50 से अधिक दुकानों पर छापेमारी की गयी है. जिसमें 100 किलो से अधिक पॉलीथिन जब्त किया गया है. आगे भी कार्रवाई जारी रहेगी. दुकानदारों को बार-बार जागरूक भी किया जा रहा है. लोगों को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी.

लक्ष्मी नारायण गुप्ता, मेयर, छपरा नगर निगम

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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